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Showing posts from September, 2020

विदेशी राक्षसों के निशाने पर भारतीय सनातन व्यवस्था

रामकृष्ण मठ में जीसस की आरती और 56 भोग जैसे कुछ का भोग लगाया जा रहा है। रामकृष्ण मिशन अब हिंदुओं को खोखला - सेकुलर-नपुंसक-मानसिक विकलांग बनाने के मिशन पर है - इसकी फंडिंग जेहादी-क्रुसेड़ी कर रहे हैं इसलिए ये जीसस को भगवान और मोहम्मद को मेसेंजर सिद्ध करने के लिए किताबें छाप चुके हैं। इसी पाखंड के अंत करने के लिए सनातन परिवार  का गठन किया गया है जो गाँव -गाँव, घर घर पहुंचकर विद्यार्थी/युवाओं को वैदिक ज्ञान-विज्ञान-गणित और सनातन के मूलभूत सिद्धांतों की शिक्षा के लिए गाँव गाँव में कक्षाओं का संचालन प्रारम्भ कर रहा है । विशुद्ध ज्ञान से युक्त ये युवा ही इन पाखंडियों के पाखंड का अंत कर विशुद्ध सनातन की स्थापना करेगें। विवेकानन्द विनय   जय सनातन ।। जय श्रीराम ।। *भारत में मिशनरी संगठनों के धर्मांतरण अभियान में निशाने पर दलित-आदिवासी* धर्मांतरण में लिप्त 13 गैर सरकारी संगठनों की विदेशी फंडिंग के लाइसेंस निलंबित किए जाने के गृह मंत्रालय के फैसले के बाद संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन सांसद संजय सेठ की ओर से जिस तरह झारखंड में आदिवासियों के धर्मांतरण का मसला उठाया गया, उससे य

कितनी खतरनाक है यह फल पकाने की विधि

देव शिल्पी विश्वकर्मा जी के अवतरण दिवस को क्रिस्चियन विदेशी अंग्रेजी डे के रूप में परिवर्तन की साजिश

स्वदेशी विज्ञान ,प्रौधौगिकी,तकनिकी के निर्माता सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा दिवस की हार्दिक शुभकामनाये   देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के प्रति श्रद्धा रखने वाले सनातन धर्मी भाद्र पद कृष्ण पक्ष संक्रांति को इनका अवतरण दिवस मनाते है पर बहुत सारे आधुनिक पढ़े-लिखे और google को अपना ज्ञान का आधार बताने वाले लोग 16 सितंबर या 17 सितंबर को विश्वकर्मा दिवस मनाते हैं जबकि ईशा मसीह और इसाई वर्ष जब शुरुवात भी नहीं हुई थी उससे पहले से हजारों सालों से यह भारतीय ज्ञान परंपरा आज भी तिथि के अनुसार मनाई जाती है जो कल थी पर इन पढ़े लिखे मूर्खों की वजह से मुझे आज पोस्ट करना पड़ रहा है जो विश्वकर्मा भगवान को भी दिवस या डे के रुप में मनाने की एक साजिश करना चाह रहे हैं बहुत सारे मूर्ख 17 सितंबर को विश्वकर्मा दिवस भी मना रहे हैं हमारे धर्म में विश्वकर्मा जी को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था। विश्वकर्मा जी शिल्प कला के श्रेष्ठ कलाकार थे। जिन्होंने हमें सभी कलाऔ का ज्ञान दिया । साधन, औजार, युक्ति व निर्माण के देवता । जबकि शिल्प के ग्रंथों में व

बटवारा देश धर्म जात के साथ विचारों का भी

      विभाजन रेखा ............... एक देश का बँटवारा हुआ। विभाजन रेखा एक पागल खाने के बीच में से गुजरी। तो अधिकारियों को बड़ी चिंता हुई कि अब क्या किया जाय। दोनों देश के अधिकारियों में से कोई भी पागलों को अपने देश में लेने को तैयार न था। अधिकारी इस बात पर सहमत हुए कि पागलों से ही पूछा जाय कि वे किस देश में रहना चाहते हैं। अधिकारियों ने कहा पागलों से! देश का बँटवारा हो गया है आप उस देश में जाना चाहते हैं या इस देश में। पागलों ने कहा-”हम गरीबों का पागल खाना क्यों बाँटा जा रहा है। हमने क्या गलती की है? हमसे किसी को शिकायत भी नहीं हैं। हम में कोई आपसी मतभेद भी नहीं है। हम सब मिलकर रहते हैं इसमें आपको क्या आपत्ति?” अधिकारियों ने कहा। आपको जाना कहीं नहीं है। रहना यहीं है। आप तो यह बताएँ कि इस देश में रहना चाहते हैं या उस देश में। पागल बोले। यह भी क्या अजीब पागलपन है जब हमें जाना कहीं नहीं है। तो उस देश से या इस देश से क्या मतलब। अधिकारी बड़ी उलझन में फँस गये। उन्होंने सोचा। व्यर्थ की माथा-पच्ची से क्या लाभ? और उन्होंने विभाजन रेखा पर पागलखाने के बीचों बीच दीवार खड़ी करा दी। कभी-कभी पागल उस दी

कान्वेंट शब्द पर गर्व नहीं शर्म करें... अगर गर्व करना तो सनातन वैदिक परंपरा पर करें

https://drive.google.com/file/d/13ECZx1WBbnZm4e5ttomfblazXDxN15fO/vie?usp=drivesdk     RED Alert : Sex Education Conspiracy in Bharat busted in 2007 2007 से आरंभ होने वाले सत्र से तत्कालीन देशद्रोही पार्टी कांग्रेस की मंदमोहन सरकार द्वारा यौन शिक्षा अर्थात सेक्स एजुकेशन को सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आधिकारिक मान्यता देकर लागू करवाना लगभग तय हो चुका था। जिसके लिए किताबें छपकर तैयार थी और शिक्षकों की ट्रेनिंग भी शुरू हो चुकी थी। यह षड्यंत्र तब यदि रोका न जाता तो देश का परमाणु बम गिरने से भी अधिक हानि हो जाती। लेकिन अब उसी को आगे बढ़ाते हुए इसको Adolescence Education के नाम से इस विकृत शिक्षा को स्कूलों में लागू  करने का प्रयास किया जायेगा  इसे किसी भी प्रकार से सफल नही होने देना है। इस पुस्तक में इस विषय से जुड़े हर प्रश्न का बहुत सुंदर उत्तर दिया गया है। एक ही प्रति थी  अतः इसकी ईबुक बनाकर भेज रहे है स्वयं भी पढ़े और अधिक से अधिक प्रेषित करें। और माता पिताओ द्वारा स्कूलों में इसका ज़ोरदार विरोध करना होगा। _/\_वन्दे मातरम् पुस्तक डाउनलोड करे https://drive.google.com/file/d/13ECZx1WBbnZm4e5