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Showing posts from September, 2021

देसी गाय की नस्ल और उनके मूलस्थान से अलग करने से वर्णशंकरता की भयानक वृद्धि से भारतीय गोवंश पर खतरा

    देसी गौवंश पर ना केवल कत्लखानों से खतरा बना हुआ है बल्कि उससे भी बड़ा खतरा वर्णशंकरता से हो रहा है पिछली सरकारों व इस आधुनिक शिक्षा के पढ़े हुए मानसिक गुलाम वैज्ञानिकों ने विदेशों से विदेशी नस्लों के मध्यम से बर्बाद किया अब वही काम हमारे गौ पालक गौ प्रेमी भी अपने हाथों अपना विनाश करने का प्रयास में अधिक दूध की हवस में भारतीय नस्लों को उनकी मूल स्थान से इधर उधर ले जाकर वर्णशंकरता को बढ़ाने का भयंकर पाप कर रहे हैं ।जिससे पूरी गौवंश के मिटने की खतरा बढ़ गया है और वही कुछ तथाकथित गौ रक्षक गौ नाम से दुकानदारी चलाने धन पद प्रतिष्ठा के लोभी इन्हीं वैज्ञानिक और सरकार यंत्रों से महिमामंडित होने और करने के प्रयास में लगकर अपनी उर्जा बर्बाद कर रहे भारत की सभी देशी गायों की नस्लो का नाम और उनसे संबंधित पूरी जानकारी एक साथ आप तक पहुंचा रहा हूं अभी तक लोगों को गायों की साहीवाल, गिर, थारपारकर जैसी देसी नस्लों के बारे में ही पता है, लेकिन आज हम ऐसी ही गाय की देसी नस्लों के बारे में बता रहे हैं जिनमें से कई विलुप्त हो गईं हैं और कुछ विलुप्त होने के कागार पर हैं। https://ajaykarmyogi.blogspot.com/20

अनेक अलोकिक चमत्कारिक शक्ति के विशेषताओं से युक्त ब्रम्ह कमल

  प्रकृत्ति से जुड़ी हर चीज बहुत खूबसूरत है, चाहे वो नदियां हों या तालाब, फूल हों या पेड़-पौधे, ये सभी ना सिर्फ आकर्षक हैं बल्कि कई ऐसे गुणों से लैस भी हैं जो मानव हित के काम आते हैं। इनमें से कुछ तो पूरी तरह दैवीय शक्ति वाले माने जाते हैं। अनेक अलोकिक चमत्कारिक शक्ति के विशेषताओं से युक्त ब्रम्ह कमल एक पवित्र फूल है। कुछ शोध के मुताबिक वैद्य लोगो का ऐसा कहना है, की इसकी पंखुड़ियों से टपकने वाली बुँदे अमृत के समान होता है। इसके अलावा यह फूल कई बिमारियों में भी लाभदायक होता है। आज हम इससे जुड़ी कई बातो के बारे जमीन जानेगे। जैसे की ब्रह्म कमल कब खिलता है, इसे किस देवता को चढ़ाया जाता है। ब्रह्म कमल का पौधा कैसे लगाये और इसका पौधा कहाँ मिलेगा। इससे जुड़ी और भी कई रोचक जानकारियां आपको मिलने वाली है। तो चलिए जानते है, ब्रह्म कमल की विशेषता के बारे में – ब्रह्म कमल एक प्रकार का फूल होता है, जिसका वानस्पतिक नाम : Saussurea Obvallata है। इसकी 24 प्रजातियां उत्तराखंड राज्य में मिलती है, इसे उत्तराखंड में कौल पद्म नाम से भी जाना जाता है, कुछ किवदंतियों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है, की इस फूल का नाम