नराधम राक्षसों का एक नया चाल व षड्यंत्र मानव मानव और मानव एवं पशुओं के सहजीवन पर चोट सहजीवन मानव मनव का हो या मनव और प्राणी का हो या मानव और वनस्पति का हो, दानव समाजियों को कोइ भी सहजीवन अच्छा नही लगता है । दानव लोग सदियों से सहजीवन तोडते आए हैं । मानव मानव के बीच के सहजीवन को तोडने के लिए विविध संप्रदाय चलाए, मानव मानव के बीच नफरत पैदा की, आज भी की जा रही है । मानव मान के बीच का आर्थिक सहजीवन बडी बडी कंपनियोंने तोड दिया और सहजीवन कंपनी और मानव के बीच हो गया । वनस्पति और मानव का सहजीवन कुछ हद तक पर्यावरण के नाम से तोडा गया है, जंगलों को सुरक्षित कर मानव से दूर करके । मानव और पशुका सहजीवन पाषाण काल से है । सदियों से मानव पशु पालते आए हैं । पशु पर सवारी करना, माल ढोना, खेती काम कराना, दुध दोहना, और मास खाना । दानव समाजियों को अब ध्यानमे आया है मानव पशु पर क्रुरता करते हैं । उनके लिए कतलखानोंमें पशुको काटना और उसका मास खाना क्रुरता नही है, क्योंकि उसका कभी विरोध किया हो, सुना नही है । शायद इसलिए कि वो दानव खूद मास-मटन खाते हैं । दानव समाजी लोगोंको मानव अधिकार से अधिक प्राणी अधिकार की फि
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण