लीजिए, ये हैं आपके "सद्गुरु उर्फ जग्गी वासुदेव" की असलियत की प्रथम कड़ी – वर्ष 2012 से पूर्व इस तथाकथित "सद्गुरु" की पहुँच या चर्चा कितने लोगों में या कितने लोगों तक थी? मुझे तो याद नहीं कि इससे पूर्व इनका डंका इतनी जोर से इससे पहले बज रहा था... अचानक से धूमकेतु की तरह, पूरे ताम झाम के साथ एक नये "धर्मगुरु" बाज़ार में आते हैं और भारत में लोग दीवाने बन जाते हैं क्योंकि सब कुछ बड़े ही सुनियोजित ढंग से होता है... इससे पूर्व "डबल श्री" जैसे पाखंडियों का साम्राज्य स्थापित हो चुका था जिनका सच जल्दी ही बाहर आ गया जब कुख्यात जाकिर नाइक की सभा में नाइक ने इनकी बोलती बंद कर दी क्योंकि इनके पास उसका काउंटर करने के लिए बुद्धि थी ही नहीं... वर्ष 2012 के नवंबर में "फ्रीमेसन्स" या "मेसन्स" की एक कार्यशाला सम्भवतः बैंगलोर में ही आयोजित की जाती है जिसमें दुनिया भर के "मेसन्स" आते हैं और उसमें "सद्गुरु" भी भाग लेते हैं... इन्हें आधे घंटे का समय बोलने के लिए दिया जाता है जिसे बढ़ाकर 1 घन्टा कर दिया जाता है... इसके बाद से ही भा
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण