इस देश में चिकित्सा की सैकड़ों पद्धतियों का उपयोग जनता को स्वास्थ्य बनाने मैं किया जाता था पर दुर्भाग्य से देश मानसिक गुलामी की जंजीरों में फस अपना स्वास्थ्य व्यवस्था बर्बाद होते देखने के लिए अभिसप्त है ये सज्जन हैं मिस्टर जॉनरोस आस्टिन जयलाल इनकी वेबसाइट पर जाइए तो यह अपनी विदेशी डिग्री प्रदर्शित करके अपनी विदेशी सोच का परिचय बड़े गर्व के साथ देते। ये तमिलनाडु से हैं और इस समय डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। रामदेव और आईएमएम के नूरा कुश्ती में अड़ने के पीछे डॉ जॉनरोस जयलाल ही हैं। लेले साहब तो सिर्फ सामने से भिड़ रहे हैं। रामदेव एक अलग प्रकार की समस्या हैं। लेकिन इस समय ये जॉनरोज जयलाल रामदेव से ज्यादा आयुर्वेद से लड़ रहे हैं। जयलाल की जांच पड़ताल की तो पता चला कि आईएमए के प्रेसिडेन्ट बनने को ये जीजस की कृपा मानते हैं। इसलिए कहते हैं कि वो एलोपैथी के सहारे क्रिश्चियनी को लोगों तक ले जाना चाहते हैं। इनका मानना है कि जब आप ईसाई बन जाते हैं तब एलोपैथी बहुत अच्छा काम करती है। डॉ जॉनरोस जयलाल इसीलिए जब आईएमए के प्रेसिडेन्ट बने तो उन्होंने कहा कि अब व
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण