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Showing posts from July, 2018
प्राचीन भारत मे शिक्षा का महत्व - भारत गुरूकुलों का देश था जातकों में जिस प्रथम विश्वविद्यालय कि चर्चा है वह है " तक्षशिला " तक्षशिला कि स्थापना भगवान राम के भाई भरत के पुत्र तक्ष ने कि थी वाल्मीकि रामायण में इसकी चर्चा है ऋग्वेद में भी तक्षशिला कि चर्चा है । तक्षशिला विश्वविद्यालय में देश विदेश के 10 हजार विद्यार्थी पढ़ते थे वैसे तो यहां सभी तरह की शिक्षा दी जाती थी लेकिन यह विश्वविद्यालय शस्त्र विद्या और राजनीति शास्त्र के लिये प्रसिद्ध था । आचार्य चाणक्य यहां शिक्षा ग्रहण किये और यही राजनीतिक शास्त्र के आचार्य हो गये भारत के 16 महाजनपदों के राजपुत्र यही शिक्षा ग्रहण करते थे जिन महान राजाओं की चर्चा है जो यहां शिक्षा ग्रहण किये उनकी संख्या सीमितजातक में 103 दी गई है जिसमे प्रसेनजित , शल्य , लिक्ष्वी , काशीनरेश , मगध आदि के नाम है प्रसिद्ध डाकू अंगुलिमाल भी यही शिक्षा ग्रहण किया था बात स्प्ष्ट है इस विश्वविद्यालय में सभी वर्णों के लोग समान शिक्षा ग्रहण करते थे । शिक्षा भारत के लिये कितना महत्व रखती थी यह विषय है ? महाजनपदों में राजा के बाद पद महामंत्री का हो
जातियां , आरक्षण और भारत विखंडन भारत वर्ष में एक समय प्रबुद्ध हिन्दू मन "स्वदेशी" "हिन्दू" व "राष्ट्रीय" को एक ही समझता था। उसकी यह दृष्टि ब्रिटिश शासकों से छिपी न रह सकी। 1880 में सर जान सीले ने इंग्लैंड में एक भाषण माला में स्पष्ट शब्दों में प्रतिपादित किया कि भारत में राष्ट्रीयता की आधारभूमि हिन्दू समाज में ही विद्यमान है अत: भारत में ब्रिटिश शासन के स्थायित्व के लिए आवश्यक है कि हिन्दू मन की सामाजिक विजय के उपाय खोजे जाएं। सर जान सीले की प्रसिद्ध पुस्तक "एक्सपेंशन आफ इंग्लैंड" के इन अंशों को प्रसिद्ध देशभक्त लाला हरदयाल ने "सोशल कान्क्वेस्ट आफ हिन्दू रेस" शीर्षक से प्रकाशित किया था। 1945 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संघ-स्वयंसेवकों को यह पुस्तक आग्रहपूर्वक पढ़वायी जाती थी। ब्रिटिश शासकों की यह विशेषता रही है कि वे किसी समस्या का गहरा अध्ययन कर एक दूरगामी रणनीति तैयार करते थे। वे समझते थे कि किसी देश की सामाजिक विजय के लिए आवश्यक है कि उनके मन-मस्तिष्कों को बदला जाए, उनके मस्तिष्क-बोध को घायल किया जाए, उनकी इतिहास दृष्टि को
  विश्व सरकार यानी वर्ल्ड गवर्नमेंट बनाने का दानवीय शक्तियां एक एक कदम आगे बढ़ रहा है हम अब एक नए गुलामी की तरफ बढ़ते जा रहे हैं और इस कांस्पीरेसी को अच्छे से अच्छे व्यक्ति अभी समझ नहीं पा रहा है   नीचे लिखे गए लेख में आप को पूर्ण स्पष्टता हो जाएगी भारत को गार्जियन ड्रोन देगा US, पहली बार नाटो देशों के बाहर होगी डील . भारत की पापडतोड सरकार इस ड्रोन का क्या करेगी, आचार? . भारत के लोग इतने मुर्ख नही कि दानवों के इशारे और इरादे समज ना सके । युरोप के देशों की उनकी अपनी सेना खतम कर दी और 'नाटासेना" बना ली, जीसका कबजा युएन और अमरिका के पास है । अब एसिया पर नजर है । एसियन देशों की सेनाओ पर कबजा कर 'विश्वसेना' बनानी है। . मैं भी सोचुं, भारत पाकिस्तान और चीन जैसे कट्टर दुश्मनो के सैनिक साथ साथ, कंधे से कंधा मिलाकर युध्ध का अभ्यास करने के लिए रसियन पहाडियों में क्यों जा रहे हैं ! बता रहे हैं कि आतंकवादियों से लडने की तालिम है । आतंकवादी कौन होन्गे? (१) ध्वस्त होती सिस्टम से तंग आकर बीफरी प्रजा, जो दौडा डौडा कर नेताओं की पिटाई करेगी। (२) विश्ववाद का विरोध करती राष्ट्रवादी जनत
प्राचीन भारत में ऋषि-मुनियों को जैसा अदभुत ज्ञान था, उसके बारे में जब हम जानते हैं, पढ़ते हैं तो अचंभित रह जाते हैं. रसायन और रंग विज्ञान ने भले ही आजकल इतनी उन्नति कर ली हो, परन्तु आज से 2000 वर्ष पहले भूर्ज-पत्रों पर लिखे गए "अग्र-भागवत" का रहस्य आज भी अनसुलझा ही है. जानिये इसके बारे में कि आखिर यह "अग्र-भागवत इतना विशिष्ट क्यों है? अदृश्य स्याही से सम्बन्धित क्या है वह पहेली, जो वैज्ञानिक आज भी नहीं सुलझा पाए हैं आमगांव… यह महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की एक छोटी सी तहसील, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़ी हुई. इस गाँव के ‘रामगोपाल अग्रवाल’, सराफा व्यापारी हैं. घर से ही सोना, चाँदी का व्यापार करते हैं. रामगोपाल जी, ‘बेदिल’ नाम से जाने जाते हैं. एक दिन अचानक उनके मन में आया, ‘असम के दक्षिण में स्थित ‘ब्रम्हकुंड’ में स्नान करने जाना है. अब उनके मन में ‘ब्रम्हकुंड’ ही क्यूँ आया, इसका कोई कारण उनके पास नहीं था. यह ब्रम्हकुंड (ब्रह्मा सरोवर), ‘परशुराम कुंड’ के नाम से भी जाना जाता हैं. असम सीमा पर स्थित यह कुंड, प्रशासनिक दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश के लो
   2011 में पद्मनाभ स्वामी मंदिर के तहखाने के दरवाजे खुलते हैं और सोने जवाहरात की गिनती शुरू होती है.. जब गिनती शुरू होती है तो दुनिया की आँखे फटी की फटी रह जाती है.. मन्दिर के मुख्य तहखाने का दरवाजा तो अब तक भी नहीं खुला है और इसे बंद रखने का ही फैसला लिया गया है। .. जो दरवाजे खुल पाये उसमें से बरामद किए गए सोने और आभूषणों की कीमत 1 लाख 32 करोड़ रुपये बताई गई है।.. एक अनुमान के मुताबिक मुख्य तहखाने में रखी गई आभूषणों की कीमत इनसे 10 गुना तक ज्यादा हो सकती है। वर्तमान समय में दुनिया के सबसे अमीर लोगों की बात करे तो बिलगेट्स और जेफ बेजोस के बीच मुकाबला चलते रहता है.. पिछले साल की बात करे तो बिलगेट्स के पास 6 लाख करोड़ के आस पास संपत्ति थी और यही कोई बेजोस के पास भी।.. मने सिर्फ भारत के एक मंदिर पद्मनाभ स्वामी मंदिर ही इन दोनों के संपति की बराबरी कर सकता है। अब थोड़ा सा यहां एक चीज और जोड़ लेते हैं.. टीपू सुल्तान.. हाँ वही जो बड़का स्वतंत्रता सेनानी योद्धा बनता घूमता है ने केरल और कर्नाटक के सैकड़ों मंदिर को लूट के अथाह संपति जमा की थी। जिसे ईस्ट इंडिया कम्पनी ने मार कर हरा कर स
उज्जैन में हुए अंतर्राष्ट्रीय गुरुकुल सम्मेलन गुरुकुल साबरमती के छात्रों का संगीत की जुगलबंदी इस संगीत का आनंद लीजिए और गुरुकुल की व्यवस्थाओं को आगे बढ़ाने में हमें मानसिक सहयोग प्रदान करें अजय कर्मयोगी गुरुकुलम साबरमती अहमदाबाद 9336919081 https://youtu.be/oj_Wlfx-_m8
आंखे खोलकर पढ़िएगा १बार में समझ नहीं आए तो १०बार पढ़िएगा भारत की राज्यसभा चलती है लंदन की राज्यसभा से, मतलब Upper House of British or UK parliament से। इस Upper House के मेम्बर होते हैं युरोप राजघरानों वाले और जिन को लोर्ड की उपाधि मिलती है। इन के कंट्रोल में होती है भारत की राज्यसभा। इन के ही कंट्रोल में दुनिया के सब बिज़नस होते हैं। वेदांता और चर्च इन का ही है, जैसे टाटा समझ लो, टाटा की कम्पनी कोरस स्टील । टाटा और भारत सरकार को बुधु बना कर 1 लाख करोड़ से ज़्यादा रुपया लूट कर कम्पनी वापस ले ली। मतलब 1 लाख करोड़ भी मिल गया टाटा को कम्पनी बेच कर और बाद में कम्पनी भी वापस मिल गयी युरोप वालों को। ऐसे ही भारत में इन के बहुत एजेंट हैं जिस में से एक नीरव मोदी भी है। नीरव मोदी का काम होता है युरोप राजघरानो के लिए अंटिक सामान की नीलामी करवाना। जिस से उन राजघरानो के ख़र्चे पूरे हो सके। और सब से ज़्यादा पुराना सामान जैसे सोने  का, अस्ट धातु मूर्ति, दुनिया के सब से बड़े हीरे सब भारत के पास। सरकारी खजाने में मंदिरो में जो ग़ायब होती और नीलाम होती। तो नीरव भी Upper House का ख़ास आदमी, इसलि
गुरुकुलों की श्रंखला में एक और नए गुरुकुल का समावेश हुआ इसी क्रम आयुष ग्राम गुरुकुलम् चित्रकूट उत्तर प्रदेश में 21 ब्रह्मकुमार बटुक का विद्या आरंभ संस्कार एवं उपनयन संस्कार का आयोजन किया गया इसी के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर श्री अजय कर्मयोगी जी द्वारा बच्चों एवं आचार्य को मार्गदर्शन व आशिर्वचन प्राप्त हुआ इसी क्रम में आयुष ग्राम गुरुकुल के संचालक श्री मदन गोपाल बाजपेई जी द्वारा श्री अजय कर्मयोगी जी का अंग वस्त्र एवं श्रीफल के द्वारा सम्मानित किया गया इस अवसर पर राजीव दिक्षित गुरुकुल के प्रमुख आचार्य श्री पुष्पराज त्रिपाठी जी का गरिमामय उपस्थिति लोगों को आह्लादित  कर रही है                            https://youtu.be/f5nrgiEhgEA                 https://youtu.be/yKAY4xAauNM
.१ जैसा कि आपको बताया गया था कि सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत करने हेतु क्या प्रक्रिया करनी चाहिए, यदि आप " सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत करनेकी प्रक्रिया सीखना चाहते हैं; अतः हमें 9336919081 संपर्क करें३. यदि आप राष्ट्र और धर्मके ऊपर हो रहे आघातपर अपने विचार या समाचार साझा करना चाहते है तो आप हमारे 'राष्ट्र आराधना' गुटके सदस्य बन सकते हैं । इस हेतु हमें 'राष्ट्र आराधना' गुटमें  में लिखकर भेज सकते हैं । ------------ ४. मध्य प्रदेशके सागर जनपदमें वैदिक समाधान व प्राकृतिक चिकित्सालय एवं शोध संस्थान  आरम्भ होने वाला है जिसमें निम्नलिखित चिकित्सा प्रणालीके विशेषज्ञ, यदि हमसे जुडकर किसी भी रूपमें  सेवा प्रदान करना चाहते हैं तो वे हमें अवश्य ही संपर्क कर सकते हैं । (इस क्षेत्रके विशेषज्ञ, जो वानप्रस्थी हैं वे भी अपनी सेवा प्रदान कर सकते हैं ।) १. आयुर्वेदिक चिकित्सा २. संगीत चिकित्सा ३. मुद्रा चिकित्सा ४. योग(आसन एवं प्राणायामद्वारा) चिकित्सा ५. प्राणशक्ति चेतना प्रणाली चिकित्सा ६. मिट्टी चिकित्सा ७. जल चिकित्सा ८. सूर्य किरण चिकित्सा ९. रंग(रत्नद्वारा) चिकित्सा १०. पञ्चगव्
ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों को भारत का शासक मानना निपट अज्ञान ----------------------------------------------------------------------------------- इसी संदर्भ में ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रभाव के विषय में कुछ आवश्यक तथ्यों का भी स्मरण और चर्चा करना उचित होगा . जब कंपनी को भारत में व्यापार में कुछ मामूली सी सफलता मिली तो उसने कुछ जगहों पर अपने तथाकथित किले  बनवाए जो भारतीय राजाओं के किलों के सामने उपहास के योग्य है.  ऐसा ही दलदली इलाके में नए बसाए गए कोलकाता में फोर्ट विलियम के नाम से एक किला बनाया और उसके आसपास कंपनी का जो व्यापार और लगान वसूली के ठेके वाला इलाका था, उसे कंपनी ने अपने कागजात में अपनी प्रेसिडेंसी कह दिया और उस इलाके में कंपनी के कर्मचारियों का एक महाप्रबंधक बनाया गया जिस की उपाधि दी गई गवर्नर जनरल ऑफ़ प्रेसिडेंसी फोर्ट विलियम.  इस गवर्नर जनरल की नियुक्ति ईस्ट इंडिया कंपनी का निदेशक मंडल करता था और इस निदेशक मंडल ने भारत में अपने चार अन्य अफसरों को  एक परिषद का सदस्य नामजद कर दिया.उस  परिषद का काम था कंपनी के इस महाप्रबंधक को यानी गवर्नर जनरल को काम करने के तरीके के बारे में