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Showing posts from September, 2018
सबरीमाला मंदिर। सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा जी का है। भगवान अयप्पा विष्णु  जी के नवे अवतार हैं। परशुराम जी के शिष्य थे। वैसे तो भगवान अयप्पा जी के बहुत मंदिर हैं जो सब के लिए 12 महीने खुले रहते हैं। स्त्री पुरुष सब दर्शन के लिए जाते हैं कोई उम्र की सीमा नहीं। सबरीमाला मंदिर भी भगवान अयप्पा जी का ही मंदिर है मगर इस का का हिसाब थोड़ा अलग है । ये मंदिर केवल नवम्बर से जनवरी को आम लोगों के लिए खुलता है। बाकि पूरे साल बंद रहता है। कुम्भ मेले से ज़्यादा भीड़ होती है। क़रीब 10 करोड़ लोग दर्शन को आते हैं। यहाँ पूजा मतलब सिर्फ़ धूप दीया बाती नहीं होता, यहाँ पूजा मतलब तन मन का शुद्धीकरण होता है, 800 साल या उस से भी पहले से परम्परा चली आ रही है । यहाँ 40 दिन का व्रत करना होता है गले में तुलसी की माला धारण करनी होती हैं। पुरुष को दाड़ी बाल नहीं काटने होते। बहुत ही निष्ठा के साथ ये 40 दिन की पूजा पद्धति निभाई जाती है। फिर इस मंदिर की सीड़ियों की भी एक कहानी है और यहाँ बहती नदी, पंबा नदी जो गंगा के जैसे पवित्र समझी जाती है। पंबा नदी की कहानी भी गंगा नदी जैसी ही है सफ़ाई करेंगे
#उडता_पंजाब°#खुलेआम_धर्मपरिवर्तन।नशे से ही नही बल्कि धर्म परिवर्तन से भी। हमारे दस गुरुओ की शहादत कितने आराम से पानी मे बहायी जा रही है।आंखे खोलेंगे तो #उडती_दिल्ली भी दिखेगी। कुछ धर्म सिर्फ मानने के आधर पर ही चलते है भले ही वास्तविकता कोसो दूर क्यो न हो .....ईसाईकरण कैसे होता है देख लो https://youtu.be/3zWBzGaBHFk
धारोष्ण दुध अमृत क्यों है?   पृष्टतनाव (Surface Tension) और श्यानता (Viscosity) 1. अपां फेनेन नमुचे: शिर इन्द्रोदवर्तय: । विश्वा यदजय: स्पृध: ।। RV 8.14.13, AV20.29.3 ,Yaju 19.71 अपां फेनेन (अपाम्‌) जलों को  (फेनेन) फैंट कर फैन बना कर वृद्धि करना |  एक अत्यंत आधुनिक विज्ञान low surface tension का  इस वेद मंत्र का अभिप्राय इस प्रकार होता है. “ इन्द्र  एक विजयी पुरुष जलों की वृद्धि कर के उन में परस्पर स्पर्धा करते हुए (नमुचि) रोगाणु शत्रुओं के सिर काट कर विश्व में उत्कृष्टता को प्राप्त करते हैं.  2. समुद्रोsसि नभस्वानार्द्रदानु: शम्भूर्मयोभूरति मा वाहि स्वाहा| यजु 18.45अ   2.मंत्र द्वारा ऐसे जल के समुद्र का वर्णन किया है जो सब ओर से सुख के प्रदान करने वाला होता है.  नभस्वानार्द्रदानु: -नभ्‌ का शाब्दिक अर्थ है टूटना –Killed नभस्वान्‌ का अर्थ हुवा जल जो स्वयं टूट  कर आर्द्रदानु: औरों के प्रति दयाद्र हृदय वाला होता है भौतिक स्तर पर ऐसा जल अधिक  आर्द्रता लिए होता है. Such water develops more wetting property, because it has lower SURFACE TENSION- (a physically measureable property)   |
Pakistan Uses This 1,000 Year Old Hindu Temple As Toilet For Tourists India is a place which houses more Muslims than in Pakistan and gives full freedom of jurisdiction to the mosques and respects the religious sentiments of the minorities. But this is what happening there.. In Pakistan, a 1000 year oldHindu temple is being used as a toilet. Yes, you read it right. Varun Dev Mandir in Manora Island Beach, Karachi, Pakistan is estimated to be 1000 years old. Around 16th century, a wealthy sailor named Bhojomal Nancy Bhattia bought Manora Island from the Khan of Kalat, who owned most of the land along the coastline at that time and then his family took over this temple. At present, this Hindu temple belongs to the Pakistan Hindu Council. Evacuee Trust Property Board has done nothing to protect or preserve this ancient heritage.The temple’s decayed appearance reflects a lack of care and its walls and rooms serve as a toilet for visitors to Manoras sandy beach. Humid w
 *वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फसाया था  झूठे केस में, 24 साल बाद मिला न्याय* इसरो के वैज्ञानिक नंबीनारायणन की कहानी देश के हर नागरिक को जाननी जरूरी है क्योंकि हमारे देश में इतनी भ्रष्ट व्यवस्था है कि जो भी व्यक्ति देशहित में कार्य करना शुरू कर देता है तो उसके खिलाफ राष्ट्रविरोधी ताकतों के इशारे पर देश मे बैठे गद्दारों को मोहरा बनाकर, उनके खिलाफ षड्यंत्र शुरू हो जाता है उनके कार्य में अनेक विघ्न डाले जाते हैं । आखिरकार उनको बदनाम करके जेल भिजवाया जाता है । वैज्ञानिक नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने जासूसी और भारत की रॉकेट टेक्नोलॉजी दुश्मन देश को बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था । नंबी नारायणन का यह मामला कई दिन अखबारों की सुर्खियों में रहा था, मीडिया ने बिना जांचे-परखे पुलिस की थ्योरी पर भरोसा करते हुए, उन्हें देश का गद्दार मान लिया था । गिरफ्तारी के समय नंबी नारायणन रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने के बेहद करीब पहुंच चुके थे । इस गिरफ्तारी ने देश के पूरे रॉकेट और क्रायोजेनिक प्रोग्राम को कई दशक पीछे धकेल दिया था । उस घटना के करीब 24 साल बाद इस म
SC ( श्ड्यूल्ड कास्ट) का अर्थ अछूत जातियों से है ये निहायत भ्रम है। अंग्रेजो ने 429 जातियो को SC बनाया था और आज 1235 जातिया SC लिस्ट में है। मतलब इतनी सारी जातियों के अछूत होने का पता क्या आजादी के बाद लगा है ?  कौन सी स्टडी, आकडे और क्राइटेरिया से इतनी सारी जातियां अब आकर SC लिस्ट मे शामिल की गयी। और अंग्रेजो की बनाई SC लिस्ट का भी न तो अछूतपने से कोई लेना देना था और न ही जाति वर्ण से लेना देना था और ना ही हिन्दु धर्म मे सुधार नासुधार से लेना देना था। एसा साइमन कमीशन ने अम्बेडकर साहब से कहा था जब वे अपनी जाति महार को SC लिस्ट मे डलवाने की साइमन कमीशन से गुजारिश कर रहे थे। डिर्क एच काॅफ्फ ने अपनी पुस्तक 'नौकरी, सिपाही एंड राजपूत' मे लिखा है कि 1857 के करीबी समय मे नीची माने जाने वाली जातियों के लोग भी आखाडो मे ठाकुरो के साथ कुश्ती और लडाई के तरीको की प्रेक्टिस किया करते थे। इससे जमीदारो, लोकल राजाओ और ब्रिटिश आर्मी तक मे उन्हे नौकरी मिलती थी। 1630 के आसपास एक यूरोपियन यात्री पीटर मुंड ने अपनी आगरा से पटना तक की यात्रा मे एसे कई आखाडो का जिक्र किया है।  उसने बताया ह
स्वतंत्र भारत में पहला प्रयास यह होना चाहिए था कि ब्रिटिश दस्युयों के बनाये गए विधान शिंक्षा और प्रशासन को अमूल परिवर्तन किया जाता। 1813 में ब्रिटेन की संसद में चार्टर पास हुवा कि भारत मे धर्म परिवर्तन का शशक्त माध्यम क्या हो सकता - उत्तर आया कि शिंक्षा ही वह सशक्त माध्यम हो सकता है। आप जानते है कि भारत हजारो वर्ष से वर्णधर्माश्रम की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था से ही विश्व का आर्थिक सम्राट बना हुआ था।  वहीं यूरोप की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था रोमन - डकैती पर आधारित थी। अंगुस मैडिसन ने लिखा - Roman Empire was based on plunder slavery and Military power. भारत के कृषि शिल्प वाणिज्य का सिस्टेमेटिक विनाश करने के कारण 1850 से 1900 के बीच 2.5 से 3.0 करोड़ भारतीयों की अन्न के अभाव में मृत्यु हो जाती है क्योंकि उनके पास अन्न खरीदने का पैसा नही था। एक बहुत बड़ा वर्ग तैयार हुवा जो अन्न स्वास्थ्य और शिंक्षा से बंचित हो गया - जब पेट न भरे तो शिंक्षा की कौन सोचेगा ? लेकिन समाज मे "डिवाइड रूल लूट और कन्वर्ट" की नीति के तहत अनेक फर्जी अफवाह, विशेष कर #आर्यन अफवाह को विज्ञान बोलकर भारतीयों का
बाजार ग्रो करें इसलिए  विकृति को स्वीकृति दुनिया में सेक्स मार्केट इस समय करीब 35 बिलियन डॉलर का है। 2020 तक ये करीब 55 बिलियन डॉलर होगा। एक साल में तकरीबन 50,000 करोड़ की सेक्स चेंज सर्जरी भी हो रही है। बाजार के इस मेडिकल क्षेत्र में अभी बहुत स्कोप है। लेकिन बाजार ग्रो करे इसके लिए जरूरी है पहले विकृति को स्वीकृति मिले। उसके बाद शौक और फिर ट्रेंड बने। विज्ञापनों को ध्यान से देखा होगा या मार्केटिंग को पढ़ा होगा तो पहला फंडा है कि जहर भी बेचना है तो उसे ग्लोरीफाई किया जाए.! #धारा_377 शीर्षक -- क्या-क्या कुदरती घोषित कर दोगे आप ?? तस्वीर में दिख रहा बड़ा सा कुत्ता दरअसल एक आदमी है, जिसे लगता है कि वो सेक्सुअली एक कुत्ता है।वह चाहता है उसे कुत्ते की तरह ट्रीट किया जाये । ये ड्रेस सेक्स टॉयज़ बनाने वाली कंपनियां बनाती हैं, अच्छी कीमत पर बेचती हैं। हार्मोन्स के इंजेक्शन से सेक्स चेंज की जुगाड़ तो बाजार ने खोज ली है, लेकिन अभी इंसान को कुत्ता बनाने वाले हार्मोन्स नहीं बन सके, लिहाजा मानसिक कुत्तों को ड्रेस ही बेची जा रही है। हो सकता है कि आने वाले सालों में इन्हें बोलना भुलाकर भौंकने
एक बड़े मुल्क के राष्ट्रपति के बेडरूम की खिड़की सड़क की ओर खुलती थी। रोज़ाना हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे। राष्ट्रपति इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान लेते। राष्ट्रपति ने एक सुबह खिड़की का परदा हटाया। भयंकर सर्दी। आसमान से गिरते रुई के फाहे। दूर-दूर तक फैली सफ़ेद चादर। अचानक उन्हें दिखा कि बेंच पर एक आदमी बैठा है। ठंड से सिकुड़ कर गठरी सा होता हुआ । स राष्ट्रपति ने पीए को कहा - उस आदमी के बारे में जानकारी लो और उसकी ज़रूरत पूछो। दो घंटे बाद पीए ने राष्ट्रपति को बताया - सर, वो एक भिखारी है। उसे ठंड से बचने के लिए एक अदद कंबल की ज़रूरत है। राष्ट्रपति ने कहा - ठीक है, उसे कंबल दे दो। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से पर्दा हटाया। उन्हें घोर हैरानी हुई। वो भिखारी अभी भी वहां जमा है। उसके पास ओढ़ने का कंबल अभी तक नहीं है। राष्ट्रपति गुस्सा हुए और पीए से पूछा - यह क्या है? उस भिखारी को अभी तक कंबल क्यों नहीं दिया गया? पीए ने कहा - मैंने आपका आदेश सेक्रेटरी होम को बढ़ा दिया था। मैं अभी देखता हूं कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ। थोड़ी देर बाद सेक्रेटरी होम
भारतीय दर्शन का प्रभाव _________________________________________ भारतीय दर्शन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक प्रचलित दर्शनों में एक है। जब दुनिया एक बदलाव से गुजर रहीं थी तब भारतीय दर्शन को ऐसे लोगों द्वारा अंगीकृत किया गया जो भारतीय दर्शन से हद तक प्रभावित हुए और प्रभावित न होकर उनके द्वारा भारतीय परंपरा और संस्कृति को पश्चिमी देशों एक नया आयाम स्थापित करने का मैका मिला। "एस्सेनी" यह वह समय था जब भारत में बौद्ध भिक्षु और भारतीय महात्मा अपने धर्म का प्रचार करते हुए पश्चिमी एशिया के देशों में फैल गए। इन भारतीय प्रचारकों ने यहूदी धर्म को भी प्रभवित किया। इसी प्रभाव के परिणामस्वरूप यहूदियों के अंदर एक नए "एस्सेनी" नामक संप्रदाय की स्थापना हुई। हर एस्सेनी ब्राह्म मुहूर्त में उठता था और सूर्योदय से पहले प्रात: क्रिया, स्नान, ध्यान, उपासना आदि से निवृत हो जाता था। सुबह के स्नान के अतिरिक्त दोनों समय भोजन से पहले स्नान करना हर एस्सेनी के लिए आवश्यक था। उनका सबसे मुख्य सिद्धांत था-अहिंसा। हर एस्सेनी हर तरह की पशुबलि, मांसभक्षण या मदिरापान के विरुद्ध थे। हर एस्सेनी
कॉपी पेस्ट #संभल जाओ यारो महत्वपूर्ण जानकारी , नीचेफ़ोटो में आप जो लम्बा तगड़ा जवान देख रहे हैं ये अब इस दुनिया में नहि रहा , आज ही bijender भाई की हार्ट फैल होने से डेथ हो गई 😔,                                आज युवाओं में सिक्स पैक एबस और मस्क्यूलर बॉडी बनाने का बड़ा ट्रेंड है , जिसके लिये आज का युवा किसी भी हद तक जा रहा है , जल्दी बॉडी बनाने के लिए आजकल स्टेरॉयड का चलन बहुत ज़्यादा बढ़ गया है . क्योंकि स्टेरॉयड इंसान में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोंस (जिन्हें पुरुष हार्मोंस भी कहा जाता है ) को बढ़ाता है जिससे इंसान में ताक़त भी बढ़ती है ओर इंसान को ज़्यादा ताक़त से workout करने के कारण जल्दी रिज़ल्ट मिलते है लेकिन इसके  बहुत सारे नुक़सान भी है .. जैसे मान लीजिए आपका टेस्टोस्टेरॉन लेवल 400 है , जब आप स्टेरॉयड लेते है तो टेस्टोस्टेरॉन लेवल 1100-1200-1500 तक चला जाता है मतलब आपमें ताक़त कई गुणा आ जाती है लेकिन उसके बाद जब आप ये स्टेरॉड लेना बंद करते है तो आपका टेस्टोस्टेरॉन लेवल घट कर 400 (जो आपका पहले नैचरल था) से भी काफ़ी नीचे चला जायेगा ओर उसके बाद वो शायद ही कभी 400 पर आये .
आत्महत्या करते किसान और नकारा हमलोग  [हमारी शिक्षा और व्यवस्था, हम एक कृषिप्रधान और आत्मनिर्भर सभ्यता थे, उन्नत थे, इसीलिये सोने की चिडिया माने जाते थे। प्राचीन भारत का कृषि सम्बंधी ज्ञान और उपलब्धियो को मुसलमान आक्रांताओं के युग-आगमन के पश्चात से भुलाया जाने लगा। ब्रिटिश उपनिवेश बन जाने के पश्चात तो खेती मतलब नील, रबड, चाय-कॉफी वगैरह हो गया था। परम्परागत किसान मध्ययुग और उसके पश्चात से जो दयनीय हुए कि सिलसिला आज भी लगातार चल रहा है। कहाँ से कहाँ आ गये हैं हम। यदि हरितक्रांति न होती तो संभव है आज भी हम खाद्य आत्मनिर्भर न होते तथापि रासायनिक खाद तथा भारी-भरकम मशीनों के प्रयोग ने किसानों के दो वर्ग आज पैदा कर दिये हैं। एक ओर बडे किसान हैं जिन्हें विशाल भूमि, उन्नत उपकरण, सिंचाई की व्यवस्था, अधिक पैदावार वाले बीज, बैंकों से असीमित ऋण आदि उपलब्ध हैं तथा उनके लिये कृषि और उद्योग लगभग एक ही परिभाषा के अंतर्गत आता है। दूसरी ओर है परम्परागत किसान जो आसमान की ओर ताकता रहता है कि बादल बरसेंगे तो पानी गिरेगा। फसल होगी तो आधी कमाई से साहूकार का कर्जा चुकेगा आधी से घर चलेगा। पानी नहीं गिरा