आलेख पर अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्रेष्ठ पुलिस अधिकारी आदरणीय तिवारी जी की अति महत्वपूर्ण टिप्पणी सादर दे रहे हैं ॰ Jugul Kishore: वर्ष 2005 से 2007 तक जब महादेव ने हमें वहाँ सेवा का अवसर दिया तो हमने विश्वनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित पुलिस चौकी में एक रजिस्टर रखवाया था जिसमें विशेषतः गोरी चमड़े के विदेशियों का विवरण दर्ज कर उनकी बाबा के प्रति श्र्द्धा भक्ति का वचन लिया जाता था। किन्तु उस समय भी अन्य विदेशियों एवं इतर पंथानुयायियों की पहिचान का कोई प्रामाणिक आधार न होने से उनके द्वारा दर्शन की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान मे उस द्वार से प्रवेश ही न के बराबर होने लगा है और अधिकांश शृद्धालू छत्तद्वार से मस्जिद को देखते हुए परमात्मा के यहाँ पहुंचते हैं। अभिलेखों के अनुसार मन्दिर पर प्रथम आक्रमण 1041ई. में नियालतगीन ने किया था बाद में रजिया बेगम से लेकर औरंगजेब तक यही होता रहा। जब जब पापी सत्ता कमजोर होती हिन्दू मंदिर को फिर से खड़ा कर लेते थे। अकबर के समय इस ध्वस्त मंदिर का जीर्णोद्धार काशी वासी टोडरमल के गुरु पं. नारायण गुरु से उपक
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण