सरदार की आम की टोकरी दोनों विश्वयुध्ध के दौरान विश्व की जनता का असंतोष, गुस्सा बढते देख बेंकर माफिया यहुदियों ने दुनिया पर राज करने का अपना पैंतरा बदला । उन के प्यादे अंग्रेज, डच, फ्रेंच जहां भी गुलाम देशों में राज करते वो सब देशों की जनता के लिये दुश्मन बन गये थे । उन को वापस खिंच लिया और जुठी आजादी के बहाने अपने स्थानिक प्यादों को बैठा दिये । भारत में भी यही हुआ । उनके प्यादे अंग्रेज जनता में अप्रिय हो गये थे तो कोइ चंद्र शेखर आजद या भगत सिंह ब्रिगेड उनको मार भगाये और भारत को सचमुच आजाद करा ले इस से पहले अपने प्यादे कोंग्रेसियों को भारत की लगाम देना जरूरी था । आजादी का श्रेय भले कोंग्रेस ने ले लिया लेकिन जाननेवाले जानते हैं की ना भारत आजाद है और ना कोंग्रेस के कारण ये आधी अधुरी आजादी मिली है । भारत के साथ दूसरे २० देश इस तरह ही आजाद हुए थे । उन देशों में ना कोइ गांधी था ना कोइ नेहरु और ना कोइ आजादीकी लडाई चली थी । तो इन गांधियों को सर पे बैठाने की कोइ जरूरत नही थी । १९४७ में जब भारत को जनता की नजरों में आजाद किया गया था तो माउंट बेटन और सरदार पटेल के बीच मजाक होता रहता था
Ajay karmyogi अजय कर्मयोगी शिक्षा स्वास्थ्य संस्कार और गौ संस्कृति साबरमती अहमदाबाद परंपरा ज्ञान चरित्र स्वदेशी सुखी वैभवशाली व पूर्ण समाधान हेतु gurukul व्यवस्था से सर्वहितकारी व्यवस्था का निर्माण