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Showing posts from November, 2017

श्राद्ध का ऐतिहासिक महत्व पितृ पक्ष मैं तर्पण दान परंपरा का शास्त्री विधान

*श्रद्धा से श्राद्ध शब्द बना है। श्रद्धा पूर्वक किए हुए कार्य को श्राद्ध कहते हैं।* सत्कार्यों के लिए सत्पुरुषों के लिए सद्भाव के लिए अंदर की कृतज्ञता  की भावना रखना ही श्रद्धा कहलाता है। *उपकारी तत्वों के प्रति आदर प्रकट करना जिन्होंने अपने को किसी प्रकार लाभ पहुंचाया है, उनके लिए कृतज्ञ होना श्रद्धालुओं का आवश्यक कर्तव्य है।* ऐसी श्रद्धा ही धर्म का मेरुदंड है इस श्रद्धा को हटा दिया जाए तो धर्म के सारी महत्ता नष्ट हो जाएगी और वह एक निः सत्व पुछ मात्र बनकर रह जाएगा। *श्रद्धा ही धर्म का एक अंग है इसलिए श्राद्ध उसका धार्मिक कृत्य है* इस प्रकार जीवन में जो भी कार्य श्रृद्धा पूर्वक किते जाते हैं।वे ही श्रेष्ठ फल प्रदान करते हैं।   https://ajaykarmyogi.blogspot.com/2017/11/blog-post_26.html?m=1 पर अब्राहिमिक संस्कृतियों के दरिंदे हमारे आस्था और श्रद्धा विश्वास पर अनेक घात कर रहे हैं हमें इससे अलग करने का षड्यंत्र जो पिछले हजार साल से चल रहा अपने पूर्वजों का अतुलनीय योगदान का यह एक पक्ष है हे परम आदरणीय एवं पूज्यनींय पूर्वजों हम आपको नमन करते हैं सात सौ साल के इस्लामिक हैवानिक राज और दो
Manchester Univ. Confirms: This is How Isaac Newton Stole Concept of Gravity from a Hindu Gurukul A little known school of scholars in south India discovered one of the founding principles of modern mathematics hundreds of years before Isaac Newton according to this new finding by Manchester University. Many would not believe how christian missionaries also helped in transporting this Information to Britian in 15th Century. Dr George verghese Joseph from The University of Manchester says the ‘Kerala School’ identified the ‘infinite series’- one of the basic components of calculus – in about 1350. The discovery is currently and wrongly attributed in books to Sir Isaac Newton and Gottfried Leibnitz at the end of the seventeenth centuries. The team from the Universities of Manchester and Exeter reveal the Kerala School also discovered what amounted to the Pi series and used it to calculate Pi correct to 9, 10 and later 17 decimal places. And there is strong circ
*भारतीय संस्कृति पर षड्यंत्र* *_क्या महिला सशक्तिकरण के नाम पर सन्नी लियोन जैसी स्त्रियां समाज का आइना होंगी ?_* वर्तमान की भारतीय राजनीति में एक कौम अपनी पराजय और विफलता को बर्दास्त नहीं कर पा रही है ........ इसीलिए एक मनोवैज्ञानिक वर्चस्व हिंदुओं पर स्थापित करने के  षड्यंत्र रचे जा रहे है और यह षड्यंत्र कभी फिल्मों के माध्यम से कभी सरकारी संस्थाओं के माध्यम से और कभी भारत के मीडिया के माध्यम से, यहाँ यह समझने की आवश्यकता है कि......हर षड्यंत्र हिंदुओं की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक अस्मिता को नष्ट करने के लक्ष्य से हो रहा है अब भी  चुप रहे तो आने वाले समय एक एक करके हिन्दू धर्म की परम्पराओं, ग्रंथों और सोलह संस्कारों को फिल्मों, टीवी सीरियल और मीडिया के माध्यम से नष्ट किया जाएगा। तब तक बहुत देर हो चुकी होगी .....!! विश्व सुंदरी प्रतियोगिता में जीतकर कोई देश का गौरव नहीं बढ़ता और ना ही कोई देशहित होता है‌। कुछ लोग गीता-बबीता फोगट और इस प्रतियोगिता की विजेताओं की ड्रेस को एक जैसा बता रहे हैं ,  ऐसे मानसिक विकलांग कहाँ जाये ...... विश्व सुन्दरी औरत की देह दर्शन का ही वैश्वि
करणी सेना का नया ट्रेलर बाउंसर थिएटर मालिक सबकी धूलाई
मैं ब्राह्मण नही हूँ। कल एक वामी satya Raja मेरी पोस्ट पर ब्राह्मण के खिलाफ गालियां लिख रहा था। उस मनहूस को ये पोस्ट समर्पित करता हूँ। सवर्णों में एक जाति आती है ब्राह्मण, जिस पर सदियों से राक्षस, पिशाच, दैत्य, यवन, मुगल, अंग्रेज, कांग्रेस, सपा, बसपा, वामपंथी, भाजपा, सभी राजनीतिक पार्टियाँ, विभिन्न जातियाँ आक्रमण करते आ रहे हैं। आरोप ये लगे कि ~ब्राह्मणों ने जाति का बँटवारा किया। उत्तर - सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद जो अपौरुषेय है और जिसका संकलन वेद व्यास जी ने किया, जो मल्लाहिन के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। 18 पुराण, महाभारत, गीता सब व्यास जी रचित है जिसमें वर्णव्यवस्था और जाति व्यवस्था दी गयी है। रचनाकार व्यास ब्राह्मण जाति से नही थे। ऐसे ही कालीदास आदि कई कवि जो वर्णव्यवस्था और जातिव्यवस्था के पक्षधर थे जन्मजात ब्राह्मण नहीं थे। अब मेरा प्रश्न उस satya raja के लिए कोई एक भी ग्रन्थ का नाम बताओ जिसमें जाति व्यवस्था लिखी गयी हो और उसे ब्राह्मण ने लिखा हो? शायद एक भी नही मिलेगा। मुझे पता है तुम मनु स्मृति का ही नाम लोगे, जिसके लेखक मनु महाराज थे, जो कि क्षत्रिय थे। मनु स्म
कैसे हम जिंदगी जीवे स्वस्थ एवं दीर्धायु जीवन का राजमार्ग जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या प्रातः 3 से 5 जीवनीशक्ति विशेष रूप से : फेफड़ो में गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घुमे व् प्राणायाम करे । सूबह 5 से 7 जीवनीशक्ति : बड़ी आँत में प्रातः जागरण से सुबह 7 बजे के बिच मल -त्याग एवं स्नान कर ले ।सुबह 7 बजे के बाद मल त्याग से अनेक बीमारियाँ होती है । सूबह 7 से 9 जीवनीशक्ति : आमाशय में दूध या फलो का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते है । सुबह 9 से 11 अग्न्याशय व् प्लीहा में यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । दोपहर 11 से 1            जीवनीशक्ति : हृदय में दोपहर 12 बजे के आसपास जप-ध्यान करें भोजन वर्जित । दोपहर 1 से 3 जीवनीशक्ति : छोटी आँत में भोजन के करीब 2 घण्टे बाद पानी पीये । इस समय भोजन करने या सोने से शरीर रोगी व् दुर्बल हो जाता है । दोपहर 3 से 5 जीवनीशक्ति : मूत्राशय में 2-4 घण्टे पहले पीये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृति होगी । शाम 5 से 7 जीवनीशक्ति : गुर्दे में हल्का भोजन कर लें ।तिन घण्टे बाद दूध पी सकते है । रात्रि 7 से 9 जीवनीशक्ति : मस्तिष्क में
ये विचार करने योग्य तथ्य है मानव इतिहास के 10 लाख सालो में एक ही समय पर इतने सारे महान वैज्ञानिक कैसे पैदा हो गए?? एक ही समय ईश्वर ने छपढ फाड़ के सभी वैज्ञानिक यूरोप में ही पैदा किये???? ज्यादातर मूल सिद्धांतो को खोजने में गोरी चमड़ी वालो ने कोई मेहनत नहीं की बल्कि हमारे ऋषि महर्षियों के शोध पत्रों का अनुवाद संस्कृत से अंग्रेंजी में कर के अपना नाम लिख कर पेटेंट करा लिया।। वास्तविक ज्ञान तो हमारे ही देश में है लेकिन हम उसको देखना नहीं चाहते न ही उस पर शोध करना चाहते । जब यही ज्ञान घूम फिरकर विदेशो के रस्ते भारत आता है तब लोग उस पर यकीन करते है 1947 में transfer of power agreement हुआ था 536 सन्धियां करके अज़ादी का नाम दिया गया और कहा गया के भारत अज़ाद हो गया भारतीय शिक्षा पदति, संस्कृत और आयुर्वेद को बढ़ावा नही दिया गया, जिसे की हम हमारे ऋषि मुनियो के शोध पत्रो और अपने वेदो को न पढ़ सके, अजय कर्मयोगी
घर में जल जाए हाथ तो तुरंत अपनाये ये चमत्कारी घरेलु उपाय, इनसे मिलेगी राहत दुनिया में औरतें सबसे ज्यादा काम करने वाली प्राणी हैं. औरतों को बिना छुट्टी के साल के 365 दिन ही काम करना पड़ता है. शादी से पहले माँ के घर का काम करतीं हैं और शादी के बाद पति के घर का. कभी बच्चो को तयार करना, खाना बनाना, बर्तन धोने तो कभी कपड़े धोने. कुल मिलाकर बिना किसी ब्रेक के हर औरत एक मशीन की तरह काम करती है. इस गहमा गहमी में कईं बार उसका थकावट से या किसी परेशानी के कारण काम से ध्यान हट जाता है. और वो कहते हैं ना कि, “सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी“. ऐसा ही कुछ घर की औरतों के साथ भी होता है. कई बार किचन में काम करते करते इनका ध्यान काम से हट जाता है और जिसके कारण इन्हें चोट लग जाती है या हाथ जल जाता है. रसोई घर में काम करते वक्त हाथ का जलना मामूली सी बात है. लेकिन, कईं बार ये घाव इतने गहरे हो जाते हैं कि मानो जान ही निकल जाएगी. लेकिन आज हम आपके लिए कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे लेकर आये हैं, जिन्हें अपना कर आप आसानी से हाथ के जले हुए जख्म को ठीक कर सकते हैं. तो चलिए देर किस बात की? जानते हैं पूरी खबर आखिर क्या है
वैसे आपने कभी अपने नाभी पर ध्यान दिया है? यदि नहीं, तो ज़रा एक बार गौर कीजिये, क्योंकि यह आपके व्यक्तित्व और भविष्य से जुड़े कई राज़ खोलती है। नाभी के माध्यम से अपना भविष्य जानना काफी दिलचस्प है। कुछ लोगों का मानना है कि नाभी को देखकर भी शायद भविष्यवाणी की जा सकती है,  शरीर पर बने कुछ निशान व्यक्ति के जीवन और उसके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। आपको शायद विश्वास ना हो, तो  क्यों ना अपनी नाभी पर एक नज़र डाली जाए और देखा जाए कि इसे लेकर जो बातें कही गयी है वो सही या नहीं? 1. स्थिर और आरामदायक ये बात महिलाओं और पुरुष दोनों के लिए है, यदि आपकी नाभी तीन सामान्य भागों में विभाजित है, तो इसका मतलब है कि आपका स्वास्थ्य सही है और आपकी पारिवारिक और आर्थिक स्थिति भी ठीक रहेगी। इसलिए आप स्थिर और आरामदायक जीवन व्यतीत करेंगे। 2. गोल नाभी यदि आपकी नाभी गोल है, इसका मतलब आपकी जिंदगी उलझी हुई है। आप कई बार प्यार के चक्कर में पड़ सकते हैं और हर बार इसमें असफल भी हो सकते हैं। और आपको अपनी स्वास्थ्य का भी खास खयाल रखना होगा। 3. अंडाकार नाभी यदि आपकी नाभी अंडाकार है, इस
भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता भाई राजीव दीक्षित जी को समर्पित जानिये मैक्स मुलर ने भारतीय ग्रंथो के साथ क्या क्या किया ! मित्रो बहुत कम लोग जानते है की हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें,शास्त्र और इतिहास के साथ अंग्रेज़ो ने बहुत छेड़खानी करी है ! आपको सुन कर हैरानी होगी भारत मे एक मूल प्रति है मनुसमृति की जो हजारो वर्षो से आई है और एक मनुस्मृति अंग्रेज़ो ने लिखवाई है ! और अंग्रेज़ो ने इसको लिखवाने मे मैक्स मुलर की मदद ली थी मैक्स मुलर एक जर्मन विद्वान था जिसको संस्कृति बहुत अच्छे से आती थी उसको कहा गया की तुम भारत के शास्त्रो को पढ़ो और पढ़ कर हमको बताओ की उनमे क्या है फिर जरूरत पढ़ने पर इसमे फेरबदल करेंगे ! तब मैक्स मुलर ने मनुस्मृति का अनुवाद किया पहले जर्मन मे किया फिर अँग्रेजी मे किया तब अंग्रेज़ो को समझ आया की मनुस्मृति तो भारत की न्यायव्यवस्था की सबसे बड़ी पुस्तक है और भारत की न्याय व्यवस्था का आधार है ! तो उन्होने मनुसमृति मे ऐसे विक्षेप डलवा दिये ताकि भारत वासियो को भ्रमाया जा सके और उनको गलत रास्ते पर चलाया जा सके ! उनको मनुस्मृति के प्रति बहुत ज्यादा नीचाई की भावना पैदा हो इस तरह के वि

हिंदू पंचांग का वास्तविक विवेचन

हिन्दू पंचांग   www.ajaykarmyogi.blogspot.com               हिन्दू  समाज द्वारा माने जाने वाला  कैलेंडर  है। इसके भिन्न-भिन्न रूप मे यह लगभग पूरे  नेपाल  और  भारत  मे माना जाता है।  पंचांग  (पंच + अंग = पांच अंग)  हिन्दू  काल-गणना की रीति से निर्मित पारम्परिक  कैलेण्डर  या कालदर्शक को कहते हैं। पंचांग नाम पाँच प्रमुख भागों से बने होने के कारण है, यह है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक साल में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं। १२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन  विक्रम संवत  से शुरू हुआ। महीने का हिसाब  सूर्य  व  चंद्रमा की गति पैर रखा जाता है। यह १२  राशियाँ  बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि मे प्