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Showing posts from February, 2021

चतरा के बनांन्चल में गाय गांव गुरुकुल की परंपरा को एक नया आयाम

      राष्ट्रीय स्वतंत्र गुरुकुल अभियान के झारखंड राज्य टीम संयोजन में चतरा डिस्ट्रिक्ट के बनांचल क्षेत्र में एक नए गुरुकुल का शिलान्यास इस गाय गांव गुरुकुल अभियान के मनोबल को अधिक उत्साह और प्रचंड बेग भर दिया है गांव गाय गुरुकुल की व्यवस्थाओं को फिर से स्थापित करके ही भारत को एक विश्व गुरु और श्रेष्ठ भारत की संकल्पना साकार हो सकती है मै कार्य कर रहा हूँ , अपने गाँव मे रहने वाले उन किसान भाइयों के लिए , जो मजबूरी में अपना घर छोड़कर शहरों में जाते हैं रोजगार की तलाश में , और ज़िनसे शहर में रहने वाले जरसी हो चुके मानव जैसी शक्लों वाले जरसी इंसान अपना कार्य निकाल रहे है , मुझे गाँव के ग्रामीणो के लिए गाँव में ही रोजगार पैदा करना हैं , मुझे आभास होता शहर में रहने वाले स्वार्थी मनुष्यों को कोई हमदर्दी भी नही होता है ,इसके पीछे कारण है ये गाँव से आया शहरी आज ऐसा बर्ताव कर रहा है जैसे कि गाँव से इसका कोई लेना देना ही ना हो , कभी नही सोचता अपने गाँव के विकास के लिए , इसे हम इसके ही हाल पर छोड़ना चाहते हैं , ब्रांडेड कपडे ,ब्रांडेड गाड़ी ,ब्रांडेड जूते पहनने वालों को खाने दो , सड़ा हुआ यूरीआ और डी ए

सूर्य रथसप्तमी गुप्त नवरात्रि देवी नर्मदे ,गोलवर्कर गुरुजी हिंदू हृदय सम्राट श्री शिवाजीराज महाराज और राष्ट्र चिंतक इतिहासकार आदरणीय श्री धर्मपाल जी के जन्मदिन की शुभकामनाएं

    १. माघ मास (महीने की) शुक्ल सप्तमी को रथसप्तमी मनाई जाती है । इस दिन से सूर्यदेव अपने रथ में बैठकर यात्रा करते हैं । इस रथ में सात घोडे होते हैं; इसलिए रथसप्तमी शब्द का उपयोग किया जाता है २. जिस सूर्य के कारण अंधेरा नष्ट होता है और चराचर में नया तेज, नया जीवन प्राप्त होता है, उस भास्कर की यह पूजा है । यह प्रकाश की, सूर्यदेवता की पूजा है । ३. स्त्रियां संक्रांति के अवसर पर जो हलदी कुमकुम करती हैं, रथसप्तमी उसका अंतिम दिन माना जाता है । (संदर्भ : श्रीधर संदेश, जनवरी २०१४) महत्त्व सर्व संख्याओं में सात अंक का महत्त्व विशेष है । सात अंक में त्रिगुणों की मात्रा संतुलित होती है तथा सत्त्वगुण की वृद्धि के लिए आवश्यक चैतन्य, आनंद इत्यादि सूक्ष्म-तरंगें ग्रहण करने की विशेष क्षमता होती है । सप्तमी तिथि को शक्ति और चैतन्य का सुंदर संगम होता है । इस दिन विशिष्ट देवता का तत्त्व और शक्ति, आनंद एवं शांति की तरंगे २० प्रतिशत अधिक मात्रा में कार्यरत होती हैं । रथसप्तमी को निर्गुण सूर्य की (अतिसूक्ष्म सूर्यतत्त्व की) तरंगें अन्य दिनों की तुलना में ३० प्रतिशत अधिक मात्रा में कार्यरत होती हैं । सूर्य

इतिहास में रामानुजन से बड़ा और विशिष्ट गणितज्ञ नहीं पर इसका उपयोग अंग्रेजों ने किया

       *रामानुजन और तीसरी आंख का रहस्य* 👁  रामानुजन जेसा श्रेष्ठ गणितज्ञ को भी अंग्रेजी नराधम व्यवस्था ने उनकी प्रतिभा का उपयोग अपने हित के लिए किया और मात्र 36 साल में ही उन की जीवन लीला समाप्त हो गई क्योंकि बहुत सारे रिकार्ड इनकी नाम भी बन सकते थे और भारत का ज्ञान दुनिया में स्थापित हो सकता था पर दुर्भाग्य से गणितज्ञ रामानुजन जी की अल्प आयु में मौत हो गई जो संदेहास्पद स्थिति प्रतीत होती है और आज ही हजारों प्रतिभा ऐसे ही उनके काम आ रही हैं यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य की है आजादी की बाद भी यह सब चल रहा अब एक ही समाधान राष्ट्रीय स्वतंत्र गुरुकुल अभियान     9336919081 अठारह सौ अट्ठासी में दक्षिण के चर छोटे से परिवार में एक व्यक्ति पैदा हुआ--फिर पीछे तो वह विश्वविख्यात हुआ, रामानुजन--बहुत गरीब ब्राह्मण के घर में, बहुत थोड़ी सी शिक्षा मिली। लेकिन उस छोटे से गांव में ही बिना किसी विशेष शिक्षा के रामानुजन की प्रतिभा गणित के साथ अनूठी थी। जो लोग गणित जानते हैं, उनका कहना है कि मनुष्य-जाति के इतिहास में रामानुजन से बड़ा और विशिष्ट गणितज्ञ नहीं हुआ। बहुत बड़े-बड़े गणितज्ञ हुए हैं, पर वे सब सुशिक

जन्मजात बच्चों को दानवों से बचाने यानी गर्भ संंरक्षण का उपाय

       गर्भवती स्त्री के लिए नियम-संयम *हम सबका अनुभव है कि अब से 20 -25 साल पहले तक 1% प्रसव (delivery) ऑपरेशन से होते थे। जब से गर्भवती महिलाओं में गायनेकोलॉजिस्ट के पास जाने का प्रचलन बढ़ा है, 70% प्रसव ऑपरेशन से होने लगे हैं। आँकड़ें कहते हैं कि पूरे देश में केवल 7% प्रसव ऑपरेशन से होते हैं। वास्तव में आज भी केवल 10% गर्भवती महिलाएँ ही गायनेकोलॉजिस्ट के पास जाती है, उनमें से 70% पूरे देश की महिलाओं का 7% ही होता है।* स्वाभाविक है कि या तो गायेकोलॉजिस्ट अज्ञानी है या इसके पीछे कोई भयानक षड्यंत्र है। पहले अज्ञान की बात- *गायनेकोलॉजिस्ट का अज्ञान –*          https://youtu.be/k8i0_lqRNU8 ✍ हमारे यहाँ की अनपढ़ से अनपढ़ महिला भी जानती है कि गर्म आहार से गर्भस्राव (miscarriage) हो सकता है; इसलिए गर्भवती को गुड़, तला भोजन, गर्म मसाला, पपीता, लहसुन, बैंगन, दही आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन जैसे ही कोई गर्भवती महिला डॉक्टर के पास जाती है, वे उसे आयरन और कैल्शियम की कमी बताकर आइरन-कैल्शियम देना शुरु कर देती हैं। *आइरन-कैल्शियम दोनों ही बहुत गर्म होते हैं।* परिणाम-गर्भाशय

732000 गुरुकुल क्यों नष्ट हो गए

    आखिर कहाँ खो गए भारत के ७ लाख ३२ हज़ार गुरुकुल एवं विज्ञान की २० से अधिक शाखाएं??? बात आती है की भारत में विज्ञान पर इतना शोध किस प्रकार होता था, तो इसके मूल में है भारतीयों की जिज्ञासा एवं तार्किक क्षमता, जो अतिप्राचीन उत्कृष्ट शिक्षा तंत्र एवं अध्यात्मिक मूल्यों की देन है। “गुरुकुल” के बारे में बहुत से लोगों को यह भ्रम है की वहाँ केवल संस्कृत की शिक्षा दी जाती थी जो की गलत है। भारत में विज्ञान की २० से अधिक शाखाएं रही है जो की बहुत पुष्पित पल्लवित रही है जिसमें प्रमुख १. खगोल शास्त्र २. नक्षत्र शास्त्र ३. बर्फ़ बनाने का विज्ञान ४. धातु शास्त्र ५. रसायन शास्त्र ६. स्थापत्य शास्त्र ७. वनस्पति विज्ञान ८. नौका शास्त्र ९. यंत्र विज्ञान आदि इसके अतिरिक्त शौर्य (युद्ध) शिक्षा आदि कलाएँ भी प्रचुरता में रही है। संस्कृत भाषा मुख्यतः माध्यम के रूप में, उपनिषद एवं वेद छात्रों में उच्चचरित्र एवं संस्कार निर्माण हेतु पढ़ाए जाते थे। थोमस मुनरो सन १८१३ के आसपास मद्रास प्रांत के राज्यपाल थे, उन्होंने अपने कार्य विवरण में लिखा है मद्रास प्रांत (अर्थात आज का पूर्ण आंद्रप्रदेश, पूर्ण त

1857 के बाद बने अंग्रेजी कानून IPC व संविधान से भारत पतंन की ओर अग्रसर

      आपने कभी सोचा #लोकतंत्र के नाम पर इन गोरे और काले #अंग्रेज़ो ने हमारे साथ क्या किया? निज स्वार्थ और हित छोड़ #समग्रता से #सोचिये। अंग्रेज़ो ने अपना राज स्थापित करने के लिए #सनातन की #कर्तव्य आधारित व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए 1857 के विद्रोह के बाद पहला कानून लाया, 1860 से आई पी सी का बनना शुरू हुआ। इसके पहले हम सनातनी कानून के हिसाब से चलते थे, जिनमे #अधिकारों से अधिक #कर्तव्यों पर जोर था। न्यायाधीश, सामाजिक नियम बनाने वाले, शिक्षक, वैद्य जैसे लोग जो समाज के जीवन को तुरंत प्रभावित करने में सक्षम थे उनके लिए सनातन में निशुल्क कार्य करने की व्यवस्था थी, समाज इन्हें भिक्षा, दक्षिणा, मान, टीका के रूप में पारितोषिक देता था, ये लोग समाज के हित में काम करने मजबूर थे, क्योंकि समाज मे बदनामी से बड़ी कोई सज़ा थी ही नहीं, अंग्रेज़ो ने इस व्यवस्था को तोड़ने, #सनातनी #सामाजिक #लीडरशिप को तोड़ने के लिए वजीफा (मानदेय/तनख्वाह) तंत्र स्थापित किया, सेना और पुलिस को दंड के अधिकार दिए। जबकि सनातन के नियमो में प्रत्यक्ष दंड के प्रावधान बहुत कम थे, हमारे यहां अप्रत्यक्ष दंड के प्रावधान थे। हम नरक की कढ़ाई

HARP टेक्नोलॉजी से विश्व को गुलाम बनाने के लिए प्रकृति को हथियार बनाने की चाल

       बिल गेट्स का एक दिन पहले का बयान ..... "जलवायु परिवर्तन और जैव हथियार से आने वाले दिनों में लाखों लोगों की जान जा सकती है" ..... और आज .... ग्लेशियर टूटने से डैम टूटा ..... श्रीनगर से हरिद्वार तक पानी से भारी तबाही हो सकती है जिस तरह का समाचार आ रहा है ..... इस आदमी को हर दुर्घटना का पता पहले ही कैसे चल जाता है ये दुनिया का सबसे अमीर आदमी है, सबसे बड़ा किसान है, सबसे बड़ा सोफ्टवेयर सप्लायर है, हर क्षेत्र में इसे व्यापार करना होता है, किसी भी क्षेत्र में टांग अड़ाता है कहीं ये ही तो सारे फसाद की जड़ नहीं है??????? गूगल पर सर्च करिये HAARP क्या पता कुछ कडियाँ जुड़ जाएँ ऐसे ही थोड़े ही 2013 में उत्तराखंड त्रासदी हुई थी। भगवान रक्षा करें देशवासियों की इस प्रलय से ... और वैश्विक असुरों से ... क्या ग्लेशियर के टूटने में चीन का हाथ हो सकता है? यह हमारी जासूसी संस्था के लिए इस समय का सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है।   बादल फाडा किसने ?  उत्तराखंड की त्रासदी के बारेमें बहुत कुछ लिखा गया है । बादल फटने के कारण स्कूली मास्टरों की तरह समजा दिया गया हैं । ----((( संघनित बादलों का नमी बढ़ने पर बू

किसान आंदोलन का अंतरराष्ट्रीय संबंध

      बिना अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम को समझें आप कोई भी यथार्थ निर्णय नहीं कर सकते चाहे किसान बिल क्यों ना हो इसे समझने के लिए आपको World Trade Organization (WTO) में पिछले कुछ वर्षों में हुए घटनाक्रम समझने पड़ेंगे, WTO की कृषि विषयों पर एक समिति है Committee on Agriculture (CoA) जिसका काम सभी देशों की संपूर्ण कृषि व्यवस्था को Control करना, उनके नियम कानूनों को Review करना और संबंधित देशों की सरकारों पर दबाव डालकर ऐसे कानून लागू करवाना है जो अमेरिका, कनाडा, यूरोपियन यूनियन और आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के (या कह सकते उनके किसानों के) हित में हों, WTO की Committee on Agriculture की साल में तीन से चार बार बैठक होती है जिसमें पिछले वर्षों में जितनी भी बार बैठक हुयी है लगभग हर बार विकसित देशों (खासकर अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय यूनियन) ने भारत के कृषि कानूनों को लेकर सवाल उठाये हैं और WTO के जरिए भारत सरकार पर दबाव बनाया है कि वो किसानों को सरकारी सहायता देना जल्द से जल्द बंद करे WTO में भारत के खिलाफ जो शिकायतें की गयी हैं उसमें मुख्य शिकायत है MSP अर्थात् Minimum support price, विकसित देश