अव्यवहारिक अंग्रेजी कैलेंडर और अंग्रेजी गुलामी मानसिकता से आजादी के तिहत्तर साल के बाद भी क्यों नहीं निकल सकते
अव्यवहारिक अभारतीय कॉल गणना से इन कथित आजादी के 73 साल बाद भी क्यों नहीं बाहर निकल पा रहे हैं। इसी का विश्लेषण और समग्र चिंतन आपके सामने रखने का प्रयास किया है जो शायद आपको इस गुलामी मानसिकता से बाहर निकलने में सहयोगी बने “वर्ष" शब्द में एक भ्रम व एक तथ्य अन्तर्निहित है। तथ्य — ऋतुएँ एक निश्चित क्रम से आती हैं जिससे वर्ष नामक एक चक्र बनता है जिसका मान निर्धारित है। इस चक्र में आधारभूत 4 बिन्दु हैं अर्थात् इस चक्र के आरम्भ के 4 विकल्प हैं — 1. सबसे बड़ा दिन (इसी दिन से वर्ष/वर्षा का आरम्भ मनाया जाता था क्योंकि भारत“वर्ष" कृषिप्रधान था) 2. शरद् में दिन-रात की अवधि समान (कालान्तर में इसी दिन से वर्ष का आरम्भ मनाया जाने लगा क्योंकि यह पितृविसर्जन के निकटवर्ती था) 3. सबसे छोटा दिन (केरल आदि कुछ दक्षिणी प्रदेशों को छोड़कर इस दिन से कभी भी सम्पूर्ण भारतवर्ष में वर्ष का आरम्भ नहीं मनाया गया) 4. वसन्त में दिन-रात की अवधि समान (वैष्णवों व योरोपवासियों के प्रभाव से इस दिन से वर्ष का आरम्भ मनाया जाने लगा) भ्रम — एक वर्ष (ऋतुचक्र) में पृथ्वी सूर्य का एक परिक्रमण पूर्ण कर लेती है। पूर्