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Showing posts from July, 2020

संस्कृत भी अब जर्मन अधिकार में होगी इस नई शिक्षा नीति के बाद भी ?

    नए गुरुकुल के उद्घाटन के अवसर पर उड़ीसा में इस  बिटिया का Sanskrit प्रेम अपनी ही मोबाइल से वीडियो बना करके आपको भेज रहा हूं और शायद इस लेख के माध्यम से आप की चेतना को जागृत हो एक लेख पढ़ रहा था जिसकी शुरुआत कुछ इस तरह होती है .. "Will_Germans_be_the_eventual_custodians_of_Sanskrit,_its_rich _heritage_and_culture?" हिंदी में "क्या जर्मन अंतिम संरक्षक होंगे संस्कृत के और इसके कीमती विरासत व संस्कृति के??" मतलब क्या है कि जर्मनी जिस तरह से संस्कृत को लेकर गम्भीर है वैसा और कहीं नहीं है और इस आधार पे ही बोला जा रहा कि क्या जर्मनी ही इसका अंतिम संरक्षक होगा ?? जर्मनी के 14 टॉप यूनिवर्सिटियों में संस्कृत की पढ़ाई हो रही है व रिसर्च भी। साउथ एशिया इंस्टीट्यूट और हैडलबर्ग यूनिवर्सिटी समर (summer) में स्पोकन कोर्स ऑर्गेनाइज करती है जिसमें एडमिशन लेने के लिए दुनिया भर से होड़ लगा हुआ होता है.. एप्लिकेशन की बाढ़ आ जाती है विश्व भर से जिसमें कि छंटाई करने की नौबत आ जाती है और छंटाई भी करनापड़ता है। ये यूनिवर्सिटी केवल जर्मनी में ही नहीं बल्कि स्विट्जरलैंड, इटली और आप यकीन नहीं म

गणित में पाई का सूक्ष्म विवेचन भारत के गणित शास्त्र व वैदिक मैथ में

से करीब 2 साल पूर्व शिक्षा के लिए किया गया यह प्रयास रंग लाया है उस समय ह्यूमन रिसोर्स मंत्रालय पर पार्लियामेंट में लोकसभा टीवी पर मैंने सवाल उठाये थे और यह एक गुलामी का प्रतीक बताया गया था जिसका वीडियो आपको भेज रहा हूं आज अब इसे शिक्षा मंत्रालय नाम  रखा गया है https://m.youtube.com/watch?v=ovLnTapu44w   कृपया ब्लॉग में अपने सुझाव जरूर प्रस्तुत करें क्या इस शिक्षा नीति से भारत की ज्ञान परंपरा गुरुकुल का मार्ग प्रशस्त हो सकता है राष्ट्रीय स्वतंत्र गुरुकुल अभियान 9336919081 व्हाट्सएप कॉल 7984113987 भारत की ज्ञान परंपरा बड़ी प्राचीन और श्रेष्ठ रही है  इसने पूरे दुनिया को ज्ञान का प्रकाश  फैलाया पर  दुर्भाग्य इस बात की है  कि हमने ज्ञान को कभी पेटेंट नहीं कराया और  यूरोप और दुनिया के लुटेरे  इन बौद्धिक संपदा ओं को भी लूटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी  और हमारे सारे ज्ञान को उन्होंने अपना  मोहर लगाकर  और  झूठे नाम दे दे कर के  अपना तिजोरी भर रहे हैं  इसका पर्दाफाश करने के लिए  एक गणितज्ञ चंद्रकांत राजू  ने ₹200000 रुपए इनाम की  घोषणा कर दी  कि जिस नाम से  पाइथागोरस थ्योरम पढ़ाया जा रहा है 

ह्यूमन रिसोर्स मंत्रालय HRD का नाम शिक्षा मंत्रालय क्या शिक्षा की दुर्दशा का पुनरुद्धार संभव है

देश में नई शिक्षा नीति लागू स्कूल शिक्षा में 10+2 खत्म, 5+3+3+4 की नई व्यवस्था लागू…..अब 4 साल में डिग्री प्रोग्राम, फिर एमए, बिना एमफिल कर सकेंगे PHD…..UGC, AICTE, HRD सब खत्म !…आज की पढ़िये सबसे बड़ी खबर। मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इसपर फैसला लिया गया. कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है. स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, इसे समझें. अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा

भारत की दीन दशा में लोकतंत्र का योगदान

   “हर साल मेरे खेत में चूहे आ जाते थे, फसल बर्बाद कर रहे थे ! मैंने खेत ही बेच दिया, अब भूखे मरेंगे सारे!” मात्र 70 साल में ही बाजी पलट गई। जहाँ से चले थे, उसी जगह पहुंच रहे हैं हम। फर्क सिर्फ इतना कि दूसरा रास्ता चुना गया है और इसके परिणाम भी ज्यादा गम्भीर होंगे। 1947, जब देश आजाद हुआ था। नई-नवेली सरकार और उनके मंन्त्री देश की रियासतों को आजाद भारत का हिस्सा बनाने के लिए परेशान थे।  सारे प्राइवेट बैंकों को सरकारी बैंक बनाया गया सरकार ने जनता का सारा पैसा बैंकों में रखवा दिया और बैंकों में सारा पैसा पूजीपतियों को दे दी यही नई पूंजीपति या नई रियासतें ही देश पर राज कर रही हैं  यही नव रियासतें ही देश के पार्टी गिरोंहों को फंड  उपलब्ध कराते हैं और यही पार्टी गिरोह उनके लिए कानून बनाते तकरीबन 562 रियासतों को भारत में मिलाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपना कर अपनी कोशिश जारी रखे हुए थे, क्योंकि देश की सारी संपत्ति इन्हीं रियासतों के पास थी। कुछ रियासतों ने नखरे भी दिखाए, मगर कूटनीति और चतुरनीति से इन्हें आजाद भारत का हिस्सा बनाकर भारत के नाम से एक स्वतंत्र लोकतंत्र की स्थापना की। और फिर

कंपनियों के चक्रव्यूह में फंसा भारत

कंनीयों के मकड़जाल में भारत सही दुनिया के तमाम देश व इस लोकतंत्र की चक्रव्यूह में विश्व के सभी लोकतांत्रिक देश पिस रहे हैं पर उनके बनाए हुए इस चक्रव्यूह को भेदने करने का किसी के पास ताकत नहीं रह गई है विश्व भर में इनके बनाए हुए सारे सिस्टम पूरी दुनिया को रेगुलेट करने का एक साधन बन करके रह गया है कंपनियों के भरोसे मीडिया जो जनमानस को रेगुलेशंस करती है और मीडिया पर भरोसा करने के लिए ये education system उनको तैयार करता है मानसिक गुलामी के लिएभारत की कोई कंपनी विश्व की किसी बड़ी कंपनी को खरीदती है तो ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है। . आपको क्या लगता है ? गर्व करना चाहिए या नहीं ? . अब आपको याद होगा कि टाटा स्टील ने यूरोप की सब से बड़ी स्टील कंपनी कोरस खरीदी थी 14 बिलियन डॉलर में (14.2 अरब डॉलर)। तब ये सौदा विश्व के दस सबसे “अच्छे सौदों” में से एक था टाइम्स मैगजीन , फ़ोर्ब्स , मूडी , आदि आदि , और मैं “गर्व से ....” “वाह दद्दा वाह”। . 2008 की बात है। कंपनी घाटे में गयी तो फ्री में Thyssenkrupp को दे दी। सब खर्चे मिला कर एक लाख करोड़ से ऊपर हो गया था सब डूब गए। 54 हजार करोड़ बैंक का भी। अब य

धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की पैतृक जन्मभूमि इतनी उपेक्षित क्यों ?

  यतीचक्र चूड़ामणि सर्वभूत हृदय पूज्यपाद धर्मसम्राट स्वामी श्री करपात्री जी की 113 वी जयंती के शुभ अवसर कीअनंत शुभकामनाएं.. परम पावन सरयू के तट पर भारत में राज व धर्म की मर्यादा का एक इतिहास रचा गया। महा प्रतापी महाराज रघुकुल से रघुनाथ अयोध्या पति श्री राम जी का अवतरण होता है वहीं उसी पावन सरयू के तट पर गोरखपुर जनपद के ओझवली ग्राम की धरा से एक धर्म सम्राट करपात्री जी का । एक ने रावण राज से मुक्ति दिलाई दूसरे ने इस कलयुग में इसाई और इस्लाम जैसी राक्षसी कामी बामी धर्मनिरपेक्ष अब्राहमिक  संस्कृतियों को  तर्क और सिद्धांत की कसौटी पर ना केवल इन्हें परास्त ही किया बल्कि धर्म का स्तंभ को इतना मजबूत किया कि लोग उन्हें धर्म सम्राट के नाम से जानते हैं ।सरयू के तट पर स्थित ओझवली ग्राम बड़हलगंज गोरखपुर में उनका पैतृक जन्मभूमि रहा है सन्यास के बाद भी वो दो तीन बार यहां आए थे आज भी उस पावन भूमि की चमत्कार मैं अपनी आंखों से देखा वह आपके सामने मैं इस वीडियो के माध्यम से दिखाने जा रहा हूं उसी कुल में एक महात्मा का दर्शन हुआ जो भौतिक आंख से तो कुछ नहीं देख सकते पर अंतःप्रज्ञा पूर्ण जागृत है उन्हें संपूर्

परिवार का कल्याण करने के बाद अब आपकी कल्याण में जुटा परिवार कल्याण मंत्रालय

पूरी दुनिया को नियंत्रित करने के क्रम में पहले पहले माताओं को इसका शिकार बनाया जा रहा है  डब्ल्यूएचओ के मार्गदर्शन में महिलाओं में इंजेक्ट कर रहे हैं यौन-अपराधियों को सजा में दी जाने वाली दवा . बिल गेट्स फाउंडेशन से साठगांठ कर स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा घिनौना कारनामा . जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर यूपी-बिहार समेत 7 राज्यों में शुरू हुआ गंदा खेल . देश की निम्न वर्गीय और निम्न-मध्यम वर्गीय माताओं को बांझ बनाने का कुचक्र . आंकड़ों का ‘फ्रॉड’ कर स्वास्थ्य मंत्रालय ने 145 जिलों में पहुंचाया सनातन संस्कृति को नष्ट करने और पूरे विश्व से मानव को जीनोसाइट्स करने के अनेक टूल या साजिश और षड्यंत्र चल रहे हैं यदि हम नहीं समझ पाए तो अपने अस्तित्व को मिटा देंगे  एक भी सनातन संस्कृति के संवाहक  पुत्र पैदा ही ना हो  पैदा हो भी गया तो उससे अगली पीढ़ी भी तैयार ना हो पाए उसे बांझ बना दो यदि बांझ ही नहीं बनता है तो इन पैदा करने वाली सनातनी स्त्री को जाल में फंसा कर सनातन विरोधी शत्रु पैदा करवा दो इसके बाद ही यदि फिर भी कुछ सनातन कि बच्चे पैदा हो जाए तो उन्हें इस शिक्षा के माध्यम से है तो उनका मानसिक विकृति क

एक ही विश्व सत्ता एक ही सरकार कोरी कल्पना या सच्चाई

    एक सरकार एक ही धर्म एक ही विश्व सत्ता को स्वीकारिये या फिर संसार से विदा लीजिये जब भारत में लोकतंत्र की बुनियाद रखी जा रही थी ! तब लोग यह मानने को तैयार नहीं थे कि भारत के अंदर राजसत्ता का कोई विकल्प कभी स्थापित हो पायेगा ! लोगों के दिमाग में यह भ्रम था कि सदियों से चले आ रहे राजे रजवाड़े जिनमें कई अपने को भगवान का वंशज भी बतलाते थे ! उनका ही शासन बना रहेगा ! जो कभी भी समाप्त नहीं हो सकता है !  लेकिन अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने एक सोची-समझी हुई राणनीति के तहत मात्र 90 साल के अंदर ही भारत के रजवाड़ों सहित संपूर्ण विश्व के रजवाड़े को जड़ से खत्म कर दिया केवल एक ब्रिटेन के रजवाड़े को छोड़कर और लोकतंत्र के नाम पर भारत में एक नई शासन व्यवस्था स्थापित कर दी और भगवान का वंशज देखते रह गये !  ठीक इसी तरह मात्र अगले 30 वर्ष के अंदर पूरे विश्व में आज जिन-जिन देशों में लोकतंत्र जैसी पैशाची शासन व्यवस्था है ! उन सभी देशों में विश्व सत्ता प्रथम चरण में काबिज हो जायेगी ! इसके बाद जिन देशों में लोकतंत्र नहीं है ! उन्हें अर्थ युद्ध, छद्म युद्ध, तकनीकी युद्ध या स्पष्ट युद्ध के द

पद्मनाभ स्वामी मंदिर के संस्थापक महाराजा त्रावणकोर को दास उपाधि क्यों

  #त्रावणकोर के #राजपरिवार के विषय में प्रसिद्ध है की #पद्मनाभ_मंदिर में #पूजा_पाठ के बाद बाहर निकलते समय अपने #कपड़े और #हाथ_पैर पूरी तरह से झाड़ते थे ताकि मिट्टी का भी एक कण #मंदिर से बाहर न जाए ..!! उनके अनुसार #मंदिर का एक एक कण भगवान पद्मनाभ का है ..!! एक #राजपरिवार का अपने दायित्व के प्रति इतनी सजगता, अपने #आराध्य के प्रति इतना #समर्पण....??? कल्पनातीत .... 🙏🙏.. - यही #भारतीय_संस्कृति का आधार है, यही नींव के पत्थर है..!! ... और #लेफ्टिस्टों ...#मिशनिरियों के कुचक्र ने उन्हें ही #प्रबंधन से बाहर कर दिया था .. उनके पारंपरिक अधिकार से वंचित कर दिया था ..!! ... अब मंदिर वापिस इन्हें मिल गया है ..!! ॐ स्वामी शरणं ..!! पद्मनाभस्वामी -------- भारतीय वैदिक साहित्य में नागों का विशेष उल्लेख है । जितने भी वैदिक साहित्य हैं, उनमे कहीं न कहीं नागों का उल्लेख अवश्य मिलेगा ।नवनाग श्लोक में 9 प्रमुख नागों का उल्लेख किया गया है - अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं । इसमें प्रथम नाम है -अनंत , और इन्ही अनंत पर मेरे आराध्य प्रभु विष्णु शयन करतें हैं। तिरु

धन धर्म की रक्षा के लिए जब त्रावणकोर के महाराजा की इतनी मानसिक पीड़ा इस न्याय व्यवस्था से हो सकती है सामान्य सनातनी अपना धन धर्म कैसे बचाया

    आज  न्याय व्यवस्था की स्थिति देखकर गुलामी की वह याद ताजा हो गई है गुलामों को न्याय कैसे दिया जाता है एक अघोषित युद्ध आज भी चल रही है विश्व के शातिर दस्यू इस्लामिक और इसाई  लुटेरों और सनातन परंपरा के बीच में पर अब यह नए हथियार शिक्षा चिकित्सा न्याय संविधान और लोकतंत्र के रूप में हमारे सामने है अतुलित बल-वैभव-धन-सम्पन्न होते हुए भी धर्म के अंकुश को मानने वाले त्रावणकोर के राजपरिवार के सदस्य, जो आज सुप्रीम कोर्ट में जीत गए! वही परिवार, जिनके पूर्वज राजा मार्तंड वर्मा (राजा मार्तण्ड वर्मा की विशेष चर्चा किसी अन्य पोस्ट में की जाएगी) ने केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था और 1947 तक त्रावणकोर पर उनके ही वंशजों ने शासन किया था। उसके बाद भी इस मंदिर के रख रखाव पर इस परिवार का ही नियंत्रण था। आज यदि कोई 5 वर्ष के लिए जोड़तोड़ से जीतता है तो भी "फलानी जाति के लोकतांत्रिक जनप्रतिनिधि" की ढाल लेकर, समृद्धि की गंगा जमना का प्रवाह अपने घर की तरफ मोड़ लेता है, वामपंथी प्रोफेसर मुफ्त की रोटी और बोटी चबाते है, सलाह के नाम पर देश के खजाने को चूना लगाने वाली फर्जी मंडली विरा

अमिताभ बच्चन ने जो जो अमृत(जहर) पिलाया है वही अमृत उनको हॉस्पिटल मैं पिलाया जाए उनकी पूरे खानदान को

  अमिताभ बच्चन की जिंदगी की एक एक कहानी कल से अब तक हर न्यूज़ चैनल पर 100-200 बार दिखा चुके हैं , 1000 बार उनका बंगला सैनिटाइज़ करवा चुके हैं पर मनहूस मीडिया अभी भी हार नहीं मान रहा ऐसे अमिताभ की यादें संजो रहा है जैसे कि ........ अमिताभ का कोरोना तो नानावटी वाले ठीक कर देंगे पर हमारे इम्यून सिस्टम का क्या जो काढ़ा पी पी कर बनाया था, वो तो तुम न्यूज़ चैनल वालों ने पका पका कर फिर से कमजोर कर दिया..कोरोना से ज्यादा खतरनाक हो तुम न्यूज़ चैनल वालों, श्राप लगेगा तुम्हें हम सबका कोरोना से डर नहीं लगता साहब, मनहूस मीडिया से लगता है.. मत पकाओ रे बाबा.... कन्फ्यूज़ कर दिया.. अमित जी के लिए हाथ उठा कर दुआ मांगू या हाथ जोड़कर प्रार्थना करूँ ? 2 मिनट मे मैगी बनाकर छोटे बच्चों को स्वस्थ बना दूँ या बोर्नबीता खिलाकर उनकी हाइट बढ़ा दूँ या कोल्ड-ड्रिंक पिला कर उनको फुर्तीला कर उनमे जीवन का जोश भर दूँ ? सोचता हूँ संभवतः इस सब की कोई आवश्यकता भी है अथवा नहीं, क्योंकि शोले का सिक्का भले ही खोटा हो किन्तु कुली का 786 का असली बिल्ला तो अभी भी उनके पास ही होगा.. 77 वर्ष की आयु मे भी जो व्यक्ति समाज और धर्म से अ