आखिर कौन है भारत देश के मूलनिवासी, एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण...!!! पिछले दो दिनों से हमने आर्य और मूलनिवासी विवाद पर ऐतिहासिक और आर्कियोलोजिकल दृष्टिकोण से चर्चा की थी, जिसमे कोई भी ऐसा पुष्ट प्रमाण नही मिला। आज हम चर्चा करेंगे कि कैसे फाईलोजैनेटिक स्टडी ने भी सिद्ध कर दिया है कि आर्य भारत उपमहाद्वीप के ही थे और यहां से वो समस्त विश्व मे फैले। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर अब हम यह समझ सकते हैं कि प्रारंभिक मानव (होमिनिड) पहले एक ही स्थान पर रहता था। वहीं से वह संपूर्ण विश्व में समय, काल और परिस्थिति के अनुसार बसता गया। विश्वभर की जनतातियों के नाक-नक्ष आदि में समानता इसीलिए पायी जाती है, क्योंकि उन्होंने निष्क्रमण के बाद भी अपनी जातिगत शुद्धता को बरकरार रखा और जिन आदिवासी या जनतातियों के लोगों ने अपनी भूमि और जंगल को छोड़कर अन्य जगह पर निष्क्रमण करते हुए इस शुद्धता को छोड़कर संबंध बनाए उनमें बदलाव आता गया। यह बदलाव वातावरण और जीवन जीने के संघर्ष से भी आया। खैर अब हम बात करते हैं भारत के मूल निवासियों की। भारत में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक गोरे, काले, सांवले, लाल और गेंहुए रंग के हैं
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण