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Showing posts from December, 2018
◆ईसाई राष्ट्र बनने के करीब भारत◆ Jesuits भारत को ईसाई राष्ट्र में बदलने के लिए पिछले 450 वर्षों (मई 1542) से Joshua Project पर दिन रात काम कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने : ◆वैदिक धर्मग्रंथों से मिलते-जुलते ईसाई ग्रंथ रचे ◆गोवा/कोंकण जैसे तटीय क्षेत्रों में हिन्दुओं का नरसंहार किया  ◆मैकाले डिजाईन शिक्षा प्रणाली लागू करवाई ◆वेदों और मनुस्मृति के खिलाफ दुष्प्रचार करवाया ◆सैकड़ों फर्जी नायक गढ़े ◆हिन्दू समाज में फर्जी प्रथाएं घुसाई  ◆हिन्दू समाज को तोड़ने के लिए जाति व्यवस्था बनाई ◆गौरवशाली शूद्र वर्ग की छवि धूमिल की ◆शूद्रों के फर्जी शोषण की कहानियां गढीं    ◆फर्जी इतिहास लिखवाया  ◆हिन्दुओं की फर्जी धार्मिक पुस्तकें लिखवाई ◆फर्जी हिन्दू नेता और फर्जी हिन्दू संगठन बनवाये  ◆गली-गली ईसाई स्कूल खोले गये ◆हिन्दू संतो और धर्माचार्यों को बदनाम करवाया ◆शंकराचार्य को जेल भिजवाकर शंकराचार्य पीठ को बदनाम किया ◆ब्राह्मणों की ऐसी छवि बनाई जैसे हिरोशिमा और नागासाकी में उन्होंने ही परमाणु बम गिराए थे  भारत को वैचारिक रूप से बांटकर ईसाई राष्ट्र बनाने के लिए जो चीजें भारतीयों पर

गणित खगोल ज्योतिष मैं हमारे भारत के पूर्वजों की ज्ञान का लोहा पूरी दुनिया ने माना

  नींव किसी भी निर्माण के आधारभूत होते है जिनके बिना कोई भी निर्माण संभव नही है चाहे वो भौतिक निर्माण हो या मानसिक ( व्यक्तित्व) यदि इन्हें हटा दिया जाए तो पूरी की पूरी रचना एक झटके में खत्म हो जाएगी , लेकिन इन नींव के पत्थरों को कभी भी वो सम्मान नही मिलता जो निर्माण पूर्ण होने पर अन्य दृश्य निर्माण को मिलता है , भारतीय मेधा भी नींव के पत्थरों सरीखी ही है जिसपे आधुनिक विज्ञान पूर्णतया टिका हुआ है , उन्हें चोरी करके उन्हें अपने नाम से पेटेन्ट करवा कर पश्चिमी ठप्पा लगा कर हमारे सामने रखा जाता है जिसे हम बड़े गर्व के साथ स्वीकार करते है जबकि वही चीज़े हक देखते सुनते बड़े हुए है , चलिए एक उदाहरण से समझाता हूँ - बॉयोलोजिकल क्लॉक को अभी हाल ही में एक क्रांतिकारी खोज माना गया है , अब जरा अपने से 3 पीढी पीछे के लोगो की रूटीन लाइफ पर गौर किजिए , ब्रम्हमुहूर्त में उठना समय से भोजन किस समय क्या भोजन कितना भोजन , किस मौसम में कौन सा भोजन क्या ये पहले से ही प्रयोग में नही था लेकिन ................. बस इन पश्चिमी चोरो के ठप्पे के बिना हम पिछड़े है भाई ।। चोरों से याद आया एक बार मैंने न्यूटन को चोर कह
रसायन-धातु कर्म विज्ञान के प्रणेता - नागार्जुन। रसायन विज्ञान और सुपर धातुशोधन के जादूगर - नागार्जुन सनातन कालीन विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में रसायन एवं धातु कर्म विज्ञान के सन्दर्भ में नागार्जुन का नाम अमर है ... ये महान गुणों के धनी रसायनविज्ञ इतने प्रतिभाशाली थे की इन्होने विभिन्न धातुओं को सोने (गोल्ड) में बदलने की विधि का वर्णन किया था। एवं इसका सफलतापूर्वक प्रदर्शन भी किया था। इनकी जन्म तिथि एवं जन्मस्थान के विषय में अलग-अलग मत हैं। एक मत के अनुसार इनका जन्म द्वितीय शताब्दी में हुआ था। अन्य मतानुसार नागार्जुन का जन्म सन् 9 31 में गुजरात में सोमनाथ के निकट दैहक नामक किले में हुआ था, रसायन शास्त्र एक प्रयोगात्मक विज्ञान है। खनिजों, पौधों, कृषिधान्य आदि के द्वारा विविध वस्तुओं का उत्पादन, विभिन्न धातुओं का निर्माण व परस्पर परिवर्तन तथा स्वास्थ्य की दृष्टि में आवश्यक औषधियों का निर्माण इसके द्वारा होता है। नागार्जुन ने रसायन शास्त्र और धातु विज्ञान पर बहुत शोध कार्य किया। रसायन शास्त्र पर इन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिनमें 'रस रत्नाकर' और 'रसेन्द्र मंगल'

इसके जन्म के 280 वर्ष बाद सेंट निकोलस से मशिही पंथ प्रचार में प्रलोभन का पहला अध्याय

   क्रिसमस का वास्तविक इतिहास. ईसाई देशों में इस समय क्रिसमस डे की धूम है, भारत में भी कुछ नासमझ कुछ मुर्ख हिन्दू क्रिसमस की बधाई देते हैं, उनके साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको पता नहीं है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है. लोगों का भ्रम है कि इस दिन यीशु मसीह का जन्मदिन होता है पर सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध नहीं है, एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म 7 ई.पू. से 2 ई.पू. के बीच हुआ था. वास्तव में पूर्व समय में 25 दिसम्बर को मकर संक्रांति पर्व आता था और यूरोप अमेरिका आदि देश धूमधाम से इस दिन सूर्य उपासना करते थे. सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है. सायन गणना के अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है. सायन गणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है, जिसके अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है, इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे. विश्वकोष में दी गई जानकारी के अनुसार सूर्यपूजा को स
भारत का ईसाईकरण करने की शुरुआत- 24 जून 1813 को लन्दन की संसद हाउस आफ कोमन्स में  सांसदों के बीच चर्चा होती है, उसमें सांसद विलियम विलवर फोर्स एक प्रस्ताव रखता है कि हमें भारत को एक ईसाई देश बनाना है। # इस प्रस्ताव का 89 सांसद समर्थन करते हैं व 36 सांसद विरोध करते हैं। # प्रस्ताव पास हो जाता है। उसके बाद सांसद पूछते हैं कि इतने बड़े देश को ईसाई कैसे बनायेंगें ? # उस समय विलियम कहता है कि पहले हमें भारत को तीन प्रकार से नष्ट करना होगा -पहला राजनैतिक रूप से -दूसरा आर्थिक रूप से -तीसरा महत्त्वपूर्ण है सांस्कृतिक रूप से। राजनैतिक रूप से गुलाम बनाने के लिए हमें हर प्रकार के उपाय करके वहां की सत्ता पर अधिकार करना होगा। आर्थिक रूप से गुलाम बनाने के लिए वहां की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद करना होगा। क्योंकि उस समय भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ थी। यहाँ के कपड़े, मसाले आदि दुनिया में जाते थे, यहाँ के ईमानदार व्यापारी जहाजों से पूरी दुनिया में व्यापार करते थे। यहाँ की ग्रामीण अर्थ व्यवस्था बहुत मजबूत थी सब कुछ गांव में पैदा होता था। जैसे- कपड़े बनाने के लिए
   #हिन्दू_ह्रदय_सम्राट_महाराजा_सूरजमल ▶महाराजा सूरजमल एक ऐसे सम्राट थे जिन्हें पूरा हिंदुस्तान एक हिंदुआ सूरज के रूप में जानता है। ▶उन्होंने मुगलों पठानों अफगानों रुहेलों ब्लुचों आदि सभी मुस्लिमो से लोहा लिया और उन्हें हराया। ▶उनका साम्राज्य राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली तक फैला हुआ था।और जटवाड़ा कहलाता था। ▶उन्होंने मंदिरों, गौमाता, सनातन संस्कृति के प्रतीक पीपल के पेड़, महिलाओं व हिन्दू धर्म की जीवनपर्यंत रक्षा की। ▶उनके राज्य में गौहत्या और पीपल के पेड़ काटने पर प्रतिबंध था और मृत्युदंड का प्रावधान था। ▶कुछ मुस्लिम शासकों में उनका इतना खौफ था कि उन्होंने अपने क्षेत्र में भी गौहत्या बन्द कर दी थी व गौहत्या करने वालों को फांसी की सजा देनी शुरू कर दी थी व वे इसकी जानकारी उन्हे पत्र लिखकर सौंपते थे। ▶उनके होते हुए किसी भी महिला पर आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं होती थी।उन्होंने एक हिन्दू लड़की हरदौल की इज्जत की रक्षा के लिए दिल्ली पर आक्रमण कर दिया था व उन्हें मुगलों से बचाया। ▶उन्हें हिन्दू एकता करने के लिए जाना जाता है उनका खजांची दलित था, उनका गुरु व सलाहकार ब्राह्मण था
#गलत_गर्भाधान_और_देसी_गाय_की_नस्लें_!  पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर अधिक प्रचार-प्रसार के कारण लोगो को देसी-और विदेशी गायों में अंतर तो अच्छे से मालूम हो गया है,लेकिन देसी गाय की नस्लें लगतार ख़राब की जा रही है , अब इन अंग्रेज़ो ने और नई चाल-चली है जब से इनको पता चला है की भारतीय लोग देशी गाय और सूअर से विकसित विदेशी गाय (जर्सी ,होलेस्टियन ,फ्रीजियन)  मे अंतर समझने लगे है !! तब से इन अंग्रेज़ो ने हमारी देशी गाय की नस्ल को भी बर्बाद करने का नया यड्यंत्र रचा है ! भारत में वर्तमान में लगभग 37 प्रकार की देसी गायों की नस्लें पाई जाती है,जैसे, गिर गाय,साहिवाल,लाल सिंधी,राठी,थरपार्कर,कांक्रेज ,ऐसे कुल 37 प्रकार की देसी गायों की नस्लें है ! अब जब गायों के गर्भाधान का समय आता है,तो प्राकृतिक ढंग यह है कि गाय जिस नस्ल की हो उसी नस्ल के बैल के वीर्य से उसका गर्भाधान होना चाहिए,जैसे गिर नस्ल की गाय है , तो बैल भी गिर नस्ल का होना चाहिए ,साहिवाल नस्ल की गाय है तो बैल भी साहिवाल नस्ल का होना चाहिये ! लेकिन ये क्या कर रहे है कि कृत्रिम गर्भधारण विधि द्वारा विदेशी (जर्सी ,होलेस्टियन ,फ्रीजियन) सांड
  बरगद  (वट) वृक्ष सैकडों रोगों की अचूक दवा 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ बरगद का पेड़- हिंदू संस्कृति में वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ बहुत महत्त्व रखता है। इस पेड़ को त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में वटवृक्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है। वट वृक्ष मोक्षप्रद है और इसे जीवन और मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति दो वटवृक्षों का विधिवत रोपण करता है वह मृत्यु के बाद शिवलोक को प्राप्त होता है। इस पेड़ को कभी नहीं काटना चाहिए। मान्यता है कि निःसंतान दंपति बरगद के पेड़ की पूजा करें तो उन्हें संतान प्राप्ति हो सकती है। आग से जल जाना – दही के साथ बड़ को पीसकर बने लेप को जले हुए अंग पर लगाने से जलन दूर होती है। जले हुए स्थान पर बरगद की कोपल या कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से जलन कम हो जाती है। बालों के रोग – बरगद के पत्तों की 20 ग्राम राख को 100 मिलीलीटर अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करते रहने से सिर के बाल उग आते हैं। बरगद के साफ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाकर गर्म कर लें, इस तेल को

उर्दू में होगी अब NEET की परीक्षा

अब उर्दू में  होगी  NEET की परीक्षा नई दिल्ली : देशभर में मेडिकल कोर्सेज में दाखिले के लिए ली जाने वाली सबसे बड़ी परीक्षा NEET की परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 2018-19 के शैक्षणिक सत्र से नीट में उर्दू भाषा को भी शामिल करने के लिए तैयार है। केंद्र ने कहा कि हम उर्दू माध्यम में नीट आयोजित कराने के खिलाफ नहीं हैं।   हजारों साल से पारंपरिक ज्ञान का अकूत भंडार संस्कृत में उपलब्ध है पर आज तक कोई भी सरकारों ने इस विषय पर कोई ध्यान नहीं दिया और अभी तक संस्कृत पढ़ने वाले हजारों हजार छात्र इस चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था से वंचित रखा गया है और मानसिक हीनता के शिकार जिन्हें डॉक्टर बनना था एमबीबीएस करना था  पर उन्हें जो गधे का डॉ नहीं बन सकते उन्हें इस बीएएमएस की डिग्री में संलग्न किया गया है इस आयुर्वेदिक चिकित्सा का सत्यानाश किया गया है और संस्कृत इस आयुर्वेद चिकित्सा का मुख्य भाषा आज तक नहीं बन पाई वहीं दूसरी ओर उर्दू को नीट में मान्यता पर पीठ ने अपील का निस्तारण करते हुये
सनातन धर्म और आधुनिक भौतिकवाद । बड़ा आश्चर्य है धर्म को समझे बिना ही कथित नास्तिक धर्म पर प्रहार करने लगते हैं , कि 'धर्म ने विज्ञानके द्वारा भौतिक उत्कर्ष नहीं होने दिया और सदियों तक राष्ट्रको गुलाम रखा ।'  धर्म को केवल मन्दिर जाकर घण्टा बजाना और अगरवत्ती लगाना समझ रखा है ,तभी ऐसी दुरागृहपूर्ण बातें करते हैं । धर्म के चार चरण धर्म अर्थ काम मोक्ष हैं जो बिना अर्थ और काम के सम्भव ही नहीं ,यही वैदिक भौतिकवाद है , हमारे धर्मज्ञ ऋषियों ने तो यन्त्रविज्ञानका विरोध किया है और न ही भौतिकवादका ही । लङ्का तक सेतु बनाने में भी श्रीरामकी सेना ने बड़े बड़े पत्थरों को ले जाने के लिये यन्त्रोंका ही सहारा लिया था -"पर्वतांश्च समुत्पाट्य यन्त्रै: परिवहन्ति च ।"(युद्ध०२२/६०)       ऋषियोंने धर्म पालनके लिये अर्थ को आवश्यक बताया है -"तस्मात्पूर्वमुपादेयं वित्तमेव गृहैषिणा ।"(भविष्य०ब्रह्म०६/६) और अर्थके बिना समस्त धर्म कार्य निषेध किये गए हैं --"तद्वदर्थविहीनां सर्वत्र नाधिकारिता ।"(भविष्य०ब्रह्म०६/१३)    फिर भी दुराग्रह पूर्वक यह कहना कि धर्मज्ञ मनीषी यन्त्रविज्ञान और
Vatican No. 3 Cardinal George Pell Convicted on Charges He Sexually Abused Choir Boys Lachlan Cartwright 12.11.18 5:43 PM ET exclusive Daniel Munoz/Reuters The Vatican’s third most powerful official has been convicted in Australia on all charges he sexually abused two choir boys there in the late '90s, according to two sources with knowledge of the case. A unanimous jury returned its verdict for Cardinal George Pell on Tuesday (Australian time) after more than three days of deliberations, the sources said, in a trial conducted under a gag order by the judge that prevented any details of the trial being made public.

असली नकली चेहरा विश्व के सबसे प्रमुख संस्थाओं के

#विश्व में 5 बड़ी संस्थाए है जिसके जरिये #दुनियाँ को मूर्ख बनाया जा रहा है.....??? . ये 5 संस्थाए अपना असली चेहरा छुपाने के लिए कुछ अच्छा काम भी करते है ताकि लोगों को पता ना लगे ! उनका काम क्या क्या है ..पढे .. ------------- 1. IMF (आई एम एफ): - गरीब देश, विकासशील देशो की मुद्रा का अवमूल्यन करना और अमेरिका की कागज़ की टुकड़ो का मूल्य बढ़ा देना ! विश्व की मुद्राओं का मुल्यांकन बहुत अन्याय और पक्षपातपूर्ण तरीके से करता है ! जिससे अमेरिका और यूरोप के बहुराष्ट्रीय कंपनी, बैंक जादा से जादा मुनाफा कमा सके ! [मुद्रा के मूल्य पर अत्याचार] . 2. WORLD BANK (वर्ल्ड बैंक): - पूरी दुनिया के आम लोगों का पैसा इकठ्ठा करके उनको अपने ही हितों के लिए लगा देना, पक्षपातपूर्ण वितरण करना ताकि अमेरिका और यूरोप के बैंक को फ़ायदा हो ! [आर्थिक अत्याचार] . 3. UNO (यूनाइटेड नेशनस आर्गेनाइजेशन) : - जो जो देश अमेरिका की बात न माने उनके ऊपर युद्ध थोपने का काम करता है जिससे अमेरिका और यूरोप के हथियार बनाने वाले कंपनियों का लाभ मिले ! [युद्ध के नाम पर अत्याचार] . 4. WTO (वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन) : - पूरी दुनिय
यह एक पत्ता आपको 80 सालों तक बीमार नहीं होने देगा ! स्वस्थ रहना है तो एक बार जरूर देखें क्या आप एक ऐसी जड़ी बूटी की खोज कर रहे हैं जो कि आपकी अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करे? तो आपके लिए गिलोय से बेहतर दूसरा कोई विकल्प नहीं हो सकता है। यह आपको एक बड़ी संख्या में लाभ प्रदान करता है और इसके कुछ लाभों को निश्चित रूप से आपको अपनी जीवन शैली में अपनाना चाहिए। गिलोय की पहचान गिलोय आयुर्वेद में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों में से एक है। यह भारतीय टीनोस्पोरा (Indian Tinospora) या गुदुची (Guduchi) के रूप में जाना जाता है। गिलोय को अक्सर अमृता बुलाया जाता है, यह अमृत के लिए भारतीय नाम है। यह विभिन्न प्रकार के प्रयोजनों और रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। हो सकता है आपने गिलोय की बेल देखी हो लेकिन जानकारी के अभाव में गिलोय की पहचान नहीं कर पाए हों। गिलोय का पौधा एक बेल के रूप में होता है और इसकी पत्त‍ियां पान के पत्ते की तरह होती हैं। जैसा की हमने पहले ही बताया है कि गिलोय के औषधीय गुण कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में उपयोग किए जाते हैं। गिलोय के कुछ महत्वपूर्ण फ
गेहूं भी बन रहा मुसीबत  . गेहूं की रोटी खाने से मना करने की वजह है गेहूं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन जो गेहूं के अलावा जौ, राई व टिट्रिकेल (गेहूं और राई के संयोग से तैयार एक प्रजाति) में भी पाया जाता है. इस प्रोटीन को ग्लूटेन कहते हैं. यही वह प्रोटीन है, जो गेहूं के आटे को गूंधने पर उसे बांध देता है। पहले लोग गेहूं के साथ मोटा अनाज ((जौ, चना, बाजरा)) भी खाते थे, इसलिए मोटे अनाज से उन्हें पौष्टिक तत्व मिलते थे और वो तंदुरूस्त रहते थे। आजकल लोगों ने मोटा अनाज खाना छोड़कर केवल गेहूं का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ज्वार, बाजरा, रागी तथा अन्य मोटे अनाज उदाहरण के लिए मक्का, जौ, जई आदि पोषण स्तर के मामले में वे गेहूं और चावल से बीस ही साबित होते हैं। पिछले दिनों बातचीत में एक डॉक्टर साहब ने बताया ‘मैंने अपने यहां इलाज करवाने आए करीबन 500 बच्चों में गेहूं से एलर्जी के मामलों का दस्तावेजी अध्ययन किया है’।  मैंने पूछा ‘गेहूं से एलर्जी …भी इस गेंहू-भोजी इलाके में’?  उन्होंने बताया ‘दरअसल यह ‘व्हीट-एलर्जी’ गेहूं में पाए जाने वाल
इदमिद्‌ वा उ भेषजमिदं रुद्रस्य भेषजम्‌ । येनेषुमेकतज¬नां शतशल्यामपब्रवत्‌   ॥ अथर्व 6-57-1  निश्चय ही (भेषजम्‌) (व्रण - घाव, दर्द, अल्सर, फोड़ा, ट्यूमर, कैंसर, उबाल, निशान, cicatrix, दरारें रोग को दूर करने की ) दवाई है | (इदम्‌ रुद्रस्य भेषजम्‌) यह रुद्र सम्बंधी औषध है| (येन)जिस औषध की सहायता से महादेव ने त्रिपुर संहार के समय ((एकते जनां)एक वेणु दण्ड वाले (शतशल्यां)सौ नोकदार कीलों वाले(इषुस्‌) वाण को (अप्रबत्‌ लक्ष्य के समीप पहुंचाया था |*अथर्व 6.57.1 • (हरिवंश पुराणांतर्गत भविष्य पर्व |रुद्र: रोदयतिं सर्वं अन्तकाले  इति  रुद्र: |एकतेजनाम्‌ -- एकस्तेजनो वेणुकाण्डो यस्या: सा ताम्‌ | )   • Bacteriophages is a virus which infects bacteria and can be used as an alternative to antibiotic treatment. • Modern researches have confirmed that Cow has the largest and biggest ‘Bacteriophages’.    जालाषेणाभि षिञ्चत जलाषेणोप सिञ्चत। जालाषमुग्रं भेषजं ते¬न ¬नो मृड जीवसे ॥ अथर्व 6-57-2 हे परिचारको, (जालाषेण) जल से- गोमूत्र फे¬नामिश्रित जल से (अभिषिञ्चत) व्रण को अच्छी तरह धोओ । (जाला
चीन के युद्ध विशेषज्ञ  सन चू ने कहा है – शत्रु की रणनीति जानो, तुम पराजित नहीं हो सकते और बिना युद्ध लड़े ही शत्रु को शक्तिहीन और पराजित कर वश में कर लेना सर्वोत्तम है|  ब्रिटिश उपनिवेश इंडिया का हर लोकसेवक बिना लड़े ही वीर्यहीन, पराजित व दास हो कर अपने ही सर्वनाश का उपकरण बन गया है| लोकसेवक अपनी ही सन्ततियों और वैदिक सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए नियुक्त किये गए हैं| पराधीन लोकसेवक बेबस हैं| एक बार बाला ने पूरे मानव जाति को वीर्यहीन कर सबके प्राणों को संकट में डाल कर अपने अधीन कर रखा है| किसी के पास  इस बार बाला के विरोध का साहस नहीं! वैदिक सनातन धर्म किसी भी अन्य धर्म के लिए कोई निहित शत्रुता के बिना एक ऐसी संस्कृति है. जो केवल वसुधैव कुटुम्बकम के बारे में बात करती है. इसके आचार, मूल्य और नैतिकता सांप्रदायिक नहीं - सार्वभौमिक हैं| वे पूरी मानव जाति के लिए हर समय लागू हैं| इसका दर्शन मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, अफगानिस्तान और कोरिया में फैल गया था| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त कर
#बलात्कार ... !! भाषा, भूषा, संस्कृति , पर्व -त्योहार , दैनिक नित्य कर्म , सबका बलात्कार हुआ है । मैने बहुत सोच समझ कर शब्द “ बलात्कार “ के प्रयोग से यह पोस्ट प्रारम्भ करी है और पुन: जगाने का प्रयास कर रहा हूँ । आप किसी भी वालीवुड की फ़िल्म देख लीजिए या अपने 95% आसपास के लोगों से बात करके देखिए और आत्मचिंतन करना हो तो अपनी भाषा को भी खंगालिए । आप पाएँगे अधिकतर Positive शब्द , उर्दू या अंग्रेज़ी के हैं और अधिकतर Negative शब्द संस्कृतनिष्ठ हिंदी के हैं । आप स्वंयम यह प्रयोग करके देख सकते हैं । मैं यहाँ स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की मैं किसी एक भाषा को महान या दूसरी भाषा की बुराई नहीं कर रहा हूँ और न हीं भाषा के जीवंत प्रवाह में बाधा डालने के लिए कह रहा हूँ । भाषा , समाज और भूगोल और समय के साथ बदलती रहती है , परन्तु यहाँ आपकी मूल भाषा को बलात् , दूषित किया जा रहा है । जैसा की आप लोग अब मानते ही हैं की उर्दू भाषा में शब्द मुख्यत: उन स्थानो से लिए गए हैं जहाँ दूत मजहब प्रभावी है । यहाँ तक की आप तुर्की के कोठों पर जाकर कोठे पर बोले जानी वाली भाषा सुने जिसे वह “ ओर्दू” बोलते हैं आप का मन विच
भारत का प्रतिभा पलायन (brain drain ) जब अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन रिटायर हो रहे थे तो राष्ट्रपति के तौर पर अपने अंतिम भाषण में उन्होंने कहा कि " सोवियत संघ के ख़त्म होने के बाद हमारे दो ही दुश्मन बचे हैं, एक चीन और दूसरा भारत " | रोनाल्ड रीगन के बाद जो राष्ट्रपति आये उसने जो पहले दिन का भाषण दिया संसद में, उसमे उसने कहा कि "मिस्टर रोनाल्ड रीगन ने अपने आर्थिक और विदेश नीति के बारे में जो वक्तव्य दिया, उसी पर हमारी सरकार काम करेगी " | अमेरिका में क्या होता है कि राष्ट्रपति कोई भी हो जाये, नीतियाँ नहीं बदलती, तो रोनाल्ड रीगन ने जो कहा जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन, जोर्ज बुश और ओबामा उसी राह पर चले और आगे आने वाले राष्ट्रपति उसी राह पर चलेगे अगर अमेरिका की स्थिति यही बनी रही तो | तो दुश्मन को बर्बाद करने के कई तरीके होते हैं और अमेरिका उन सभी तरीकों को भारत पर आजमाता है | अमेरिका जो सबसे खतरनाक तरीका अपना रहा है हमको बर्बाद करने के लिए और वो हमको समझ में नहीं आ रहा है, खास कर पढ़े लिखे लोगों को | अमेरिका ने एक ऐसा जाल बिछाया है जिसके अंतर्गत भारत में ज