ईस्ट इंडिया कंपनी 1600 AD में मात्र 70,000 पौंड में बनाई गई एक व्यापारिक संस्था थी ( रोमेश दत्त)। जब ये यूरोपीय ईसाई जलदस्यु (Pirate या Buccaneers लिखा इनको विल दुरान्त ने - कितना अच्छा और सम्मानीय लगता है न, ठीक वैसे ही जैसे हमारे इतिहासकार शरेआम डाका हत्या बलात्कार लूट और विनाश को Emperealism या उपनिवेशवाद लिखते हैं) विश्व के गैर ईसाइयों की जऱ जोरू जमीन पर कब्जा करने के लिए 16वीं शताब्दी में बाहर निकले तो इनके प्रतियोगी अन्य यूरोपीय ईसाई दस्यु मैदान में थे - डच स्पेनिश, पुर्तगीज, फ्रेंच - सबमे एक ही चीज कॉमन थी - डकैती के लिए ये अपने यूरोपीय ईसाई भाइयों की उतनी ही क्रूरता से लूटते और कत्ल करते थे - जितनी क्रूरता से उन गैर ईसाइयों का, जिनको लूटने ये निकले थे। खैर - मुख्य धारा में आइये। कंपनी ने जिन अनैतिक सेमी लिटरेट और अनपढ़ यूरोपीय ईसाइयो को नौकरी पर रखा उनमे दो शर्ते होती थीं कि वेतन कम होगा लेकिन #प्राइवेट_बिज़नेस की छूट हॉगी। अब देखिए ये भी कितना रहस्मयी शब्द है प्राइवेट बिज़नेस - अर्थात सरकारी पद के सदुपयोग से गैर ईसाइयों के लूट की छूट। ( खैर आज भी यह प्रैक्टिस जारी है लेकिन
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण