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Showing posts from November, 2020

गरूण का क्या रहस्य है? क्यों हिन्दू में उनको विशेष महत्व दिया जाता है

  # गरुड़_देव के ये आठ रहस्य पढ़कर आप रह जायेंगे आश्चर्यचकित!!!!!!!! # गरूड़_भगवान के बारे में सभी जानते होंगे। यह भगवान विष्णु का वाहन हैं। भगवान गरूड़ को विनायक, गरुत्मत्, तार्क्ष्य, वैनतेय, नागान्तक, विष्णुरथ, खगेश्वर, सुपर्ण और पन्नगाशन नाम से भी जाना जाता है। गरूड़ हिन्दू धर्म के साथ ही बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण पक्षी माना गया है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गरूड़ को सुपर्ण (अच्छे पंख वाला) कहा गया है। जातक कथाओं में भी गरूड़ के बारे में कई कहानियां हैं। माना जाता है कि # गरूड़ की एक ऐसी प्रजाति थी, जो बुद्धिमान मानी जाती थी और उसका काम संदेश और व्यक्तियों को इधर से उधर ले जाना होता था। कहते हैं कि यह इतना विशालकाय पक्षी होता था जो कि अपनी चोंच से हाथी को उठाकर उड़ जाता था। गरूढ़ जैसे ही दो पक्षी # रामायण_काल में भी थे जिन्हें # जटायु और # सम्पाती कहा जाता था। ये दोनों भी दंडकारण्य क्षेत्र में रहते विचरण करते रहते थे। इनके लिए दूरियों का कोई महत्व नहीं था। स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडका

बिपिन चंद्र पाल आजादी के नायक याद है आपको लाल बाल पाल

  देश के आजादी के नायक विपिनचंद्र पाल के जयंती पर शत शत नमन... भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी को तो हम सभी जानते ही हैं। इस तिकड़ी ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे। ये तीन पूरे नाम थे लाला लाजपत राय ‘लाल’, बाल गंगाधर तिलक ‘बाल’ और बिपिन चंद्र पाल ‘पाल’। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास में इन क्रांतिकारियों के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे गए हैं। इस तिकड़ी में से एक बिपिन चंद्र पाल का आज 7 नवंबर को जन्म दिन है। आइए जानते हैं देश के इस महान क्रांतिकारी, समाजसुधारक, शिक्षाविद और सिद्धांतवादी के जीवन से जुड़ी कुछ बातें। बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवम्बर, 1858 को सिलहट, जिला हबीबगंज (वर्तमान में बांग्लादेश) में हुआ था। उनके पिता का नाम रामचंद्र और माता का नाम नारयाणीदेवी था। उस समय में क्योंकि फारसी भाषा का प्रचलन था, उनकी आारंभिक शिक्षा घर पर ही फारसी भाषा में हुई। बाद में उच्च शिक्षा के लिए उन्हें कलकत्ता भेजा गया जहां उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया पर, किन्ही वजहों से ग्रेजुएट होने से पहले ही उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी और कलकत्ता के ही