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Showing posts from December, 2020

अव्यवहारिक अंग्रेजी कैलेंडर और अंग्रेजी गुलामी मानसिकता से आजादी के तिहत्तर साल के बाद भी क्यों नहीं निकल सकते

  अव्यवहारिक अभारतीय कॉल गणना से इन कथित आजादी के 73 साल बाद भी क्यों नहीं बाहर निकल पा रहे हैं। इसी का विश्लेषण और समग्र चिंतन आपके सामने रखने का प्रयास किया है जो शायद आपको इस गुलामी मानसिकता से बाहर निकलने में सहयोगी बने  “वर्ष" शब्द में एक भ्रम व एक तथ्य अन्तर्निहित है। तथ्य — ऋतुएँ एक निश्चित क्रम से आती हैं जिससे वर्ष नामक एक चक्र बनता है जिसका मान निर्धारित है। इस चक्र में आधारभूत 4 बिन्दु हैं अर्थात् इस चक्र के आरम्भ के 4 विकल्प हैं — 1. सबसे बड़ा दिन (इसी दिन से वर्ष/वर्षा का आरम्भ मनाया जाता था क्योंकि भारत“वर्ष" कृषिप्रधान था) 2. शरद् में दिन-रात की अवधि समान (कालान्तर में इसी दिन से वर्ष का आरम्भ मनाया जाने लगा क्योंकि यह पितृविसर्जन के निकटवर्ती था) 3. सबसे छोटा दिन (केरल आदि कुछ दक्षिणी प्रदेशों को छोड़कर इस दिन से कभी भी सम्पूर्ण भारतवर्ष में वर्ष का आरम्भ नहीं मनाया गया) 4. वसन्त में दिन-रात की अवधि समान (वैष्णवों व योरोपवासियों के प्रभाव से इस दिन से वर्ष का आरम्भ मनाया जाने लगा) भ्रम — एक वर्ष (ऋतुचक्र) में पृथ्वी सूर्य का एक परिक्रमण पूर्ण कर लेती है। पूर्

शाहआलम, बहादुरशाह जफर अंतिम मुगल सल्तनत केवल लाल किले तक सिमटी थी पर चरणचाटू इतिहासकारों का कमाल आज लुटियन दिल्ली के रोड अंग्रेजों और मुगलों के महिमा में चार चांद लगा रहे हैं

मुगलिया सन्तनत में सबसे अधिक समय तक राज करने वाले बादशाहों में अकबर (50 वर्ष), औरँगजेब (49 वर्ष) के बाद शाह आलम (द्वितीय) का नाम आता है जिसने 1760 से 1806 तक लगभग 47 साल राज किया। शाह आलम अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर का दादा था। इतने लंबे समय तक राज करने वाले बादशाह के बारे में हम इतना कम इसलिए जानते हैं क्योंकि इसकी बादशाहत आज के दिल्ली क्षेत्र (पालम तक) से ज्यादा नहीं थी। देश पर अंग्रेज कब्जा कर चुके थे, या करते जा रहे थे। [बहादुर शाह जफर की सल्तनत लाल किले तक सीमित थी!] मुगलों के पतन की यह इंतिहा थी कि एक लुटेरे गुलाम हैदर ने 1788 में दिल्ली पर हमला कर उसे लूट लिया था। न केवल लूटा, बल्कि बादशाह शाह आलम को अपने हाथों अंधा बनाया। यह भी कम था, उसने तो बादशाह के बेटे, होने वाले बादशाह और बहादुर शाह जफर के अब्बा अकबर शाह द्वितीय(शासनकाल 1806-1837) को अपने सामने घुँघरू पहनाकर नचवाया। गद्दी की कितनी कीमत थी यह इसी से पता चलता है कि गुलाम हैदर ने उस अंधे बादशाह को सल्तनत चलाने के लिए जिंदा छोड़ दिया। लूटने आया था, लूट कर चला गया। इस लूट में बादशाह का दुर्लभ पुस्तकालय भी था। भारत के पहले ग

बौद्धिक षड्यंत्रकारीयों में खलबली, सनातन धर्म की ऐतिहासिक आधार से

  आखिर कितना प्राचीन है हिन्दू धर्म...... आइये जानते हैं । कुछ लोग हिन्दू संस्कृति की शुरुआत को सिंधु घाटी की सभ्यता से जोड़कर देखते हैं। जो गलत है। वास्तव में संस्कृत और कई प्राचीन भाषाओं के इतिहास के तथ्यों के अनुसार प्राचीन भारत में सनातन धर्म के इतिहास की शुरुआत ईसा से लगभग 13 हजार पूर्व हुई थी अर्थात आज से 15 हजार वर्ष पूर्व। इस पर विज्ञान ने भी शोध किया और वह भी इसे सच मानता है। जीवन का विकास भी सर्वप्रथम भारतीय दक्षिण प्रायद्वीप में नर्मदा नदी के तट पर हुआ, जो विश्व की सर्वप्रथम नदी है। यहां पूरे विश्व में डायनासोरों के सबसे प्राचीन अंडे एवं जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है तथा समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। ‘संस्कृत’ का शाब्दिक अर्थ है ‘परिपूर्ण भाषा’। संस्कृत से पहले दुनिया छोटी-छोटी, टूटी-फूटी बोलियों में बंटी थी जिनका कोई व्याकरण नहीं था और जिनका कोई भाषा कोष भी नहीं था। भाषा को लिपियों में लिखने का प्रचलन भारत में ही शुरू हुआ। भारत से इसे सुमेरियन, बेबीलोनीयन और यूनानी लोगों ने सीखा। ब्राह्मी और देवनागरी लिपियों से ही दुनियाभर की अन्य लिपियों