Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2019

काशी विश्वनाथ के तहखाने, जो आज भी ज्ञानवापी में खुलते हैं

आलेख पर अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्रेष्ठ पुलिस अधिकारी आदरणीय तिवारी जी की अति महत्वपूर्ण टिप्पणी सादर दे रहे हैं ॰ Jugul Kishore: वर्ष 2005 से 2007 तक जब महादेव ने हमें वहाँ सेवा का अवसर दिया तो हमने विश्वनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित पुलिस चौकी में एक रजिस्टर रखवाया था जिसमें विशेषतः गोरी चमड़े के विदेशियों का विवरण दर्ज कर उनकी बाबा के प्रति श्र्द्धा भक्ति का वचन लिया जाता था। किन्तु उस समय भी अन्य विदेशियों एवं इतर पंथानुयायियों की पहिचान का कोई प्रामाणिक आधार न होने से उनके द्वारा दर्शन की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान मे उस द्वार से प्रवेश ही न के बराबर होने लगा है और अधिकांश शृद्धालू छत्तद्वार से मस्जिद को देखते हुए परमात्मा के यहाँ पहुंचते हैं। अभिलेखों के अनुसार मन्दिर पर प्रथम आक्रमण 1041ई. में नियालतगीन ने किया था बाद में रजिया बेगम से लेकर औरंगजेब तक यही होता रहा। जब जब पापी सत्ता कमजोर होती हिन्दू मंदिर को फिर से खड़ा कर लेते थे। अकबर के समय इस ध्वस्त मंदिर का जीर्णोद्धार काशी वासी टोडरमल के गुरु पं. नारायण गुरु से उपक

वेनेजुएला का वास्तविक आंख खोलने वाली सच्चाई

विचारणीय है !! पढ़ियेगा जरूर Venezuela नामक देश के बारे में सुना है ?????? काफी बड़ा देश है । इतना बड़ा की हमारा पूरा UP , बिहार , पंजाब , हरियाणा , बंगाल उड़ीसा मिला दो , इससे भी बड़ा ........ और जनसंख्या कितनी है ? सिर्फ साढ़े तीन करोड़ ....... माने दिल्ली NCR की आबादी से भी कम ........ भगवान का दिया सब कुछ है । क्या शानदार उपजाऊ जमीन है , प्रचुर वर्षा होती है । सैकड़ों छोटी बड़ी नदियां है ...... हज़ारों मील लंबा तो समुद्र तट ही है ........ इतनी उपजाऊ जमीन और इतना पानी होने के बावजूद देश मे आज वो भुखमरी फैली है कि आदमी आदमी को मार के खा रहा है ....... देश मे खेती किसानी , फल सब्जी , dairy ,poultry , मछली , fishing जैसा कुछ है ही नही । माने इतना बड़ा देश अपने लिए गेहूं , चावल ,सब्जी नही उगा सकता ?????? लाखों वर्ग किलोमीटर के तो चारागाह हैं ....... ये नही की कुछ गाय , भैंस , भेड़ , बकरी ही चरा ले मुल्क ....... नदियों समंदर में मछली की भरमार है , Venezuela फिर भी भूखा मर रहा है । मुद्रा स्फीति का ये हाल है कि बैग भर Bolivar भर के ले जाओ तो भी एक पाकिट bread का नही मिलेगा ....... Inflation की द
बीज और कीटनाशक बेचने वाली दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसैंटो को अमेरिकी अदालत ने कैंसर फैलाने का दोषी पाया है. अदालत के मुताबिक कैंसर के जोखिम के बावजूद कंपनी चेतावनी देने में नाकाम रही. अमेरिका की संघीय अदालत ने मोनसैंटो को आदेश दिया है कि वह कैलिफोर्निया के किसान को 8 करोड़ डॉलर का हर्जाना दे. अदालत में यह बात साबित हो गई कि मोनसैंटो के मशहूर खरपतवार नाशक 'राउंडअप' ने किसान को कैंसर की बीमारी देने में आंशिक भूमिका निभाई. छह सदस्यों वाली पीठ इस नतीजे पर पहुंची कि किसान की बीमारी के लिए मोनसैंटो जिम्मेदार है. कंपनी ने अपने खरपतवार नाशक पर यह चेतावनी नहीं लिखी थी कि उसका उत्पाद कैंसर का जोखिम पैदा कर सकता है. इस फैसले को राउंडअप से जुड़े हजारों मामलों में मील का पत्थर माना जा रहा है. राउंडअप में ग्लाइफोसैट नाम का एक रासायनिक मिश्रण है. खरपतवार और घास फूस को खत्म करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. Unkrautvernichtungsmittel कई देशों में इस्तेमाल किया जाता है राउंडअप मोनसैंटो पर मुकदमा दायर करने वाले वादी एडविन हार्डेमन 70 साल के हैं. हार्डेमन के मुताबिक उन

ऋषि परंपरा व तारों में सप्तर्षि कौन और क्यों

      हर मनवंतर काल में रहे हैंअलग-अलग सप्तर्षि,!!!!जानिए कौन किस काल का….. आकाश में 7 तारों का एक मंडल नजर आता है। उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सप्तर्षि से उन 7 तारों का बोध होता है, जो ध्रुव तारे की परिक्रमा करते हैं। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान 7 संतों के आधार पर ही रखे गए हैं। वेदों में उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा मिलती है। ऋषियों की संख्या सात ही क्यों? ।। सप्त ब्रह्मर्षि, देवर्षि, महर्षि, परमर्षय:। कण्डर्षिश्च, श्रुतर्षिश्च, राजर्षिश्च क्रमावश:।। अर्थात : 1. ब्रह्मर्षि, 2. देवर्षि, 3. महर्षि, 4. परमर्षि, 5. काण्डर्षि, 6. श्रुतर्षि और 7. राजर्षि- ये 7 प्रकार के ऋषि होते हैं इसलिए इन्हें सप्तर्षि कहते हैं। भारतीय ऋषियों और मुनियों ने ही इस धरती पर धर्म, समाज, नगर, ज्ञान, विज्ञान, खगोल, ज्योतिष, वास्तु, योग आदि ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया था। दुनिया के सभी धर्म और विज्ञान के हर क्षेत्र को भारतीय ऋषियों का ऋणी होना चाहिए। उनके योगदान को याद किया जाना चाहिए। उन्होंने मानव मात्र के लिए ही नहीं, बल्

होली में प्राकृतिक रंगों का धमाल

होली में प्राकृतिक रंग बनाने के तरीके होली जैसे जैसे नज़दीक आ रही है, वैसे वैसे सभी लोग होली की ढेर सारी तैयारी शुरू कर देते हैं। होली पर कौन से कपड़े पहने, कौन से गाने पर धमाल करें और किस रंग से अपनों को रंग कर प्यार का ख़ास इज़हार करें। होली के दिन पास आते ही सबके ज़ुबान पर एक ही बात आ जाती है -“बुरा न मानो होली है”। लेकिन कोई वाक़ई बुरा न माने इसके लिए आपने क्या तैयारियाँ की हैं? क्या आपने प्राकृतिक रंग बना लिए हैं ताकि सुरक्षित होली खेल सकें? प्राकृतिक रंग, वो क्या होते हैं? केमिकल रंगों में क्या बुराई है? आजकल प्रयोग होने वाले केमिकल वाले रंग त्वचा और स्वास्थ्य दोनों को बेहद नुक़सान पहुँचाते हैं। हरे रंग में कॉपर सल्फ़ेट होता है जो आँखों के लिए बहुत ही ख़तरनाक होते हैं, यहाँ तक कि मनुष्य अंधेपन का शिकार हो सकता है। सिल्वर रंग में एल्युमिनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर का कारण बन सकता है। लाल रंग में मरकरी सल्फ़ाइट होता है जो त्वचा के लिए तो बहुत ही हानिकारक होता है। बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड होता है जो एलर्जी और दमा के रोगी के लिए बहुत ही ख़तरनाक हो सकता है। जिससे होली यान

भोजपुरी का यह कलाकार जिसने अंग्रेजों के विरुद्ध अपना नोट छापने की मशीन लगाई

  भोजपुरी के साहित्यकार के लिए जब तवायफ भी अपने गहने समर्पित कर दिए मुजफ्फरपुर के एक कोठे पर गाने वाली ढेलाबाई की बड़ी धूम थी, सारण के बाबू हलिवंत सहाय के लिए महेंद्र मिश्र ने उसका अपहरण कर लिया. बाद में अपने इस कर्म पर उन्हें बड़ा क्षोभ हुआ और फिर उन्होंने ढेलाबाई की मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी. # घर, परिवार और गायक का उभार पुरबी सम्राट महेंदर मिसिरजी के बिआह रुपरेखा देवी से भईल रहे जिनका से हिकायत मिसिर के नाव से एगो लईका भी भईल, बाकी घर गृहस्थी मे मन ना लागला के कारन महेन्दर मिसिर जी हर तरह से गीत संगीत कीर्तन गवनई मे जुटि गईनी. बाबुजी के स्वर्ग सिधरला के बाद जमीदार हलिवंत सहाय जी से जब ढेर नजदीकी भईल त उहा खातिरमुजफ्फरपुर के एगो गावे वाली के बेटी ढेलाबाई के अपहरण कई के सहाय जी के लगे चहुंपा देहनी. बाद मे एह बात के बहुत दुख पहुंचल आ पश्चाताप भी कईनी संगे संगे सहाय जी के गइला के बाद, ढेला बाई के हक दियावे खातिर महेन्दर मिसिर जी कवनो कसर बाकी ना रखनी! महेंद्र मिश्र का जन्म छपरा के मिश्रवलिया में आज ही के दिन 16 मार्च 1886 को हुआ था. महेंद्र मिश्र बचपन से ही पहलवानी, घुड़सवारी, गीत, संगीत
जो समाज  अपनी परंपरा और जीवन  मूल्यों को आपत्ति काल में भी बचाए रखता है वह राष्ट्र कभी भी   पराजित नहीं हो सकता यह  वीडियो भारत का मार्ग प्रशस्त कर सकता है इसे पूरे पूरे देश में फैलाएं शेयर करें और सब्सक्राइब करें https://youtu.be/gOJZV5QXJYE  कश्मीर के शासकों की सूची (3238 ई.पू.-1154 ई.) कश्मीर के इतिहास में कश्मीरी कवि कल्हण की राजतरंगिणी ही मुख्य है। कल्हण के पहले सुव्रत, क्षेमेन्द्र, हेलाराज, नीलमुनि, पद्ममिहिर और छविल्लभट्ट आदि ग्रंथकार हुए हैं, किन्तु इनमें से कई के ग्रन्थ अप्राप्य हैं। कल्हण ने लिखा है कि हेलाराज ने बारह हज़ार ग्रन्थ कश्मीर के राजाओं के वर्णन के एकत्र किए थे। नीलमुनि का लिखा नीलमतपुराण भी प्रकाशित हो गया है। कल्हण ने जयसिंह के काल में 1148 में ‘राजतरंगिणी’ की रचना की। कल्हण कश्मीर के प्रधानमंत्री चम्पक के पुत्र थे (यह परिवार सातवाहन वंश की एक शाखा रहा होगा) और इसी कारण कल्हण को इस ग्रन्थ के लेखन के लिए प्रचुर सामग्री सहज ही में मिल गई थी। नीलमतपुराण को छोड़कर शेष 11 इतिहास-ग्रन्थ उसने देखे थे। यही नहीं, कल्हण ने घोषणा की कि उसने शासनपत्र, दानपत्र का भी प्रयोग

जिस जंगल मे tribal जीवन व्यतीत कर हमारे पूर्वज धर्मग्रंथों की रचना करते हैं ; अब यही tribal ईसाई बनाए जा रहे हैं ,

जिस जंगल मैं हमारे ऋषि मनीषी श्रेष्ठ शास्त्रों की रचना कर रहे थे अब वही जंगल के बनवासी भाई ईसाई बनाए जा रहे हैं जिस देश की संस्कृति अरण्य संस्कृति रही है वहीं आज इन्हें पिछड़ा और एसटी वर्ग का बनाकर हीनता के पराकाष्ठा को वैचारिक स्तर पर डालकर इन्हें ईसाइयत की तरफ मोड़ने का काम ये तथाकथित आज के दलित चिंतक इस काम में लगे हुए हैं संवैधानिक व्यवस्था में सबसे नीचे अनुसूचित जाति / जनजाति में आती है यह #रिसले महात्मा के पैदा होने से पहले एक प्रतिष्ठित इज़्ज़तदार समुदाय या वंश होता था जो तालाब जलाशय खोदने और रखरखाव की विद्या में माहिर था आपने इतिहास में रानी #दुर्गावती का नाम सुना होगा वह इसी समुदाय से आती थी उन्होंने बहुत कम समय के सत्ता काल में ही पूरे क्षेत्र को अनेक जलाशय और तालाबों से भर दिया था यह साक्ष्य एक पुस्तक से परस्तुत कर रहा हूँ मुग़लों के आक्रमण से बचे खुछे सामर्थ्य को भी जब गोरंग प्रभुओ ने सारे कारोबार चौपट करने के उपरांत राजाओं की स्थिति दयनीय हो गयी उसके बाद शौच और सुचिता से वंचित होकर यही गोंड समुदाय अछूत हो गया जबकि यह जलदाता हुआ करता था राजघराने से अनुसूचित जाति और जनजाति

इंडोनेशिया में प्राचीन क्रिस्टल शिवलिंग का चमत्कार जिसका पानी आज तक नहीं सुखा लोग इसे अमृत बता रहे

मुस्लिम देश इंडोनेशिया में हुआ शिवजी का चमत्कार से आस्था का सैलाब उमड़ा इंडोनेशिया में चमत्कार हुआ है लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं.(चमत्कारिक शिवलिंग) चमत्कार हमारी आस्था और विश्वास का आधार हैं साथ ही ईश्वर में हमारी श्रद्धा को भी बढ़ाते हैं. इंडोनेशिया मे सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर में प्राचीन क्रिस्टल शिवलिंग मिला है. इस शिवलिंग की ख़ास बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ पानी सदियां बीत जाने पर भी नहीं सूखा है. ये कोई चमत्कार है या नहीं, ये कोई नहीं जानता लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं। मुस्लिम प्रधान देश इंडोनेशिया में क्रिस्टल का ऐसा शिवलिंग मिला है जिसे लेकर दुनियाभर के शिव भक्तों के मन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. अगर इतिहास की बात करें तो 13वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इंडोनेशिया में हिन्दू धर्म का लंबा इतिहास रहा है. वहां पर अभी भी पूरे देश में इससे जुड़े ढेरों उदाहरण हैं. इन उदाहरणों में बहुत सारे मंदिर भी शामिल हैं. लेकिन इस्लाम के बढ़ते प्रभाव के बाद वहां मंदिरों का बनना कम हो गया था. पर यहा के मुस्लिम में एक गुण है इनको जबर्दस्ती इस्लाम वनाया तो गया