गंगा दशहरा पर याद महाराणा प्रताप का जीवन शौर्य तेज पराक्रम की छवि से भी ऊपर प्रजा के हित में जलके स्रोतोंको संबंर्धित करना था
राजस्थान की एक गांव में उस मॉ के शब्द आज तक मुझे झंकृत कर रहे हैं की अकाल ऐसे नहीं आता अकाल तब आता है जब हबस बढ़ जाती है भूख बढ़ जाती है और वहां भी देखा कि एक ही पानी का करीब 6 प्रकार से प्रयोग होता था आज जल संरक्षण पर बात करने वाली सरकार लोगों को संस्कार विहीन कर हवस को बढ़ा दिया और पानी की सुगमता को बढ़ाकर जीवन से जल संरक्षण का वह संस्कार समाप्त कर दिया गया जिसने जल के लिए वह पीड़ा नहीं देखी और उसके लिए तप नहीं किया जैसे कुँवे से पानी निकालना हो चाहे एक 2 किलोमीटर से पानी लाना हो सर पर रखकर के उससे आप कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि जल संरक्षण करेगा ? जिसने जीवन में जल के लिए कोई दर्द नहीं सहा वह जल का संरक्षण कैसे कर सकता है? इसी संस्कृति ,अपनी संस्कार, परंपरा ,रीति-रिवाज, व्रत और पर्व क्या कहते हैं दशमी को जलागमन : एकादशी को जलाभाव #जेठ_में_जल जेठ मास जल के महत्व को कई रूपों में समझने की प्रेरणा लिए आता है। अव्वल तो यही महीना काल के सुकाल और दुष्काल रूप को दिखाता था। मैं तो इसे पूर्ति और अभाव के संधि के रूप में भी देखता हूं। प्याऊ या पौंसले कायम कर पेयजल उपलब्ध करवाने की परंपरा दान