भारत में दर्शनशास्त्र की इतनी ऊंची और श्रेष्ठ परंपराओं का यह एक श्रेष्ठ विवेचन है जिसे अंतरिक्ष विज्ञानी ओपी पांडे व निरंजन सिंह जी ने इस पर अपना अपनी दृष्टि से यथार्थ विवेचन किया है मैकेनिक्स (कायनेटिक्स) एवं यंत्र विज्ञान महर्षि कणाद के वैशेषिक दर्शन में 'कर्म' शब्द का अर्थ motion से है। इसके पांच प्रकार हैं। उत्क्षेपण (upward motion) अवक्षेपण (downward motion) आकुञ्चन (Motion due to the release of tensile stress) प्रसारण (Shearing motion) गमन (General Type of motion) विभिन्न कर्म या motion को उसके कारण के आधार पर जानने का विश्लेषण वैशेषिक में किया है। (१) नोदन के कारण-लगातार दबाव (२) प्रयत्न के कारण- जैसे हाथ हिलाना (३) गुरुत्व के कारण-कोई वस्तु नीचे गिरती है (४) द्रवत्व के कारण-सूक्ष्म कणों के प्रवाह से डा. एन.जी. डोंगरे अपनी पुस्तक 'The Physics' में वैशेषिक सूत्रों के ईसा की प्रथम शताब्दी में लिखे गए प्रशस्तपाद भाष्य में उल्लिखित वेग संस्कार और न्यूटन द्वारा १६७५ में खोजे गए गति के नियमों की तुलना करते हैं। प्रशस्तपाद लिखते हैं ‘वेगो पञ्चसु द्रव्येषु निमित्त-विश
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण