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Showing posts from June, 2022

संस्कृत के आगे सारी डिग्री तुच्छ साबित हुइ ,स्वाधिक डिग्री में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करानेवाले श्रीकांत जिचकर

   अद्भुत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय किन्तु सत्य आपसे कोई पूछे भारत के सबसे अधिक डिग्रीधारी शिक्षित एवं विद्वान व्यक्ति का नाम बताइए जो- ▪️डॉक्टर भी रहा हो, ▪️वकील भी रहा हो, ▪️IPS अधिकारी भी रहा हो, ▪️IAS अधिकारी भी रहा हो, ▪️कुलपति भी रहा हो, ▪️विधायक, मंत्री, सांसद भी रहा हो, ▪️चित्रकार, फोटोग्राफर भी रहा हो, ▪️मोटिवेशनल स्पीकर भी रहा हो, ▪️पत्रकार भी रहा हो, ▪️संस्कृत, गणित का विद्वान भी रहा हो, ▪️इतिहासकार भी रहा हो, ▪️समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र का भी ज्ञान रखता हो, ▪️जिसने काव्य रचना भी की हो ! अधिकांश लोग यही कहेंगे -"क्या ऐसा संभव है ?आप एक व्यक्ति की बात कर रहे हैं या किसी संस्थान की ?" पर भारतवर्ष में ऐसा एक व्यक्ति मात्र 49 वर्ष की अल्पायु में भयंकर सड़क हादसे का शिकार हो कर इस संसार से विदा भी ले चुका है ! उस व्यक्ति का नाम है- डॉ. श्रीकांत जिचकर श्रीकांत जिचकर का जन्म 1954 में एक संपन्न मराठा कृषक परिवार में हुआ था ! वह भारत के सर्वाधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे, जो गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है ! डॉ. श्रीकांत ने 20 से अधिक डिग्री हासिल की थीं ! कुछ रेगुलर व कुछ पत्राचार
    5 अप्रैल 1952 को चाउ एन लाई ने नेहरू जी के (भारत सरकार के) राजदूत कवलम माधव पणिक्कर से कहा कि हमें तिब्बत में अपनी सेनाओं के लिये खाद्यान की आपूर्ति के लिये भारत पर निर्भर रहना पड़ेगा। हम चाहते हैं कि भारत इस मामले में हमारी सहायता करे। पणिक्कर ने नेहरू को यह बताया और यह कहा कि हमें यह आपूर्ति कर देनी चाहिये। नेहरू ने कहा कि ‘हम जानते हैं कि यह खाद्यान आपूर्ति तिब्बत में मौजूद चीनी सेना के लिये की जा रही है जिन्हें सभी दृष्टियों से इसकी अत्यन्त आवश्यकता है।’ तिब्बतियों का खून पी रहे माओ के सैनिकों के लिए चावल भेजा मई 1952 में नेहरू जी ने चीनी सेनाओं के लिये 500 टन अनाज भेजने का आदेश दे दिया। साथ ही यह जोड़ दिया कि हमारे बीच तिब्बत में हमारे हितों के विषय में सामान्य समझौते की आवश्यकता है। 21 जून 1952 को एक पत्रकार सम्मेलन में जब यह पूछा गया कि क्या भारत से चीनी सेनाओं के लिये तिब्बत में चावल भेजा जा रहा है? नेहरू जी ने उत्तर दिया - ‘बहुत अधिक मात्रा में नहीं। सकरे रास्ते और सघन पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण खाद्यान की आपूर्ति अधिक मात्रा में नहीं की जा सकती। उनकी सेना को खाद्यान की अत

सभी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का सदस्य बनने के बावजूद इस इलाके को अर्थात् चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साम्राज्य को संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रत्येक संस्था से बाहर ही रखता है ताकि वहां मनमानी की जा सके।

  स्तालिन को इंग्लैंड - अमेरिका ने उपहार में दिया सोवियत संघ मध्यएशिया के बड़े इलाके को लेकर ब्रिटेन डरता है कि कहीं रूस उस इलाके में कब्जा करके अफगानिस्तान तक न पहुंच जाये और रूस डरता है कि ब्रिटेन हमारी सीमाओं तक न आ जाये। अंततः द्वितीय महायुद्ध की समाप्ति के बाद मित्र शक्तियों को दी गई सहायता के बदले में स्तालिन इस इलाके के एक बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर सोवियत संघ नामक साम्राज्य रचता है और शेष हिस्से में ब्रिटेन तथा अमेरिका के संयुक्त प्रभाव से छोटे-छोटे राज्य खड़े कर दिये जाते हैं। इस प्रकार सोवियत संघ वस्तुतः इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा स्तालिन को दिया गया उपहार है या सौदा है जो जर्मनी के विरूद्ध युद्ध में साथ आने के कारण दिया गया। स्तालिन का चेला माओ इसी द्वितीय महायुद्ध के बाद स्तालिन एक झटके में झांगहुआ पर माओजे दुंग का कब्जा कराता है और फिर चीन का महिमामंडन कर अपने साथ एक बड़े राष्ट्र को खड़ा प्रचारित करता है तथा साथ ही इस पूरे इलाके में मनमानी की छूट के लिये स्वयं सभी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का सदस्य बनने के बावजूद इस इलाके को अर्थात् चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साम्राज्य