नेता जी सुभाष चन्द्र बोस: मृत्यु के जन्म की खोज" भाग (८) सुभाष चन्द्र बोस का जर्मनी प्रवास को लेकर लोग सबसे ज्यादा दिग्भ्रमित है. वहां उनके बिताये गए २ वर्षो के बारे में बहुत कम ही जानकारी उपलब्ध है. ज्यादातर द्वितीय विश्वयुद्ध के बात जो बात सामने आई वो ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गयी थी , जो एक विजेता का अपना सच था , उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस के बारे में एक तरफा ही बाते कहीं और उनके वास्तविक क्रिया कलापों और चरित्र को सामने न लाकर, उनके खिलाफ ही लिखा गया था . भारत का दुर्भाग्य यह रहा की ब्रटिश सरकार का ही सच, स्वतंत्रता के बाद से ही, नेहरु की कांग्रेस सरकार ने अपना लिया और सुभाष चन्द्र बोस के विरुद्ध कही जाने वाली बातो और आंकलन को, मौन हो कर सच बने रहने दिया गया. आगे और बताने से पहले यह बहुत जनना जरुरी है की ब्रिटिश शासन ने सुभाष चन्द्र बोस के खिलाफ बातो को क्यों प्रचारित किया और क्यों बोस के सच को सामने क्यों नही आने दिया गया. जब सुभाष चन्द्र बोस काबुल में थे और रूस में घुसने के लिए जरुरी पासपोर्ट और ट्रांजिट वीसा का इंतज़ार कर रहे थे तब ब्रिटिश सरकार को बोस के काबुल में होने
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण