एक् ग़लतफ़हमी का पूरा विश्व शिकार था कि पश्चमी देश शुरू से ही धनाढ्य रहा है। और हमको ये बताया गया है कि भारत एक आध्यात्मिक और धर्म प्रधान देश था लेकिन अर्थ प्रधान देश कभी भी नहीं था । जबकि 2000 सालो से ज्यादा वर्षों तक भारत विश्व कि एक सबसे बड़ी अर्थशक्ति थी , ये नई रेसेयरचेस से पता चल रहा है । भारत सोने की चिड़िया नहीं , मैनुफेक्चुरिंग की बहुत बड़ी अर्थ शक्ति थी । ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ इस ग़लतफ़हमी को एक बेल्जियन इकोनॉमिस्ट ने तोडा । उसका नाम था पाल बैरोच । 80 के दशक में ,जिसके रिसर्च को पॉल कैनेडी ने अपनी ने अपनी पुस्तक "The Rise and fall of great Powers" उद्धृत किया। बरोच ने कहा कि झूठ है।पूर्व में पश्चिमी देश धनी नहीं गरीब थे। बल्कि सत्य इसके विपरीत है धनी देश पूर्व में थे औपनिवेश के पूर्व। एक इतिहासकार हैं Jack Goldstone George Mason University के जिन्होंने 2009 में हायर एजुकेशन में चलने वाली एक बुक लिखी The Rise of the West in World History . 1500-1850. ए
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण