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Showing posts from January, 2020

गली गली में अधकचरे अंग्रेजी स्कूल संविधान की धारा 348 के कमाल से

     संविधान की धारा 348 की वजह से ही गली-गली में अंग्रेजी माध्यम के अधकचरे स्कूल खुल रहे हैं। बच्चा हो या बड़ा, हर एक अपने परिवेश की बोली में ही अपने आप को सहजता से अभिव्यक्त कर पाता है। मातृभाषा परिवेश पर निर्भर करती है न कि मजहब़ वंश, जाति आदि पर। अंग्रेजी जैसी गैर परिवेश की भाषा में तो बस हम रटी रटायी बात ही उगल सकते हैं, मौलिक चिंतन नहीं कर सकते। हमारे देश की संविधान निर्माताओं ने अंग्रेजी को एक अल्प अवधि के लिए ही लागू किया था। उन्हें अनुमान था कि संविधान लागू होने के 15 वर्ष के अन्दर हिन्दी देश के सभी राज्यों में स्वीकार कर ली जाएगी और फिर देश में काम काज की भाषा अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी हो जाएगी। पर तमिलनाडु में हुए विरोध के चलते हिन्दी कामकाज की अधिकारिक भाषा नहीं बन पायी। तमिलनाडु आज भी तमिल को उच्चन्यायालय की अधिकारिक भाषा बनवाने के लिए तरस रहा है। अंग्रेजी व्यवस्था की वजह से भारत में कहने भर को लोकतंत्र रह गया है। पर 'इंग्लिश मीडियम सिस्टम’ की वजह से शासन प्रशासन के स्तर पर होने वाली कार्यवाही जनता के समझ के बाहर है। जनता न तो मूलत: अंग्रेजी में लिखे कानून क

उच्च प्रतिभा के धनी और गणित के विद्वानों के लिए ही यह पोस्ट भारत की गौरवशाली अतीत का

      गणित के विभिन्न क्षेत्रों में भारत का योगदान प्राचीनकाल तथा मध्यकाल के भारतीय गणितज्ञों द्वारा गणित के क्षेत्र में किये गये कुछ प्रमुख योगदान नीचे दिये गये हैं- आंकगणित : दाशमिक प्रणाली (Decimal system), ऋण संख्याएँ (Negative numbers) (ब्रह्मगुप्त देखें), शून्य (हिन्दू अंक प्रणाली देखें), द्विक संख्या प्रणाली (Binary numeral system), स्थानीय मान पर आधारित संख्या आधुनिक संख्या निरूपण, फ्लोटिंग पॉइंट संख्याएँ (केरलीय गणित सम्प्रदाय देखें), संख्या सिद्धान्त , अनन्त (Infinity) (यजुर्वेद देखें), टांसफाइनाइट संख्याएँ (Transfinite numbers), अपरिमेय संख्याएँ (शुल्बसूत्र देखें) भूमिति अर्थात भूमि मापन का शास्त्र : वर्गमूल (see Bakhshali approximation), Cube roots (see Mahavira), Pythagorean triples (see Sulba Sutras; Baudhayana and Apastamba state the Pythagorean theorem without proof), Transformation (see Panini), Pascal's triangle (see Pingala) बीजगणित: Quadratic equations (see Sulba Sutras, Aryabhata, and Brahmagupta), Cubic equations and Quartic equations (biquadratic equa

31 साल तक अप्पा यानी बाप बना पति, पेरियार ने रचाई 71 साल में शादी

  रजनीकान्त और पेरियार तमिल मे पेरियार शब्द का अर्थ है आदरणीय या सम्मान के योग्य। इरोड वेंकट नायकर रामासामी पेरियार कितने आदरणीय हैं जानिए। पेरियार ने एक बच्ची को गोद लिया नाम था मनिअम्मई। 31 साल की उम्र तक वह लड़की पेरियार को अप्पा कहती थी। उसके बाद पेरियार ने 72 साल की उम्र मे उससे विवाह किया। आज सेक्युलर लॉबी यह कहती है कि तब तक गोद लेने का कानून नहीं बना था इस लिए उस युवती को बेटी ना कहा जाए। सेक्रेटरी या प्रेमिका ही माना जाए। सेक्युलर लॉबी आज बता रही है की मनिअम्मई पेरियार की प्रेमिका थी। अप्पा कहने से कोई बाप नहीं हो जाता। पता नहीं तमिलनाडु मे प्रेमी को अप्पा कहने का रिवाज कब चला। इनके साथ रहने, बेमेल विवाह की आयु पर भी प्रश्न ना उठाया जाए। शायद सेक्युलर लॉबी भी इस गुनाह के लिए सजा ए मौत का फतवा जारी कर दे। बाएँ चित्र में दलित नायक 72 साल के पेरियार और 31 साल की अपनी सचिव मनियामई से विवाह के लिए जाते हुए. पेरियार को पेशाब की नली लगी हुई है और सहयोगी के हाथ पेशाब की थैली (छोटी बाल्टी) है. दाएँ चित्र मे पेरियार पर बनी फिल्म का दृश्य है। आगे के विश्लेषण के ले

भारतीय संस्कृति का पुनः उदय, इंडोनेशिया में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी और ऊंची गरुड़ पे विराजमान विष्णु की मूर्ति का स्थापना

   विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति होगी विष्णु गरुण केनकाना की __________________________________________ आगामी अगस्त में संपूर्ण विश्व के हिन्दुओं के लिए गर्व और हर्ष व्यक्त करने का महान अवसर आ रहा है। इंडोनेशिया में पिछले 25 साल से बन रही गरुड़-विष्णु की मूर्ति स्थापित होने जा रही है। इसके बाद विश्व के सबसे ऊँचे धार्मिक प्रतीकों में हिंदुत्व का प्रतीक दूसरे नंबर पर आसीन हो जाएगा। 393 फ़ीट ऊँची ये मूर्ति स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी से 90 फ़ीट ऊँची होगी। विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति चीन में है। बुद्ध की ये मूर्ति 420 फ़ीट ऊँची है। 1979 में इंडोनेशिया के मूर्तिकार ने एक स्वप्न देखा था। मूर्तिकार बप्पा न्यूमन नुआर्ता इंडोनेशिया में हिन्दू प्रतीक की विशालकाय मूर्ति बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले कम्पनी स्थापित की। मूर्ति की डिजाइन पर अथक परिश्रम किया। धन जुटाने के लिए देशभर की यात्रा की। मूर्ति तांबा और पीतल की बनाई जानी थी इसलिए धन की बहुत आवश्यकता थी। 1994 में काम शुरू हुआ। कई बार धन की कमी के कारण काम बीच-बीच में महीनों रुका रहता लेकिन न्यूमन की इच्छाशक्ति बड़ी प्रबल थी। वे नहीं रुके।

प्राचीन वास्तु शास्त्र संगीत और संस्कृत के विद्वान महाराणा कुंभा

     इस देश के राजाओं के बारे में एक धारणा स्थापित कराई गई सब राजा रजवाड़े नकारे निकम्मे अय्याश और कामातुर हैं वहीं ब्रिटेन में आज भी राजा रानी का शासन और राजाशाही व्यवस्था अभी भी चल रहा है आज इस धारणा को तोड़ती हुई यह लेख भारत के राजाओं के श्रेष्ठता उनके गुण और उनके शौर्य पराक्रम के साथ उनकी कला वास्तु संगीत सहित विविध पक्षों से आपको परिचित कराएगा जिससे आपके अपने इन राजा के कृति पर गर्व होगा देश के प्रतापी, कलाप्रिय शासकों में महाराणा कुंभकर्ण या कुंभा (1433-68 ई., जन्म मार्गशीर्ष कृष्णा पंचमी, 1417) का नाम बहुत सम्‍मान से लिया जा सकता है। कुंभा बहुत शिक्षित और साहित्‍य प्रेमी ही नहीं, स्‍वयं साहित्‍यकार था। कुंभा ने कई ग्रंथों की रचना की जिनमें से 16 हजार श्‍लोकों का पांच कोष वाला 'संगीतराज' तो ख्‍यातिलब्‍ध है ही, सूडप्रबंध और स्‍तंभराज, कामराज रतिसार जैसे ग्रंथ भी अल्‍पज्ञात ही सही, मगर उल्लेखनीय है। कुंभा ने 'गीतगोविंद' की रसिकप्रिय टीका और 'चंडीशतक' की वृत्ति लिखी और उसमें अपनी जन्मभूमि चित्तौड़ व कुल की मर्यादाओं को रेखांकित किया। कुंभा के 33 साल के

शून्य से शून्य तक की देन भारत की सनातन से पुरातन तक

               🙏वंदे मातरम् साथियों, *** शून्य से शून्य तक शून्य *** कुछ दिन पहले से सोशल मीडीया में एक प्रश्न किया जा रहा है शून्य की खोज किसने की थी ? जवाब आता है, आर्यभट्ट ने तब फिर रावण के दस सर की गिनती कैसे हुई ? आर्यभट्ट काल से शून्य को व्यवस्थित तरीके से व्यव्हार में लाया गया । यानि दाशमिक प्रणाली, गिनती तो वेदों में भी हैं। बहरहाल उस प्रश्न से एक विषय मिला और कुछ दिन के अध्ययन के बाद प्रस्तुत है शून्य से शून्य तक शून्य । शून्य यानि अंकगणित की दुनिया के इस हीरो, जिसे अंग्रेजी में ज़ीरो कहा जाता है, का जन्म भारत में हुआ था। यही शून्य था जिसकी वजह से यह प्रणाली जन्म ले पायी और जिसके बिना अंक गणित की कल्पना भी मुश्किल है। इसके बावजूद आज बोलचाल की हिंदी में शून्य से ज्यादा इस्तेमाल अंग्रेजी के जीरो या सिफर का होता है। मजे़ की बात यह कि दोनो शब्दों के पीछे संस्कृत का शून्यम् हैं। आज इस शून्य को जीरो अंडा कह दिया जाता है। मूर्ख व्यक्ति के दिमाग को सिफर की उपमा दी जाती है। तंत्रिका तंत्र जब काम नहीं करता तो उसे सुन्न होना कहते हैं। जहाँ निविड़ एकांत होता है

भारतीय प्राचीन विज्ञान के 25 ग्रंथ जो ऋषि मुनि की धारणा को ही बदल देंगे भरद्वाजकृत - अशुबोधिनी, यंत्रसर्वसव तथा आकाश शास्त्र,

     मित्रो वर्तमान समय में जन सामान्य में हमारे प्राचीन ऋषियों-मुनियों के बारे में ऐसी धारणा जड़ जमाकर बैठी हुई है कि वे जंगलों में रहते थे,जटाजूटधारी थे, भगवा वस्त्र पहनते थे, झोपड़ियों में रहते हुए दिन-रात ब्रह्म-चिन्तन में निमग्न रहते थे, सांसारिकता से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं रहता था। इसी पंगु अवधारणा का एक बहुत बड़ा अनर्थकारी पहलू यह है कि हम अपने महान पूर्वजों के जीवन के उस पक्ष को एकदम भुला बैठे, जो उनके महान् वैज्ञानिक होने को न केवल उजागर करता है वरन् सप्रमाण पुष्ट भी करता है। उन्ही महान वैज्ञानिक महर्षियों में से एक हैं महर्षि भारद्वाज जिनकी रचित अभियांत्रिकी विज्ञान से सम्बंधित ‘विमान शास्त्र‘ {Ancient Book on Aeronautics} मित्रो महर्षि भारद्वाज हमारे उन प्राचीन विज्ञानवेत्ताओं में ऐसे महान् वैज्ञानिक थे जिनका जीवन तो अति साधारण था लेकिन उनके पास लोकोपकार विज्ञान की महान दृष्टि थी। महर्षि भारद्वाज और कोई नही बल्कि वही महा ऋषि है जिन्हें त्रेता युग में भगवान राम से मिलने का सोभाग्य दो बार प्राप्त हुआ। एक बार श्री राम के वनवास काल में तथा दूसरी बार