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Showing posts from June, 2019

डब्ल्यूटीओ व अंतरराष्ट्रीय साजिश जो बर्बादी का कारण बन रहा है

    राष्ट्रपुरूष जब १५दिसंबर१९९४ के दिन जो किसानों, लघु उद्योग, सेवा क्षैत्र, सहित तमाम आर्थिक क्षैत्र​ की लुटिया डुबोने के लिए WTO से गैट करार किया गया ! जिसके तहत कृषि क्षैत्र की शर्तों में किसानों को सहायता थोड़ी थोड़ी करके खत्म करना, विदेशी कृषि उत्पादों तेल, फल , अनाज,मांस का तय शर्तों से आयात करना, वैसे इस समझौते को लागु तो १जनवरी २००५ से किया जाना था पर, विदेशियों के इशारों पर नाचने को हमारे नेता जैसे आज तत्पर है किसानों को बर्बाद करने के क्रम में जानिए कैसे भारत की पीली क्रांति (सरसों)का अंत किया गया! कई बार मुझे लगता है, कि भारत एक देश नहीं ‘एक आदमी’ है – वो ‘आदमी’ चलता है तो देश चलता है, वो ‘आदमी’ रुकता है तो देश रुक जाता है; वो ‘आदमी’ जगता है तो देश जगता है, और वो ‘आदमीं’ मर जाता है तो देश मर जाता है! यह तेल का अघोषित युद्ध था! इतिहास गवाह है, कि तेल ने तो देश के देश तबाह करवा दिए – भारत के उस ‘एक आदमीं’ को जिससे देश चलता और रुकता है – तबाह करना क्या बड़ी बात थी! भारत के दुश्मनों को भारत का यह पासवर्ड समझ में आ गया था! वर्ष 1991 में श्री राजीव गांधी की हत्या करवा दी गयी!
       *"अंग्रेजी में 'THE QUICK BROWN FOX JUMPS OVER A LAZY DOG' एक प्रसिद्ध वाक्य है। अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षर उसमें समाहित हैं। किन्तु कुछ कमियाँ भी हैं :-* 1) अंग्रेजी अक्षर 26 हैं और यहां जबरन 33 अक्षरों का उपयोग करना पड़ा है। चार O हैं और A,E,U तथा R दो-दो हैं। 2) अक्षरों का ABCD... यह स्थापित क्रम नहीं दिख रहा। सब अस्तव्यस्त है।         - - - - - - - - - - - - - - - - - *("अब संस्कृत में चमत्कार देखिए.!")*- . .    *क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोSटौठीडढण:।* *तथोदधीन पफर्बाभीर्मयोSरिल्वाशिषां सह।।*        (अर्थात्)- पक्षियों का प्रेम, शुद्ध बुद्धि का , दूसरे का बल अपहरण करने में पारंगत, शत्रु-संहारकों में अग्रणी, मन से निश्चल तथा निडर और महासागर का सर्जन करनार कौन? राजा मय कि जिसको शत्रुओं के भी आशीर्वाद मिले हैं।           आप देख सकते हैं कि संस्कृत वर्णमाला के सभी 33 व्यंजन इस पद्य में आ जाते हैं। इतना ही नहीं, उनका क्रम भी यथायोग्य है।             ------------------             एक ही अक्षरों का अद्भूत अर्थ विस्तार... माघ कवि ने शिशुपालवधम् महाकाव्य मे

पृथ्वी का पौराणिक वर्गीकरण

         पृथ्वी नकशे पर मुख्य नगर-वैवस्वत मनु (१३९०२ ईपू) से पहले पृथ्वी के ४ मुख्य नगर एक दूसरे से ९०° की दूरी पर थे। इन्द्र की अमरावती शुण्डा द्वीप (यवद्वीप के साथ ७ द्वीप-इण्डोनेशिया) के पूर्व भाग में थी। उससे ९०° पश्चिम यम की संयमनी (यमन, अम्मान, सना, मृत सागर) थी। संयमनी से ९०° पश्चिम सोम की विभावरी थी। अमरावती से ९०° पूर्व वरुण की सुखा नगरी थी। आज भी मिथिला क्षेत्र में नदी जल के निकट के गांवों का नाम सुखासन है। वैवस्वत मनु के बाद से शून्य अक्षांश पर विषुव रेखा पर लंका थी (लक्कादीव तथा मालदीव के बीच)। यहां का समय विश्व षमय था, अतः यहाँ के राजा को कुबेर कहते थे (कु = पृथ्वी, बेर = समय)। लंका समुद्र में डूब जाने पर उसी अक्षांश पर उस समय की कर्क रेखा पर उज्जैन को सन्दर्भ माना गया। उज्जैन की रेखा थानेश्वर, कुरुक्षेत्र आदि के निकट से गुजरती है अतः इसके सबसे उत्तर के नगर को उत्तर कुरु कहते थे। अभी यह साइबेरिया (शिविर) का ओम्स्क है जिसे शून्य देशान्तर रेखा पर होने के कारण ओम कहते थे। उज्जैन से ९०° पूर्व में यम कोटिपत्तन था। यम का अर्थ जोड़ा है तथा यम दक्षिण दिशा का स्वामी है।

क्या टाइटेनिक का डूबना संयोग या साजिश दुनिया को गुलाम बनाने की

जानिए कैसे डूबा था #टाइटेनिकजहाज़, और क्यों ? इतना बता दूं हर बड़ी घटना के पीछे बड़ी साजिश होती है। बैंकर माफियाओं की साजिश का शिकार हुआ था टाइटैनिक, जहाज डूबा नहीं डुबाया गया था ! सन् 1898 में Morgan Robertson नामक एक लेखक ने ” Wreck Of The Titan ” पुस्तक लिखी। पुस्तक के कुछ Shocking points कुछ इस प्रकार की है : एक वैभवी जहाज जिसे Unsinkable ( कभी ना डूबनेवाला ) माना जाता है वह ऊत्तरी अटलांटिक समुद्र मे अप्रैल के महिने मे तेज गति से यात्रा कर रहा है… वह जहाज अचानक एक हिमशिला से टकराता है और ऊसमे सवार लगभग सभी यात्रियो की मृत्यु हो जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ था टाइटैनिक जहाज और उसके यात्रियों के साथ .... James Cameron हॉलीवुड के सफल निर्देशकों में आते हैं. 1997 में बनी टाइटैनिक फिल्म ने Oscar award की लाइन लगा दी. आज जो भी हम टाइटैनिक के बारे में जानते हैं वो फिल्म की देन है. अपने समय के सबसे बेहतरीन और ताकतवर जहाज टाइटैनिक का निर्माण Belfast (Ireland) के Harland और Wolff शिपयार्ड में किया गया था. इसकी outer shielding 30 feet steel से की गई. इसे बनाने वालों ने इसे ‘The unsinkable Palace’
    शियाटिका परिचय- पीठ के रोगों में शियाटिका सबसे आम रोग माना जाता है। यह पीठ का ऐसा तेज दर्द है जो तंत्रिका तंतु की सीध में उठता है। यह शरीर के जांघों, नितंब, पिंडलियों, पैरों के कुछ भागों या कभी-कभी पूरे भागों को प्रभावित करता है कारण शियाटिका का रोग तंत्रिका के सिरे पर दबाव पड़ने से उत्पन्न होता है। इस प्रकार का दबाव स्लिप डिस्क या जोड़ों में चोट लगने या खिसकने के कारण होता है। शियाटिका का दर्द ज्यादा भारी वजन उठाने, सही तरीके से न बैठने या फिर बैठे-बैठे से अचानक ही उठ जाने के कारण होता है। टयूमर, मवाद, खून के थक्के या आस-पास की मांसपेशियों में खिंचाव आदि की अवस्था में भी तंत्रिका पर दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा शियाटिका रोग होने के और भी कई कारण हो सकते है जैसे- रीढ़ की हड्डी के किसी भाग में खराबी आ जाने या हडि्डयों का कोई भाग ऊपर-नीचे खिसक जाने के कारण शियाटिका रोग हो सकता है। रीढ़ की हड्डी के किसी भाग के पास फोड़ा आदि हो जाने के कारण भी शियाटिका रोग हो जाता है। रीढ़ की हड्डी के पास के भाग में रसौली या गिल्टी रोग हो जाने के कारण भी शियाटिका रोग हो सकता है। हडि्डयों म

International conspiracy to slave peole

  eanu Reeves Has Been Running a Secret Cancer Foundation to Fund Children’s Hospitals 10-13 minutes The Matrix movie series was one of the most revolutionary works of art to ever come out of Hollywood. Its pro-humanity, anti-authoritarian message instantly made it a classic and it has since become the subject of internet memes and (red pill) movements alike. At the center of this silver-screen revolution is Keanu Reeves whose real-life heroism makes his role as Neo that much more incredible. It is no secret that Keanu Reeves is Hollywood’s biggest low-key real-life hero, but did you know that he also secretly funds children’s hospitals? We didn’t, and most people probably wouldn’t either as the upcoming star of the sci-fi thriller Replicas is not exactly boastful of his contributions to society—unlike many other Hollywood celebrities. Reeves is so modest that he runs a private foundation which aids cancer research and children’s hospitals around the country. This Ho

क्या धर्म परंपरा और अहिंसा के त्याग को ही शिक्षा कहते हैं जो आज केरल में चल रहा है

केरल से दो विशेष न्यूज़ आए हैं जो हृदय विदारक हैं और विचारणीय हैं यह क्या हो रहा है और कैसे समाज की हम संरचना तैयार करने जा रहे हैं केरल 100% शिक्षित प्रांत है और शिक्षा ही उसे अपने संस्कारों से और अपने परंपरा से तोड़ने का कार्य करती है जिसका परिणाम है की उस शिक्षित प्रांत में हजारों साल की वह श्रेष्ठ परंपरा को विकृत करके वहां सिक्लूजन या सेकुलर का भूत समाज में डाला गया है । ब्राम्हण की जगह अन्य समाज से अनेक वामपंथी विचारों के लोगों को खड़ा करके और सरकार के द्वारा अन्य जातियों के पुजारी नियुक्त किए जा रहे है यह एक वैश्विक सडयंत्र की बहुत बड़ी चाल है समाज को तोड़ने का और आपस में एक विभेद पैदा करने का जिससे पूरा समाज इस आग में झुलस जाए    वहीं दूसरी तरफ यह आग समाज और परिवार से होती हुई रोड पर अपना विकृत रूप दिखाया है और केरल के महिला पुलिस अधिकारी को ट्रैफिक पुलिस के द्वारा जिंदा जलाया गया है विस्तृत खबर नीचे संलग्न है कृपया इस पर विचार करें और एक बार सोचें कि हम किस समाज के निर्माण करने जा रहे हैं अजय कर्मयोगी गुरुकुलम्  9336919081 केरल: महिला पुलिस अधिकारी को ट्रैफिक पुलिसकर्मी न

कूका आंदोलन गौ भक्ति का अद्भुत बलिदानी इतिहास

    इतिहास के बिना आपका भविष्य अंधकार में है  यह बात  अब  बहुत सारे लोगों को समझ में आने लगी है ये वो जंग थी जिसको तथाकथित इतिहासकारों और नकली कलमकारों ने लिखना तो दूर संज्ञान लेना भी उचित नहीं समझा . उनकी चाटुकारिता यकीनन आड़े आ रही थी .. कूका विद्रोह आज के समय में शायद ही ज्यादा लोग बता पायें लेकिन ये थी वो जंग जो देश और धर्म दोनों को ध्यान में रख कर लड़ी गई थी .. बहुत छोटी सी संख्या ले कर सरदारों ने इस जंग में हिला कर रख दिया था खुद को अजेय समझने वाले अंग्रेजो को और मजबूर कर दिया था उन्हें पीछे हटने पर . आईये जानते हैं कि आखिर क्या था वो कूका विद्रोह जिन्हें हिला कर रख दिया था ब्रिटिश सत्ता को लेकिन उसके बाद भी नहीं पाया भारत के इतिहास में उचित मान और सम्मान .. जब देश में आये थे तो उनको यह नहीं पता था कि भारत में बहादुर लोग भी धर्म और जाति के आधार पर जाने जाते हैं. पहले अंग्रेजों को यह लगता था कि राजपूत लोग ही सेना में होते हैं और वह देश के लिए लड़ते हैं. अब इंग्लैंड में तो सेना के अन्दर होना, मात्र धन कमाने का एक साधन था लेकिन भारत में ऐसा नहीं था. सतगुरु राम सिंह ने विश्व में पह

पर्यावरण में जल जीवन व गंगा दशहरा की भूमिका

     आज #गंगा_दशहरा है अर्थात #गंगावतरण_दिवस । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को स्वर्ग से गंगाजी का आगमन हुआ था। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की यह दशमी एक प्रकार से गंगाजी का जन्मदिन ही है। इसी को गंगा दशहरा कहा जाता है। स्कन्दपुराण, वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथों में गंगा अवतरण की कथा वर्णित है। आज ही के दिन महाराज भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगाजी आई थीं। गंगा दशहरा #पर्यावरण संरक्षण का एक बड़ा संदेश है । आज का दिन हमे वर्षा पूर्व वर्षाजल के संग्रहण की प्रेरणा देता है । श्रीराम के पूर्वजों राजा इक्ष्वाकु से लेकर राजा भगीरथ तक की अनेक पीढ़ियों ने गंगा जी को पृथ्वी पर लाने में अपना सर्वस्व न्यौछावर किया ।  कई राजाओं ने हिमालय पर झीलों सरोवरों का निर्माण कराया । राजा सगर और सगर पुत्रों ने #वृक्षारोपण किया । राजा दिलीप ने गायें पाली । तब जाकर हिमालय पर वर्षा जल ठहरने लगा और फिर राजा भगीरथ ने अपने कठोर परिश्रम से जल की भिन्न-भिन्न धाराओं को मिलाकर उसे नदी (गंगा) का स्वरूप दिया । -स्वर्ग से गंगा का उतरना अर्थात आसमान से पानी गिरना । -शिव की जटा

औरत का इस्लाम में उपभोग

पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में रहने वाले 3 नागरिक 100 बच्चों के बाप हैं। ये खुलासा पाकिस्तान में 19 साल बाद जनसंख्या के लिए हो रहे सर्वेक्षण में सामने आया है। इनमें दो व्यक्ति आपस में भाई हैं जिनमें से एक की उम्र 70 साल से अधिक हैं। दूसरे भाई की उम्र 57 साल है। पहले भाई की हैं तीन बीवी और 22 बच्चे एएफपी के मुताबिक, उत्तरी वजीरीस्तान के कबाली जिले में रहने वाले 70 साल के मस्तान वजीर खान की तीन शादियां हुई है और इनके 22 बच्चे हैं। बर्तन बेचने का कारोबार करने वाले खान ने कहा कि उनके नातियों की संख्या इससे ज्यादा है। खान के 15 भाईयों में शुमार गुलजार खान के भी तीन बीवी और 36 बच्चे हैं। फैमिली प्लानिंग पर गुलजार ने कहा कि इस्लाम में इसका निषेध है। जब अल्लाह ने संसार को बनाया है तो मैं क्यों किसी को जन्म न दूं?  वहीं क्वेटा के रहने वाले जान मुहम्मद के 38 बच्चे हैं और इनका टार्गेट 100 बच्चे पैदा करने का है, जिसके लिए वो चौथी बीवी को ढूंढ रहे हैं। इसके लिए कोई महिला राजी नहीं हुई है, लेकिन उनकी कोशिश खत्म नहीं हुई है। जान ने कहा कि जितने मुसलमान पैदा होंगे, उससे इसके दुशमन डरेंगे। मुसलमानों

पानी के लिए त्राहि-त्राहि पूरे विश्व में इसका कारण और निवारण

   #हिन्दुस्तान का मतलब सिर्फ ताजमहल नहीं है । दुनिया का सबसे प्राचीन और आधुनिक #बांध (डैम) भारत मे आज भी सुचारू रूप से काम कर रहा ये सिविल इंजीनियरिंग कहां पढ़ाई होती थी? किस इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ाई जाती थी?तब तो यूरोपियन लुटेरे फ्रांस, पुर्तगाली,ब्रिटिश भी नहीं आये थे भारत,ना इस्लामिक बलात्कारी लुटेरे तुर्क मंगोल...आये थे,कौन पढ़ाता था ये शिल्प कला वाणिज्य का ज्ञान??आज भी कुछ ब्रिटिश गुलाम बोलते हैं अगर ब्रिटिश ना आते तो हम पढ़ना लिखना रहना ना सीख पाते,l तमिलनाडु के #तिरुचिरापल्ली में #चोल_राजवंश द्वारा बनाया गया कल्लनई बांध कुछ सौ वर्ष नहीबल्कि पूरे दो हजार साल पहले बना हुआ है और आज भी करीब 10 लाख हेक्टर जमीन की सिंचाई करता है । भारत के इस गौरवशाली इतिहास को पहले अंग्रेज और बाद में फ़रजीपंथी इतिहासकारों ने जानबूझकर लोगों से इस तथ्य को छुपाया । ताकि गुरूकुल के महत्व को कोई समझ ना पाए ,आज के सिविल इंजीनियरिंग 30साल भी चल जाए वही बहुत है। राजनैतिक व्यवस्था जब सामाजिक व्यवस्था से छेड़-छाड़ करने लगती है तो क्या होता है? इसका एक अच्छा सा उदाहरण दक्षिण बिहार की अहर-पैन व्यवस्था में न

11 जून क्या आपको याद है

.11 जून आ रहा है ..क्या आपको याद है ?? ..जीवन की आपाधापी में ..11 जून ..महान क्रांतिकारी देशभक्त ' राम प्रसाद " बिस्मिल " का जन्म दिन " .है .' .हम शर्मिंदा हैं ' ..हम सभी का कर्तव्य है की देश पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले इन महान सपूतों को अपने दिल और दिमाग में जिन्दा रखें ..ताकि देश इन अंधेरों में इनकी यादो की मशालों के सहारे अपना रास्ता खोज सके .... पिता श्री मुरली धर और माँ श्रीमती मूलमती देवी के घर 11 जून 1897 को शाहजहाँपुर में जन्मे " बिस्मिल " के क्रन्तिकारी जीवन का आरम्भ प्रसिद्द क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के सानिध्य में हुवा..प्रसिद्द ' मैनपुरी षड्यंत्र केस ' से प्रारंभ हुवा इनका क्रांति जीवन ' काकोरी काण्ड ' के साथ गोरखपुर जेल में 19 दिसम्बर 1927 में क्रूर ब्रितानी हुकूमत से लड़ते हुवे ..फांसी का फंदा चूम ..समाप्त हुवा ..यद्दपि इन्होने अपना नश्वर शरीर भले ही 19 दिसंबर 1927 को त्याग दिया किन्तु देशभक्त युवाओं के दिलों में यह आज भी जीवित हैं ,, .. ' हिन्दू - मुस्लिम ' एकजुटता की मिसाल इनके साथी ' अशफाक़उल

बात एक पर्यावरण दिवस का नहीं है ,ऋषि जहां ज्ञानी बनें वह है हमारी अरण्य संस्कृति

     जहां घर त्याग कर वन में जाने की एक व्यवस्था रही है उसे वानप्रस्थ आश्रम कहते हैं उसी बन में कई सारे ज्ञानी ऋषि रहे हैं जो पूरे दुनिया को ज्ञान से आलोकित किया है जिसे भारत की अरण्य संस्कृति कही जाती है आज आधुनिक और सभ्य समाज में हम उसे जंगली कहते हैं जो हीनता का परिचायक माना जा रहा है और वही शहरों में रहना एक कुलीन और श्रेष्ठ माना जा रहा है आज उसी शहर में जीवन का संकट पैदा हो गया है और सांस गायब हो गई है  पर इस आधुनिक के चक्रव्यूह से अपना जीवन लीला समाप्त करके भी नहीं निकल पा रहे हैं भारतीय ऋषि चिंतन ने सृष्टि के प्राणीमात्र के लिए तीन आवश्यताएं स्वीकार कर उनको महत्वत: रेखांकित किया। ये हैं : वृष्टि, वायु और वन। यही नहीं, इन तीनों पर केंद्रित चिंतन को निरंतरता देते हुए समय-समय पर विचारों का प्रवर्तन किया। परीक्षित, वैज्ञानिक, व्यावहारिक मत दिए। पश्चिम में जबकि इस संबंध में जागरण ही न था, भारत में अग्निहौत्र, अगर-धूपादि से पर्यावरण के संरक्षण के विचार को देवरूप स्वीकार कर उपासित किया जा रहा था। संहिताओं में एेसे विचार संगृहीत और संपादित हुए और उनके प्रवर्तक ऋषियों का स्म