प्राचीन भारत मे शिक्षा का महत्व - भारत गुरूकुलों का देश था जातकों में जिस प्रथम विश्वविद्यालय कि चर्चा है वह है " तक्षशिला " तक्षशिला कि स्थापना भगवान राम के भाई भरत के पुत्र तक्ष ने कि थी वाल्मीकि रामायण में इसकी चर्चा है ऋग्वेद में भी तक्षशिला कि चर्चा है । तक्षशिला विश्वविद्यालय में देश विदेश के 10 हजार विद्यार्थी पढ़ते थे वैसे तो यहां सभी तरह की शिक्षा दी जाती थी लेकिन यह विश्वविद्यालय शस्त्र विद्या और राजनीति शास्त्र के लिये प्रसिद्ध था । आचार्य चाणक्य यहां शिक्षा ग्रहण किये और यही राजनीतिक शास्त्र के आचार्य हो गये भारत के 16 महाजनपदों के राजपुत्र यही शिक्षा ग्रहण करते थे जिन महान राजाओं की चर्चा है जो यहां शिक्षा ग्रहण किये उनकी संख्या सीमितजातक में 103 दी गई है जिसमे प्रसेनजित , शल्य , लिक्ष्वी , काशीनरेश , मगध आदि के नाम है प्रसिद्ध डाकू अंगुलिमाल भी यही शिक्षा ग्रहण किया था बात स्प्ष्ट है इस विश्वविद्यालय में सभी वर्णों के लोग समान शिक्षा ग्रहण करते थे । शिक्षा भारत के लिये कितना महत्व रखती थी यह विषय है ? महाजनपदों में राजा के बाद पद महामंत्री का हो
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण