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Showing posts from June, 2020

विदेशी लुटेरों द्वारा सोने को लूटने का क्रम आज भी जारी है इस बैंकिंगव्यवस्था के षड्यंत्र द्वारा

      पर हस्ते गतम् विद्या , पर हस्ते गतम् धनम् कार्य काले समुत्पन्ने, नातद्  विद्या , ना तद् धनम् ।। दूसरे के पास में विद्या और दूसरे के हाथ में रखा गया धन यह आपकी कार्य के समय या आवश्यकता के समय न वह विद्या आपकी है ना वह धन भी आपका है यह बात हजारों साल से हमारे शास्त्रों में लिखी गई है पर हमें इसका कोई ज्ञान नहीं हो पाया और हमने अपने सारे धन उठाकर के बैंकों में डालकर निश्चिंत हो गए कागज की करेंसी ही लेता तो कोई बात नहीं अब तो घर में रखे हुए सारे गहने जेवरात और सोने चांदी सब वहीं पर कलेक्शन हो रहा है और तो और अब इन्हीं सोने देने पर आपको कर्जदार भी बनाया जा रहा है भारत मे सेविंग और FD पर ब्याज इसलिये दिया जाता है तांकि लोगों को सोने में निवेश से रोका जा सके । अगर सोने में निवेश होता रहेगा तो भारत पुनः सोने की चिड़िया बन जायेगा । सोने में निवेश होने से डॉलर की कीमत सोने के विरुद्ध गिरती जाती है । जैसे जैसे सोने की मांग बढ़ती जाएगी डॉलर का अवमूल्यन होता जाएगा । हो सकता है कि एक समय डॉलर के स्थान पर सोना अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मुद्रा बन जाये । इसलिये स्वर्ण में निवेश रोकने के लिये सरकार स

विश्व को गुलाम बनाने में बैंकिंग प्रणाली की चाल

आखिर कौन है बैंकिंग फैमिली Banking Family रौथ्सचिल्ड परिवार और भारत से रौथस्चाइल्ड का क्या सम्बन्ध है...? 👉कैसे रोथ्स्चाइल्ड ने बैंकों के माध्यम से भारत पर कब्जा किया???? आइए जानते हैं। भारत इतना समृद्ध देश था कि उसे `सोने की चिडिया ‘🐦 कहा जाता था । भारत की इस शोहरत ने पर्यटकों और लुटेरों  दोनों को आकर्षित किया । यह बात तब की है जब ईस्ट इन्डिया कम्पनी को भारत के साथ व्यापार करने का अधिकार प्राप्त नहीं हुआ था । उसके बाद क्या हुआ यह नीचे पढिये👇: ------ सन् १६०० – ईस्ट इन्डिया कम्पनी को भारत के साथ व्यापार करने की स्वीकृति मिली। १६०८ – इस दौरान कम्पनी के जहाज सूरत की बन्दरगाह पर आने लगे जिसे व्यापारके लिये आगमन और प्रस्थान क्षेत्र नियुक्त किया गया। अगले दो सालों में ईस्ट इन्डिया कम्पनी ने दक्षिण भारत में बंगाल की खाड़ी के कोरोमन्डल तट पर मछिलीपटनम नामक नगर में अपना पहला कारखाना खोला । १७५० – ईस्ट इन्डिया कम्पनी ने अपने २ लाख सैनिकों की निजी सेना के वित्त प्रबन्ध के लिये बंगाल और बिहार में अफीम की खेती शुरु कर दी । बंगाल में इसके कारण खाद्य फसलों की जो बर्बादी हुई उससे अकाल की स्थिति प

क्या पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है

  हम सनातन हिन्दूधर्मी बचपन से ही एक बात सुनते आ रहे हैं कि.... हमारी पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है... और, जब वो (शेषनाग) थोड़ा सा हिलते है... तो, भूकंप आता है..! और, अंग्रेजी स्कूलों के पढ़े... तथा, हर चीज को वैज्ञानिक नजरिये से देखने वाले आज के बच्चे.... हमारे धर्मग्रंथ की इस बात को हँसी में उड़ा देते हैं... एवं, वामपंथियों और मलेच्छों के प्रभाव में आकर इसका मजाक उड़ाते हैं..! दरअसल, हमारी "पृथ्वी और शेषनाग वाली बात" महाभारत में इस प्रकार उल्लेखित है... "अधॊ महीं गच्छ भुजंगमॊत्तम; सवयं तवैषा विवरं परदास्यति। इमां धरां धारयता तवया हि मे; महत परियं शेषकृतं भविष्यति।।" (महाभारत आदिपर्व के आस्तिक उपपर्व के 36 वें अध्याय का श्लोक ) इसमें ही वर्णन मिलता है कि... शेषनाग को ब्रह्मा जी धरती को धारण करने को कहते हैं... और, क्रमशः आगे के श्लोक में शेषनाग जी आदेश के पालन हेतु पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लेते हैं. लेकिन इसमे लिखा है कि... शेषनाग को.... हमारी पृथ्वी को... धरती के "भीतर से" धारण करना है... न कि, खुद को बाहर वायुमंडल में स्थित करके पृथ्वी को अपने ऊपर

आयुर्वेद भी नकली ये अंग्रेजी आयुर्वेद है!

अंग्रेजो के आने से पहले यहाँ कोई आयुर्वेदिक कंपनी नही थी। लेकिन हर बाजार में पंसारी की दुकान थी। हर गाँव मे आयुर्वेद के जानकार वैद्य थे। जो खुद अपने पास जड़ी बूटियां उगाते थे। जो कम पड़ता था वो दुकान से लाते थे। क्योंकि कुछ जड़ी बूटियां ऐसी थी जो सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रों में ही मिलती थी। वैद्य खुद जड़ी बूटियों के माध्यम से दवाई बनाते थे। किसी भी कंपनी का उत्पाद नही खिला रहे थे। फिर आये अंग्रेज फिर शुरू डाक्टर बनाने का खेल । दवाई बनाने का लाइसेंस दवाई बेचने का लाइसेंस । फिर अंग्रेजो ने बनाया हॉस्पिटल फिर अंग्रेजो ने बनाया फार्मासिस्ट। फिर अंग्रेजो ने बनाया बीमारी जांच करने की मशीन खून पिसाब चेक करने लेकर हर चीज़ चेक करने की मशीन एक्सरे अल्ट्रासाउंड, MRI, citiscan बड़े बड़े लैब चलाने के लाइसेंस फिर शुरू हुआ आपरेशन का दौर। फिर शुरू हुआ नई नई बीमारी का नामकरण फिर मनाया गया बड़ी बड़ी बीमारी का बीमारी दिवस जैसे कैंसर दिवस ,एड्स दिवस, टीबी दिवस मेलरिया दिवस पोलियो दिवस। अब पूरी दुनिया मे लाखो करोड़ का कारोबार बीमारी को ठीक करने के नाम पर चल रहा है। शेयर मार्केट शेयर बिक रहे है। हमारा वैद्य न

क्या हिटलर उन धन माफियाओं से लडते हुए खतम हो गया ,

   सचिव वैद गुरु तीन जो प्रिय बोलहिं भैआस राज धर्म तन तीन का होंई बेग ही नाश  इसका मतलब यह हुआ  सचिव वैद्य और गुरु यदि केवल प्रिय बोलना शुरू करें तो सचिव के माध्यम से राज्य का पतन होता है वैद्य अगर केवल मीठे मीठे खाने को और मीठी-मीठी बातों को बताएं कड़वी बात या कड़वी घुँट ना दे तो उस शरीर का रुग्ण होना पक्का है गुरु या सलाहकार आपको सही सलाह ना देकर केवल आपको चिकनी चुपडी बातें बताएं तो धर्म का भी नाश हो जाता है हमारे पूरे भारत खंड की तकलीफ, बेचारापन, असमानता, लाचारी का कारण क्या है । हमारी आबादी पूरे युरोपसे कई गुना अधीक रही है । कुदरत की दी हुई बक्षिसें, नदियां, पहाड, खेत के मामले में भी युरोप से कहीं आगे हैं । हिन्दुस्तान सचमुच सोनेकी चिडिया था । और अगर ये सोनेकी चिडिया ना होता तो युरोप की प्रजा कभी भी भारत नही आती । लेकिन इस कुदरती की बक्षिस और भारी आबादी के बावजुद भारत गुलाम है, गरीब है, वंचित है । क्यों ? असली कारण भारतियों का रवैया है । भारत के लोगोमें एकमत नही है । ये लोग अलग अलग जाति, धर्म और बिरादरी में बंटे हुये हैं इसलिए वो गुलाम है । याद रख्खो, जीस प्रजामें एकता नही होती वो

वर्षा व मौसम अनुमान में चींंटी और शास्त्र की भूमिका

  ऋतु परिवर्तन और प्रकृति के चक्र के निर्धारण के पीछे मानव को कई प्राणियों से प्रेरणाएं भी मिली हैं। बारिश को ही लीजिये, घाम के दौर में जब उमस बढ़ती है, बच्चों ही क्या हमारे बदन में घमौरियां फूट पड़ती है और चींटियां निकल पड़ती है सुरक्षित स्थान की ओर। कभी देखा है ? चींटियां कहां रहती है, यह हमसे ज्यादा अच्छी तरह कोई चींटीखोर (पेंगोलिन) ही जानता है लेकिन आषाढ़ मास में वे जगह बदलने लगती है तो हमें उनकी रेंगती कतारें दीख जाती है। उनके मुंह में सफेद-सफेद चीनी के कण जैसे अंडे होते हैं। यह बारिश के आगमन के लक्षण है। "सद्यो वृष्टि" यानी तत्काल बरसात के संकेत के रूप में यह तथ्य इतना प्रभावी और अचूक है कि अनेक किताबों में लिखा गया है। मयूर चित्रकम् से लेकर गुरुसंहिता और घाघ व सहदेव की उक्तियों तक यह संकेत मिल जाता है। वराहमिहिर इस संकेत के लिए गर्ग और नारद का ऋणि है : विनापघातेन पिपीलिकानामण्डोप संक्रान्ति...। इसका मतलब है कि बेवजह चींटिंयां बिलों से बाहर अंडे लेकर निकल पड़ें और महफूज होने को आतुर लगें तो जल्द बारिश का योग जान लेना चाहिये। है न आषाढ़ की एक बड़ी घटना लेकिन हम में से कि

प्रेम होता तो होगा हर युग और काल में था पर प्रदर्शन दिखावा नहीं होता था

     प्रेम होता तो होगा हर युग और काल में, पर पिछली कई पीढ़ियों में बेचारा दिखाता नहीं था.भोजन से पेट तो नहीं भरता लेकिन शरीर में पोषण की कोई कमी नहीं थी पर जिस तरह से आज कल थाली भर गई है विविध  ब्यंजनों से पर आज साठ पर्सेंट हमारे बच्चे कुपोषित हो गए वह समय प्रेम के प्रदर्शन का दुर्भिक्ष काल तो था प्रेम की कोई कमी नहीं थी. जैसे कोठी के अंदर थैले भर धान को खाने के लिए नहीं, बीज के लिए बचा कर रख लिया गया हो. विवाह के पहले, बाद में, बाहर और इतर तो छोड़िए, विवाह के अंदर भी प्रेम वर्जित सा था. पिछली पीढ़ी के बुजुर्गों को देखता था, पत्नी के साथ कैसे चलते थे? सड़क पर अगर कभी साथ बाहर निकलना भी होता था तो पुरुष और स्त्री के बीच दस मीटर की दूरी जरूर होती थी. पुरुष दस कदम आगे. नहीं, ऐसा इसलिए नहीं कि पुरुष तेज चलता है. क्योंकि यह दस मीटर की दूरी बनी रहती थी, बढ़ती नहीं थी. पर यह भी उस पीढ़ी में एक नई घटना ही रही होगी. क्योंकि उसके पहले की पीढ़ी के पति पत्नी कभी भी साथ देखे ही नहीं जाते थे. आधा दर्जन बच्चे कब और कैसे होते थे यह कल्पना का विषय है. बच्चे पैदा करना जरूरी था, पर बच्चे पैदा होने के

Habib सैलून का जिहादी कैसे बना अरबपति और नाई कंगाल

     *हम ठगी नहीं छोड़ सकते*  कड़वी सच्चाई तो यही है कि *हम भारतीय तो एक-दूजे से ठगी मार कर काम चलाते हैं ।* हमें न व्यापार आता है न व्यवहार और न परिस्थितियों के अनुसार ढलना ही आता है ।   हम केवल नौकर बनना जानते हैं इस लाकडाउन में बड़ी-बड़ी सैलूनों में काम करने वाले नाई अपनी पुरानी जजमानी प्रथा के 10 -15 घरों में होम सर्विस को पकड़ लें  तो यह बड़े-बड़े सैलून और बड़ी बड़ी कंपनियों को धूल चटा सकते हैं क्योंकि इन कंपनियों को अपने ग्राहक अपनी दुकान तक पहूचानें के लिए  करोड़ों  अरबों खर्च  इन्हें मार्केटिंग एडवरटाइजिंग में करना पड़ता है और घर पर सर्विश देने के लिए  यह दोगुना तिगुना चार्ज करते हैं यह अगर चाहें तो कंपनियों की सप्लाई लाइन काटकर इन्हें सुखा सकते  कंपनियों की  बैंड बजा सकते हैं स्वयं समृद्ध होकर इस राष्ट्र और समाज को भी समृद्ध बनाते पर.....जबसे लॉक डाउन हुआ है तबसे नाई घर पर ठाले बैठे हैं । हमारा जिला ग्रीन जॉन में है, कल सोचा कि नाई को घर पर बुला कर हजामत करवा ली जाए । यदि आता तो मुहल्ले के ओर भी पांच-सात तैयार हो जाते पर पता किया तो जाना कि घर आकर काटने के 40 की बजाए 10

अमेरीका के हेनरी किशिनजर की गोपनीय यात्रा और राष्ट्रपति रिचर्ड निक्संन के प्रश्रय ने ही बनाया चाइना को महाभयानक दैत्य जो उसी को खा रहा है

    सोवियत संघ के पतन के बाद पेंटागन के एक उच्चाधिकारी ने कहा था कि अब हमारे स्तर का कोई शत्रु दुनिया मे नहीं रहा। लगता है, उस अधिकारी की यह अहंकार भरी बात किसी मुस्कुराते शैतान ने सुन ली थी, जिसने आज अमेरिका के सामने चीन के रूप में एक दुर्धर्ष शत्रु को खड़ा कर दिया है। चीन को इतना शक्तिशाली बनाने के पीछे भी अमेरिका ही है। जुलाई 1971 में अमेरिका के नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर हेनरी किसिंजर ने चीन से कूटनीति स्तर के सम्बंध स्थापित करने के लिए चोरी से चीन की यात्रा की थी, जिसके फल स्वरूप फरवरी 1972 में अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चीन की यात्रा की थी। उस समय चाइना कम्युनिस्ट पार्टी के चैयरमेन मायो देजोंग थे। यह किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली चीन यात्रा थी। सप्ताहभर चली उस यात्रा ने दुनिया के सभी देशों को चकित किया था, क्योंकि कुछ साल पहले वियतनाम ने चीन की सहायता से अमेरिका को हराया था जिसमें 50,000 अमेरिकन सैनिक मारे गए थे। कुछ भी हो इस यात्रा के बाद चीन के भाग्य के द्वार खुल गए थे। मायो ने निक्सन से कहा था कि हमारे पास सस्ते मजदूर है, और आपके पास टेक्नॉलॉजी, दोनों

NASA के scientist की गणना गलत हो सकता हैं पर खगोल शास्त्र व ज्योतिष शास्त्र की नहीं

    आप कभी कल्पना करके देखना आपका दिमाग़ चकरा जाएगा कि 1000 वर्ष पूर्व और 1000 वर्ष बाद कौन सी तारीख को ,  कितने बज कर कितने बजे तक ( घड़ी , पल , विपल )  कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या होगा , यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है ! क्या कभी नोटिस किया है आपने ???? इसका अर्थ क्या है ??? इसका अर्थ यह है कि हमारे ऋषि मुनियों , वेदज्ञ , सनातन धर्म में पहले से यह पता था कि चन्द्रमा , पृथ्वी , सूर्य इत्यादि का व्यास ( Diameter ) क्या है ? उनकी घूर्णन गति क्या है ??  ( Velocity ऑफ़ Rotation ) क्या है ? उनकी revolution velocity और time क्या है ? पृथ्वी से सूर्य की दूरी , सूर्य से चन्द्र की दूरी , चन्द्र की पृथ्वी से दूरी कितनी है ?? इन सबका specific gravity , velocity , magnitude , circumference , diameter , radius , specific velocity , gravitational energy , pull कितना है ?? इतनी सटीक गणना होती है कि एक बार NASA के scientist ग़लती कर सकते हैं seconds की लेकिन ज्योतिष विज्ञान नहीं ! वो तो बस हम लोगों को हमारे ऋषि मुनियों ने juice निकाल क

सनातन लोकसंस्कृति के आर्थिक मॉडल को फिर से अपनाइए। बेरोजगारी, पलायन और स्लम से मुक्ति पाइए

   लोकसंस्कृति की शिक्षा व्यवस्था आज मुसलमानों ने अपना कर आपके हर रोजगार पर कब्जा कर लिया और आप लोग ब्राह्मणों और अंग्रेजों की मिली जुली शिक्षा व्यवस्था अपना कर बेरोजगारों की फौज खङी कर दी। लोकसंस्कृति की शिक्षा व्यवस्था क्या थी? लोकसंस्कृति की शिक्षा व्यवस्था थी की जितना आपके काम, आपके व्यापार, आपके व्यवसाय एवं विस्तार के लिए भाषा, विज्ञान और हिसाब किताब के ज्ञान की जरुरत है वो पोथी से प्राप्त कर लिजिए। इतिहास, समाज और संस्कृति का ज्ञान परम्पराओं, लोक कथाओं, पारिवारिक संस्कार, लोकगीत, लोकाचार के माध्यम से पा लिजिए और अन्ततः कोई एक काम ठीक से करना सीख लिजिए। यदि आप कोई अलग सा काम सीखने मे भी अयोग्य हैं तो भी कोई बात नहीं। जो काम आपके दादे परदादे करते आये हैं उसे आप बचपन से देखते देखते संस्कार की तरह सीख लेंगे। यदि आपको गैर उत्पादक विषयों अर्थात ब्राह्मण शिक्षा व्यवस्था के विषयों जैसे अध्यात्म, दर्शन, इतिहास, समाज विज्ञान, साहित्य, भाषा, शोध आदि मे विशेष रुची है तो अपनी रुची के अनुसार ही उसका अध्ययन करिये वरना मत करिये। यह भी याद रखिये की ब्राह्मण चूँकि गैर उत्पादक विषयों