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Showing posts from May, 2020

गंगा दशहरा पर याद महाराणा प्रताप का जीवन शौर्य तेज पराक्रम की छवि से भी ऊपर प्रजा के हित में जलके स्रोतोंको संबंर्धित करना था

    राजस्थान की एक गांव में उस मॉ के शब्द आज तक मुझे झंकृत कर रहे हैं की अकाल ऐसे नहीं आता अकाल तब आता है जब हबस बढ़ जाती है भूख बढ़ जाती है और वहां भी देखा कि एक ही पानी का करीब 6 प्रकार से प्रयोग होता था आज जल संरक्षण पर बात करने वाली सरकार लोगों को संस्कार विहीन कर हवस को बढ़ा दिया और पानी की सुगमता को बढ़ाकर जीवन से जल संरक्षण का वह संस्कार समाप्त कर दिया गया जिसने जल के लिए वह पीड़ा नहीं देखी और उसके लिए तप नहीं किया जैसे कुँवे से पानी निकालना हो चाहे एक 2 किलोमीटर से पानी लाना हो सर पर रखकर के उससे आप कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि जल संरक्षण करेगा ? जिसने जीवन में जल के लिए कोई दर्द नहीं सहा वह जल का संरक्षण कैसे कर सकता है? इसी संस्कृति ,अपनी संस्कार, परंपरा ,रीति-रिवाज, व्रत और पर्व क्या कहते हैं दशमी को जलागमन : एकादशी को जलाभाव #जेठ_में_जल जेठ मास जल के महत्व को कई रूपों में समझने की प्रेरणा लिए आता है। अव्वल तो यही महीना काल के सुकाल और दुष्काल रूप को दिखाता था। मैं तो इसे पूर्ति और अभाव के संधि के रूप में भी देखता हूं। प्याऊ या पौंसले कायम कर पेयजल उपलब्ध करवाने की परंपरा दान

प्राकृतिक जीवन शैली से आज की महामारी से बचाव

      हरी पत्तियों (Green Leaves)को जाने किन किन पत्तियों का उपयोग किस हेतु उत्तम है।* सृष्टि में यदि खाद्य पदार्थों की बात करें तो ईश्वर ने सर्वप्रथम हरी पत्तियों (वायु तत्व) का सृजन किया मानो ईश्वर मनुष्य को संकेत दे रहा हो कि मैंने तुम्हारे भोजन की पहली खुराक तुम्हें दे दी है। वास्तविकता है कि हमारे भोजन में यदि पहली खुराक पत्तियों की हो सके तो स्वास्थ्य की ओर उठने वाला यह पहला कदम साबित हो सकता है। विचारणीय है कि हमारे सभी देवताओं का पुजन भी पत्तियों से किया जाता है । क्यों ? क्योंकि यही उचित है। देवताओं में प्रथम पूज्य गणपति जी महाराज का पूजन दूर्वा से किया जाता है, दूर्वा के बिना गणेश जी मोदक का भोग स्वीकार नहीं करते। इसी प्रकार विष्णु भगवान का भोग तुलसी पत्र तथा शिव जी का भोग बेल पत्र के बिना सम्भव नहीं है । ऐसा इसीलिए विधान बनाया गया जिससे मनुष्य भी इससे सीख ले और अपने भोजन में पत्तियों को प्रथम स्थान दे। पत्तियों में क्लोरोफिल नामक तत्व पाया जाता है जो शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है। यदि आपके शरीर में यह तत्व रहेगा तो कोई भी संक्रामक रोग आप पर आसानी से आक्रमण

क्या यह भारत सरकार को बदनाम करने की साजिश या सच्चाई

    आपको अपनी आँखों पर विश्वास नही होगा जो खुलासा अब आप पढ़ने जा रहे है...... ऐसा भी नही है कि यह दावा करने वाला मैं पहला व्यक्ति हूँ दरअसल 2017 में जर्मनी के अर्थशास्त्री नॉरबर्ट हेयरिंग ने यह दावा कर सनसनी मचा दी थी कि भारत मे नोटबंदी अमेरिका के इशारे पर हुई थी लेकिन हमने उन संगठनों के नाम पर ध्यान नही दिया जिनका नाम नॉरबर्ट हेयरिंग ने लिया था और जिनके दबाव में भारत सरकार ने ये डिसीजन लिया यह संगठन थे ......बेटर दैन कैश एलाइंस, द गेट्स फाउंडेशन (माइक्रोसॉफ्ट),ओमिडियार नेटवर्क (ई-बे), द डेल फाउंडेशन, मास्टरकार्ड, वीजा और मेटलाइफ फाउंडेशन उस वक़्त नॉरबर्ट हेयरिंग द्वारा किया गया यह दावा सनसनी बनकर रह गया किसी ने उस पर ध्यान नही दिया क्योकि लेख बड़ा अस्पष्ट सा था इसमें सिर्फ इतना ही जिक्र था कि नोटबंदी के लगभग महीने भर पहले, अमेरिका द्वारा दूसरे देशों को मदद करने के लिए बनाई गई संस्था यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी ऑफ इंटरनेशनल डेवलेपमेंट (यूएसएआईडी) ने ‘कैटलिस्टः कैशलेस पेमेंट पार्टनरशिप’ की स्थापना किए जाने का ऐलान किया था । ओर इसमे भारत के वित्त मंत्रालय की भी हिस्सेदारी थी कल रा

करोना का इलाज गोमाता के साथ

 अंतिम ब्रह्मास्त् == करोना का इलाज गोमाता के साथ दो दिन पहले मैंने आप सभी को वर्तमान महामारी का ब्रह्मास्त्र देने का वचन दिया था। इससे पहले वह ब्रह्मास्त्र दू, आपको तीन कहानियाँ सुनाऊंगा। कहानियां सुनने के बाद और इनका मर्म समझने के बाद वह ब्रह्मास्त्र इस पोस्ट को पढ़ने वालों को स्वयम ही मिल जाएगा। पहली कहानी वह समय था 19th एवम 20th सेंचुरी का। अर्थात 1800 से लेकर 1999 का समय। भारत में आक्रमणकारी आतताइयों के अलावा कोई और भी था जिसने त्राहिमाम मचा रखा था। वैसे तो यह त्राहिमाम हजारो वर्षो से मचा हुआ था किंतु सिर्फ 20th सेंचुरी में 300 मिलियन अर्थात 30 करोड़ लोग इस त्राहिमाम से परलोक सिधार चुके थे। क्या था यह त्राहिमाम। यह था एक छोटा सा वायरस। नाक और गले के माध्यम से एक अदृश्य वायरस मानव के शरीर में घुस जाता था। फेफड़ों में जाकर फ्लू और बुखार जैसे लक्षण आते थे, फिर पूरा शरीर फफोलो से भर जाता था। गॉव के लोग इस महामारी को बड़ी माता कहते थे और वैज्ञानिक लोग चेचक। चेचक होते ही 10 में से 4 लोगो को मरना ही होता था। समय बीत रहा था विश्व भर में बेहिसाब लोग चेचक से मर रहे थे किन्तु भारत म

गदर पार्टी के संस्थापक करतार सिंह के जन्मदिन पर

   24 मई एक ऐसे अमर बलिदानी का जन्मदिवस है जिसका नाम भी हम में से बहुतों ने नहीं सुना होगा पर जिसने उस आयु में जब हम आप अपने परिवार के प्रति भी अपना उत्तरदायित्व नहीं समझते, खुद को देश पर बलिदान कर दिया| मात्र 19 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले इस हुतात्मा का नाम है- करतार सिंह सराबा| 24 मई 1896 में पंजाब में लुधियाना के सराबा गाँव में एक जाट सिख परिवार के सरदार मंगल सिंह और साहिब कौर के पुत्र के रूप में जन्मे करतार ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था और उनका तथा उनकी छोटी बहन धन्न कौर का लालन पालन उनके दादा जी द्वारा किया गया| मंगल सिंह के दो भाई और थे- उनमें से एक उत्तर प्रदेश में इंस्पेक्टर के पद पर प्रतिष्ठित था तथा दूसरा भाई उड़ीसा में वन विभाग के अधिकारी के पद पर कार्यरत था। अपने गांव से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद करतार सिंह ने लुधियाना के मालवा खालसा हाई स्कूल में दाखिला लिया और दसवीं की परीक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के पास उड़ीसा चले गए। जब वे केवल 15 वर्ष के थे, उनके अभिभावकों ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अम

टिंबकटू के इतिहास और भारत की समृद्धि

ऐतिहासिक और प्रमाणिक सत्य है कि पांचवी सदी में बने टिम्बकटू शहर से 15वीं-16वी सदी तक ऊँटों के काफिले सहारा रेगिस्तान हो कर सोना ढोया करते थे। आजतक के मानव इतिहास में सन 1280 से 1337 ई तक टिम्बकटू के राजा रहे #मनसा__मूसा_केता यानि सुल्तान मूसा केता को टाईम और फोर्ब्स मैगजीन्स ने अब तक का सबसे अमीर व्यक्ति माना है। टिम्बकटू के बारे में खोजी प्रवृति के मित्रगण जानना शुरू कीजिए बहुत कुछ वो मिलेगा जो हिन्दुत्व विरोधियों को मुंह तोड जवाब देने का कोड़ है.. भारत का ज्ञान और टिम्बकटू का सोना ---------------------------------------------- इस पृथ्वी पर सोने की सबसे बड़ी लूट 1799 में हुई थी जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक जर्मन यहूदी रोथ्सचिल्ड ने टीपू सुल्तान की हत्या करके उसका सारा सोना उठवा लिया और जहाजों से यूरोप भेज दिया। यही सोना रोथ्सचिल्ड के बैंक समूह ( IMF, वर्ल्ड बैंक, अमेरिकन फ़ेडरल रिज़र्व ) का आधार बना -- इसी से इतिहास की बड़ी बड़ी घटनाओं -- दोनों विश्व युद्ध, फ्रांस, रूस, चीन की क्रांतियाँ तथा अनेक नरसंहारों को अंजाम दिया गया, इसी ने रोथ्सचिल्ड को “बिग ब्रदर” की पदवी दिलाई। पर टीपू

करोना का राज हुआ पर्दाफाश चीनी अमरीकी कंपनियों ने मिलकर रची साजिश

  करोना वायरस विकास में अमेरिकी और चीनी बायोटेक के बीच गहरे सहयोग को उजागर करती है। UNITAID नाम की एक इकाई, जो क्लिन्टन द्वारा स्थापित और बिल गेट्स द्वारा पोषित है, दुनियाभर में मर्केटिन्ग करती है । 2015 में Gilead Sciences के साथ WuXi AppTech की साझेदारी ने वैश्विक स्तर पर इस वैश्विक साझेदारी के आंतरिक निर्माण और विश्व भर में महामारी के बीच दवा उद्योग में वित्त पोषण के लिए एक रास्ता खोला। . WuXi AppTech and Gilead Sciences . शंघाई स्थित WuXi AppTech को चीनी WuXi PharmaTech और American AppTec Laboratory Services के संयोजन से बनाया गया था। जिसके केंद्र Minnesota, Pennsylvania and Georgia में थे। दूसरी ओर, Gilead Sciences एक वैक्सीन निर्माता कम्पनी है, जिसका बायोटेररिज्म के आरोपों का एक काला इतिहास है। जिसमें अल-कायदा के साथ सहयोग के झूठे बहाने के तहत पेंटागन को एक प्रतिस्पर्धी फैक्ट्री में बम गीराना शामिल है। . दिलचस्प बात यह है कि गिलियड वैक्सीन लॉबी का हिस्सा था, जिसके इशारे पर 2009 में WHO ने H1N1 महामारी को भड़काया था, और इसे तब तक लोगों से गुप्त रखा जबतक कमिटी का गठन नहीं हुआ था ।

विश्वगुरु भारत के सामने आधुनिक शिक्षा व गुरुकुल शिक्षा की भूमिका

  वो शिक्षा डिग्री ज्ञान बल प्रतिभा अनुभव पैसा पद प्रतिष्ठा किस काम का जो देश के कुछ काम न आ सके , सम्मानीय प्रतिभा वो है जो देश के उत्थान में देश को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करे । आई आई टी सच्चाई भारत केआई आई टी उच्च शिक्षण संस्थानों पर विश्व के अमीर देश एवम् उनकी बहुराष्ट्रीय कम्पनिया भारत की बौद्धिक सम्पदाओं पर डाका खुलेआम डाल रही है । अमेरिका की सकल आय का 35% और यूरोपीय यूनियन की सकल आय का 39 % हिस्सा बौद्धिक सम्पदा अधिकारो पर ही आधारित है इसमें सबसे बड़ा योगदान उन भारतीय वैज्ञानिक इंजीनियरों का है जो पढ़ते भारत में है लेकिन अविष्कारों , नावचारो (इन्वेंशन इनोवेशन ) अमेरिका यूरोप जैसे विकसित अमीर देशो के लिए करते है भारत का गरीब किसान मजदूर रात दिन मेहनत करता है जब वो एक माचिस की डिबिया या नमक भी खरीदता है तो उस पर टैक्स देता है इसी टैक्स में से कुछ पैसा आई आई टी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों को सब्सिडी के नाम पर जाता है परंतु यहाँ से निकलने वाला विधार्थी देश को क्या देता है आइये उसकी समीक्षा करते है । आई आई टी कुल सीटे प्रतिवर्ष - 9885 छात्र चार वर्ष में 4 x 9885 = 39540 छात्र प्रति

शीतल जल और वास्तुशास्त्र का उपयोग वैदिक जीवन शैली में

कंबोडिया के अंकोरवाट का यह चित्र अपनी सनातन संस्कृति का एक जीता जागता दृश्य जो गौरव के साथ आनेवाली पीढ़ी को गौरवशाली अतित का स्मरण कराता है ये पानी में रहने वाले शेषनाग का मंदिर हमारी वैदिक जीवन शैली और और इस गर्मी के मौसम में पानी की कैसी व्यवस्था रही है और घरों के पानी रखने के स्थान का वास्तु के हिसाब से नक्षत्रों का प्रभाव हमारे शास्त्रों में बताया गया है इन सब विषयों को इसमें समाहित किया गया है ज्येष्ठे मूलाख्यनक्षत्रे शीतकुम्भं प्रदापयेत् ॥ पुराण में यह बात तब कही गई थी जब जेठ के महीना में थोड़ी गरमी होने लगती थी। इसी मक्षिका स्थाने मक्षिका न पकड़े रहो, अब चैत की नवरात में जो घड़ा लेकर आते हो न,  उसी की बात हो रही है. चैत में ही घड़ों को देना चाहिये कि नहीं? अच्छा किसी को मत दो.. प्याऊ की व्यवस्था तो देखी होगी न?  किस महीने से दिखने लगती है? अच्छा अपने घर में फ्रिज का ठण्ढा पानी कब से पीना शुरू कर देते हो? हैंऽ?  तब पुराण ध्यान नहीं आता होगा कि जेठ की पूर्णिमा से फ्रिज का ठण्ढा पानी पीना शुरू करें. ! इसी कारण भगवान् ने गीता से कहा था कि शास्त्र से अधिक शास्त्रविधि का पालन करो। पनड

सनातन के खजाने को लूटने की तैयारी

      धर्मस्य मूलम् अर्थम् यह हजारों साल की सनातन धर्म को टिकाऊ बनाने का एक मूल मंत्र है विश्व की सारी संस्कृतियां पूर्णता समाप्त हो चुकी हैं । विधर्मी कुकुर्मी अब्राहमिक संस्कृतियों के लुटेरों ने भी बार-बार  लूटने के प्रयास में हमारे बहुत सारे धार्मिक स्थलों को छिन्न भिन्न और नष्ट भ्र्ष्ट किया गया फिर भी हमने पूरी प्राण प्रण से ईन आक्रमणों का मुंह तोड़ जवाब देकर और आत्मआहुती देकर इस संस्कृति को अब तक बचाने का प्रयास सफल रहा है पर अब दुश्मनों ने लूटने की ब्यूहरचना ही बदल दी और पूरा लूटतंत्र स्थापित कर दिये है और हमारे ही बच्चों को हमारा दुश्मन बना दिया इन इशु कुल (स्कूलों) के माध्यम से ।  शास्त्रों में बताया गया है ।। परहस्ते गतं विद्या पर हस्ते गतम् धनम् कार्यकाले समुतत्पन्ने  ना तद विद्यां न तद्धनम्।। हमारे सारे घरों से पैसा जिस कागज़ के टुकड़े को धन मांनते हैं आज वही धन  उन के बनाए हुए बैंकिंग व्यवस्था में उनकी तिजोरी में बंद है फिर भी उनकी दृष्टि इस कागज के नोटों में कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि इन्होंने ही तो यह कागज के टुकडे हमारे हाथों में बना करके दिया है और इसके वास्तविक जो धन

बीजों की वर्णसंकरता से मनुष्य की वर्णसंकरता तक संपूर्ण विनाश की साजिश या समाधान

    राष्ट्रीय स्वतंत्र  गुरुकुल अभियान  कैंसर चाहिए या जीवन ??? शास्त्रों में धन-धान्य की एक विशेष परंपरा रही है क्या खाएं इसकी पूरी ज्ञान हमारे अनपढ़ पूर्वजों में व हमारे दैनिक जीवन पद्धति का हिस्सा था जो पूर्ण वैज्ञानिक तथ्यपरक और श्रेष्ठ ज्ञान पर आधारित था। आज थाली में रोटियां तो भर गई हैं और पेट फुल कर बाहर आ गया है पर देश के प्रजा कुपोषण की शिकार हो चुकी है ।अनाज या धान्य के रूप में गेहूं ने अपना स्थान बना लिया है और हम जौ, कोदो,  सांवॉ, टांगून, मेंडूआ, तो भूल ही चुके हैं अब अनाज केवल गेहूँ ही है, पर अब ये गेहूं भी जेनेटिकली मॉडिफाइड करके उसे भी विक्करित कर दिया गया है हमारे नए  पढ़े लिखे  लोगों के द्वारा  बायो टेक्नोलॉजी का  एक ऐसा भ्रम जाल  डालकर  हमारे ही हाथों  हमारा विनाश किया जा रहा है हम लोग तो फिर भी  प्रकृति ने  इतना फौलाद बनाया है सब कुछ हजम हो सकता है चाहे बनावटी खाद्य पदार्थ या बनावटी करोना वायरस ही क्यों ना हो जबकि अमेरिका में 40% लोगो को यह हजम नहीं होता और अनेकों पेट के रोग हो जाते है और कुछ कि तो मृत्यु तक हो सकती है... उनका शरीर उसे बर्दाश्त नहीं कर पता और यहाँ

RBI व कुबेर के राजकोष से अर्थव्यवस्था का आधार

        आय और व्यय का एक समुचित और सधा हुआ सदुपयोग जीवन में खुशियां और आनंद के साथ आदर और सम्मान का पात्र बनाता है वहीं जब इसका लेखा-जोखा बिगड़ जाता है तो व्यक्ति नराधम बन जाता है जैसे ज्यादा व्यय करने वाला सदाचारी नहीं रह सकता जिससे वह नैतिक पतन को प्राप्त हो जाता है वही कम व्यय करने वाला सहज सरल और परोपकारी बन जाता है पर यह आधुनिक अर्थशास्त्र  व्यय प्रधान अर्थव्यवस्था का पोषक है  इसमें शुभ लाभ संस्कृति पनप ही नहीं सकती यह सब कुशिक्षा का ही परिणाम हैैं  गुरुकुल व्यवस्था  की सृजन से ही आप इस चक्रव्यूह से बाहर निकल सकते हैं केवल एक ही मार्ग आपको बचा सकता है रिजर्व बैंक भवन के मुख्यद्वार पर एक ओरलक्ष्मी की विशाल प्रतिमा है और दूसरी ओर यक्षराज कुबेर की । कौटिल्य ने भी अपने अर्थशास्त्र में धनागार में कुबेर की प्रतिमा स्थापित करने का निर्देश दिया है ! जो स्थान देव-जाति में इन्द्र का है ,वही स्थान यक्षों में कुबेर का है । कुबेर ने यक्षों का व्यापार बढ़ाया ,स्वर्ण की खोज की , इन्द्र से मित्रता स्थापित की ।सोने को सबसे पहले कुबेर ने ही पिघलाया था ! गंधर्व-जन इनके मित्र थे । कुबेर शिव के उपासक

मानसिक गुलाम समाज में शिक्षा की वास्तविक स्थिति

वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर व्यंग भी है और एक रास्ता भी दिखाती है --- डिप्लोमा इन दुनियादारी !!! गाँव के स्कूल में एक मास्टर साहेब थे...नाम था तिरलोचन तिवारी उर्फ़ मरखहवा मास्टर...ज्ञान को हमेशा कपार पर उठाये रहते थे । माघ के जाड़े में भी उनको देखने पर जेठ का एहसास होता था... उनके इस मिजाज का आलम ये था कि स्कूल का कोई लड़का नहीं बचा था, जिसके पीठ पर मास्टर साब की छड़ी का निशान न हो...रनुआ आ सनुआ तो उनके नाम से माँड़ो के बांस जइसा हिलने लगते थे...गिनती नहीं की कि दीपूआ आ सीपूआ ने कितनी बार मास्टर साहब को देखकर पैंट में पेशाब किया होगा…रामबचन का मझिला तो एक दिन तेरह साते अंठानबे कह दिया...बाप रे ! मास्टर साहेब अईसा पिनीक के मारे कि हल्दी दूध का घोल लेना पड़ा । तब जाकर लौंडे के जान में जान आई..आज भले उसे नौ का पहाड़ा याद नहीं लेकिन मरखहवा मास्टर साहेब का नाम सुनते ही तेरह का पहाड़ा तेरह बार पढ़ देता है । तो साहेब.. हुआ क्या की..मास्टर साहब का एक ही बेटा था पिंटूआ । गाँव भर में शोर था की पिंटूआ से पढ़ने में तेज तो पूरे जिले-जवार में कोई नहीं है….बाइस घण्टा हनहना के पढ़ता है..फिजिक्सवा आ